अभी चल रही है मुख्यमंत्री आवास में तलाशी व पूछताछ, केजरीवाल के मंत्रियों को भी मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश की इजाजत नहीं, आप लगा रही है सर्वोच्च न्यायालय में गुहार
देवसिंह रावत
आज 21 मार्च 2024 को इस समय सांय 7.47 बजे प्रवर्तन-निदेशालय के आधा दर्जन अधिकारियों ने जांच अधिकारी संयुक्त निदेशक जोगेंन्द्र के नेतृत्व में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर अचानक छापामारी कार्यवाही करते हुये वहां तलाशी लेते हुये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली शराब घोटाले के मामले में पूछताछ कर रहे है। एक घण्टे से चल रही इस छापेमारी व पूछताछ के दौरान मुख्यमंत्री केजरीवाल का आवास एक प्रकार से पुलस की छावनी बन गयी है। मुख्यमंत्री आवास पर भारी संख्या में त्वरित कार्यवाही बल लगा दी गयी। बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के समर्थक व नेता इस कार्रवाई के खिलाफ मुख्यमंत्री आवास के सक्षम एकत्रित होकर इस कार्रवाई के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। इन समर्थकों को पुलिस हिरासत में भी ले रही है। इसके साथ आखिरकार परिवर्तन निदेशालय ने दिल्ली प्रदेश के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। भले हुए उनको अभी मुख्यमंत्री आवास पर ही रखा गया है परंतु सूत्रों के अनुसार उनका गिरफ्तार कर लिया है और उनके घर की तलाशी की जा रही है। तलाशी पूरी होने पर उनको स्वास्थ्य परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा ।उसके बाद आज रात हुए उनको ईडी मुख्यालय में ही रखा जाएगा कल उन्हें न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस प्रकार 7:15 बजे से चली ईडी की यह कार्रवाई के 2घंटे बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने का ऐलान किया।
वहीं दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के बाद भी हुए अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही
सरकार चलाएंगे। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के अनुसार ईडी मुख्यालय पर धारा 144 लगाकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध कर दिए गए हैं। आम आदमी समर्थकों का यह भी आरोप है कि अरविंद का मोबाइल फोन भी जांच एजेंसी ने जब्त कर दिया है। वहीं सूत्रों के अनुसार अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए जरूरी कागजात जांच एजेंसी तैयार कर रही है। सूत्रों के अनुसार ऐसा लग रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में कल सुबह
सुनवाई कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि आज ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रवर्तन-निदेशालय को उसकी गिरफ्तारी से बचाव की गुहार लगाई। परन्तु दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में उसको किसी प्रकार की राहत नहीं दी। वहीं इसकी खबर मिलते ही दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भी मुख्यमंत्री आवास पंहुचे परन्तु उनको आवास में जाने से पुलिस प्रशासन ने रोका। सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने का कृत्य किया जा रहा है। यही आरोप कबीना मंत्री आतीशी ने भी मुख्यमंत्री आवास पंहुच कर दोहराई। प्रवर्तन-निदेशालय केजरीवाल को पीएमएलए की धारा -50 के अंतर्गत पूछताछ कर रही है। आज जैसे ही दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी पर रोक न लगाने के निर्णय के बाद ऐसी आशंका प्रकट की जा रही थी कि केजरीवाल को किसी भी समय प्रवर्तन-निदेशालय गिरफतार करेगी। पर इतनी जल्दी करेगी इसकी आशंका आप को भी नहीं थी। सांझ ढलने से पहले ईडी के आधा दर्जन से अधिक अधिकारी मुख्यमंत्री आवास में पंहुचे। इसके बाद आम आदमी पार्टी को सर्वोच्च न्यायालय की तरफ रूख करने की सुध आई। अब दिल्ली उच्च न्यायालय के रूख के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय से दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की त्वरित गुहार की जा रही है। देखना है कि सर्वोच्च न्यायालय शराब प्रकरण में प्रवर्तन-निदेशालय के बुलावे को नजरांदाज करने वाले केजरीवाल को संरक्षण देता है या उच्च न्यायालय की तरह कानून का सम्मान करने की सीख देता है। परंतु अब मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल समर्थक यह कोशिश कर रहे हैं कि देश के मुख्य न्यायाधीश आज रात ही इस प्रकरण की सुनवाई करें।
गिरफ्तारी से पहले केजरीवाल के आवास पर ईडी के आधा दर्जन से अधिक अधिकारी, जांच अधिकारी जोगेंद्र के देखरेख में केजरीवाल से पूछताछ कर रहे है। उल्लेखनीय है कि जोगेंद्र ने ही तेलंगाना की पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी कविता को गिरफ्तार करने के बाद इस मामले में पूछताछ की है। उनका केजरीवाल के यहां पूछताछ के लिये आना व केजरीवाल के यहां सुरक्षा बलों की छावनी सी बना देने से साफ है कि केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन-निदेशालय अन्य सिसोदिया, संजय व कविता आदि नेताओं की तरह कार्यवाही करने का मन बना चूकी है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार द्वारा शराब की नयी नीति को लागू करने से प्रदेश को हुये राजस्व घाटे व चंद व्यापारियों को अनुचित लाभ दिये जाने के आरोपों के बाद जब इसकी जांच की गयी तो पूरी केजरीवाल सरकार व तेलांगना सहित कई राज्यों तक इसका जाल बना होने के कारण केंद्र सरकार की प्रवर्तन-निदेशालय आदि ऐजेन्सियों ने ताडबतोड कार्यवाही की। भले ही केजरीवाल व उसकी आम आदमी पार्टी तथा विपक्षी दल इसे राजनैतिक प्रतिशोध का आरोप केंद्र सरकार पर लगा रही हो पर इस पूरे प्रकरण से यह उजागर हो गया कि केजरवाल व उसकी आप सहित आरोपी लोग इस प्रकरण में कहीं दूर दूर तक पाक साफ नहीं है। जो केजरीवाल अपने देशव्यापी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में मात्र आरोप लगने पर तत्कालीन देश व दिल्ली सरकार के मंत्रियों व नेताओं को इस्तीफा देने की ललकार लगाता था वह आप इतने संगीन आरोपों के दर्ज होने पर भी अपने वचनों को आत्मसात करते हुये जांच का सामना करने से क्यों बच रहा है?
उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है।वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के तहत देश की इस महत्वपूर्ण संस्थान ने अपने बारे में अपनी वेबसाइट पर बताया कि
प्रवर्तन निदेशालय एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो धन शोधन के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। निदेशालय के वैधानिक कार्यों में निम्नलिखित अधिनियमों का प्रवर्तन शामिल है।1. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002(पीएमएलए)रू यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रवर्तन निदेशालय एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो धन शोधन के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। निदेशालय के वैधानिक कार्यों में निम्नलिखित अधिनियमों का प्रवर्तन शामिल है।1. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002(पीएमएलए)रू यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तन-निदेशालय को अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु अन्वेषण करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए पीएमएलए के प्रावधानों के प्रवर्तन की जिम्मेदारी दी गई है।
2. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम,1999 (फेमा)रू यह एक नागरिक कानून है जो विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया है। प्रवर्तननिदेशालय को विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों के अन्वेषण करने,कानून का उल्लंघन करने वालों को न्यायनिर्णित करने और उन पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।
3. भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम,2018 (एफ.ई.ओ.ए)रू यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत निदेशालय को ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधी,जो गिरफ्तारी से बचते हुए भारत से बाहर भाग गए हैं,उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए तथा उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार से संलग्न करने का प्रावधान करने हेतु अधिदेशित किया गया है।