प्यारा उतराखण्ड डाट काम
वर्षो से बिनोवा भावे व कश्मीर मिशन के ध्वजवाहक रहे देश के अग्रणी सर्वोदयी नेता ओमप्रकाश डंगवाल इन दिनों उतराखण्ड के हुक्मरानों को लोकशाही का पाठ पढाने व प्रदेश की जनता में व्यापक जनजागरण करने के लिये देहरादून के गांधी पार्क में गांधी की मूर्ति के नीचे ठिठुरती हुई ठण्ड में भी सत्याग्रह कर रहे हैं।
यह जानकारी सर्वोदयी नेता डंगवाल ने स्वयं आज 5 फरवरी 2024 को दूरभाष 9634348016 से प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत को दी। उतराखण्ड में टिहरी जनपद के भिलंगना क्षेत्र के मूल निवासी श्री डंगवाल ने देहरादून में सत्याग्रह करने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उन्होने सत्याग्रह के प्रतीक गांधी की मूर्ति के नीचे देहरादून में प्रतिदिन 3 घण्टे सत्याग्रह कर रहा हॅू। दिल्ली या देहरादून आदि महानगरों की चकाचौध को छोड कर अपने गांव में ही बसे वयोवृद्ध सर्वोदयी सत्याग्रही डंगवाल ने बताया कि सीमांत प्रांत उतराखण्ड के लोगों को स्वावलम्बी, संतुष्ट व समृद्ध जीवन विकसित करना आवश्यक है। इसके लिये ही सन 1968 से लेकर 3 नवम्बर सन 2000 तक अलग उतराखण्ड राज्य निर्माण को लेकर मैने अपने अभिन्न साथी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी के साथ मिलकर संघर्ष की भूमिका निभाई है। राज्य निर्माण के 23 साल बाद पिछले एक साल तक मैने संपूर्ण उतराखण्ड का भ्रमण किया है और उतराखण्ड की दिशा तय करने वाली निम्न समस्याओं के समाधान हेतु 8 दिसम्बर 2023 से गांधी पार्क देहरादून में सत्याग्रह पर हॅू।
1-सन 1978 में 71 सत्याग्रहियों ने पहली बार नई दिल्ली में गिरफ्तारी दी, तिहाड जेल गये और इसे आंदोलन का सवरूप दिया। इसलिये राज्य आंदोलनकारी के लिये चयनित का आधार वर्ष सन 1978 किया जाय।
2- हिमालयी पर्यावरण, जल, जंगल व जमीन के संरक्षण व संबर्द्धन और इसकी सुरक्षा तथा जंगलों को अग्नि काण्डों से बचाने के लिये विशेष कार्य दल बनाया जाय।
3- उतराखण्ड के अधिकांश गांव व छाने जंगलों के बीच है। अतः इनकी सुरक्षा के लिये वनाधिकार कानून 2006 को लागू किया जाय।
4-उतराखण्ड, अति संवेदनशील व भूकंम्पीय क्षेत्र में आता है। अतः विद्युत प्रदेश के लिये लघु जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य रनिगग वे में किया जाय और सुरंग निर्माण का कार्य बंद किया जाय।
5-दूरस्थ व सीमांत गांवों को वाहन मार्गो से जोउकर नदी-नालों पर पैदल पुलों का निर्माण किया जाय।
6- खेतीबाडी व बागवानी की जंगली जानवरों से सुरक्षा और बाघ आदि हिंसक जंगली जानवरों से लोगों का जीवन बचाने के लिये शीघ्र ठोस व कारगर व्यवस्था की जाय।
7-मूल निवास व भू-कानून की व्यवस्था कर बडे उद्योगों का लीज पर भूमि दी जाय।
8-शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं में जो कमियां व विसंगतियां है , उन्हें शीघ्र दूर किया जाय।
9-पर्वतीय क्षेत्र में सडकों के किनारे, स्थानीय निवासी छोटे -मोटे रोजगार से जीवन यापन कर रहे है। इसलिए उन्हें उजाडने क ेबजाय उन्हें बसाने के लिए भूमि उपलब की जाय।
सर्वोदयी नेता आम प्रकाश डंगवाल, पेशे से इंजीनियर रहे ओम प्रकाश डंगवाल ने विनोवा भावे के भूदान आंदोलन से प्रभावित हुये । विनोवा भावे के इस आंदोलन में सहभागी बनने इंजीनियर ओमप्रकाश डंगवाल पूरी तरह से बदल कर विनोवा भावे के पदचिन्हो पर चल कर सर्वोदयी बन गये। उन्होने कश्मीर समस्या के सबसे बिकराल काल में कश्मीर में सदभावना यात्रा का आयोजन कर देश में अमन चैन का संदेश भी दिया। प्रख्यात सर्वोदय सेवक ओमप्रकाश डंगवाल भावी पीढ़ी को नैतिक शिक्षा व राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाते हुए उतराखण्ड के तमाम दूरस्थ क्षेत्रों का भी भ्रमण करने के बाद प्रदेश की प्रमुख जनसमस्याओं को लेकर देहरादून में सत्याग्रह कर रहे हैं। तमाम पंचतारा संस्कृति के आधुनिक राजनेताओं, समाजसेवियों व पर्यावरणविदों से हटकर वयोवृद्ध सर्वोदयी नेता ओमप्रकाश डंगवाल का पूरा जीवन आजादी के समय के तपस्वी, देशभक्त व आदर्शों के लिये पूरी तरह समर्पित नेताओं की दुर्लभ साफ झलक देखने को मिलती है।
यह जानकारी सर्वोदयी नेता डंगवाल ने स्वयं आज 5 फरवरी 2024 को दूरभाष 9634348016 से प्यारा उतराखण्ड के संपादक देवसिंह रावत को दी। उतराखण्ड में टिहरी जनपद के भिलंगना क्षेत्र के मूल निवासी श्री डंगवाल ने देहरादून में सत्याग्रह करने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उन्होने सत्याग्रह के प्रतीक गांधी की मूर्ति के नीचे देहरादून में प्रतिदिन 3 घण्टे सत्याग्रह कर रहा हॅू। दिल्ली या देहरादून आदि महानगरों की चकाचौध को छोड कर अपने गांव में ही बसे वयोवृद्ध सर्वोदयी सत्याग्रही डंगवाल ने बताया कि सीमांत प्रांत उतराखण्ड के लोगों को स्वावलम्बी, संतुष्ट व समृद्ध जीवन विकसित करना आवश्यक है। इसके लिये ही सन 1968 से लेकर 3 नवम्बर सन 2000 तक अलग उतराखण्ड राज्य निर्माण को लेकर मैने अपने अभिन्न साथी स्व. इंद्रमणि बडोनी जी के साथ मिलकर संघर्ष की भूमिका निभाई है। राज्य निर्माण के 23 साल बाद पिछले एक साल तक मैने संपूर्ण उतराखण्ड का भ्रमण किया है और उतराखण्ड की दिशा तय करने वाली निम्न समस्याओं के समाधान हेतु 8 दिसम्बर 2023 से गांधी पार्क देहरादून में सत्याग्रह पर हॅू।
1-सन 1978 में 71 सत्याग्रहियों ने पहली बार नई दिल्ली में गिरफ्तारी दी, तिहाड जेल गये और इसे आंदोलन का सवरूप दिया। इसलिये राज्य आंदोलनकारी के लिये चयनित का आधार वर्ष सन 1978 किया जाय।
2- हिमालयी पर्यावरण, जल, जंगल व जमीन के संरक्षण व संबर्द्धन और इसकी सुरक्षा तथा जंगलों को अग्नि काण्डों से बचाने के लिये विशेष कार्य दल बनाया जाय।
3- उतराखण्ड के अधिकांश गांव व छाने जंगलों के बीच है। अतः इनकी सुरक्षा के लिये वनाधिकार कानून 2006 को लागू किया जाय।
4-उतराखण्ड, अति संवेदनशील व भूकंम्पीय क्षेत्र में आता है। अतः विद्युत प्रदेश के लिये लघु जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य रनिगग वे में किया जाय और सुरंग निर्माण का कार्य बंद किया जाय।
5-दूरस्थ व सीमांत गांवों को वाहन मार्गो से जोउकर नदी-नालों पर पैदल पुलों का निर्माण किया जाय।
6- खेतीबाडी व बागवानी की जंगली जानवरों से सुरक्षा और बाघ आदि हिंसक जंगली जानवरों से लोगों का जीवन बचाने के लिये शीघ्र ठोस व कारगर व्यवस्था की जाय।
7-मूल निवास व भू-कानून की व्यवस्था कर बडे उद्योगों का लीज पर भूमि दी जाय।
8-शिक्षा व स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं में जो कमियां व विसंगतियां है , उन्हें शीघ्र दूर किया जाय।
9-पर्वतीय क्षेत्र में सडकों के किनारे, स्थानीय निवासी छोटे -मोटे रोजगार से जीवन यापन कर रहे है। इसलिए उन्हें उजाडने क ेबजाय उन्हें बसाने के लिए भूमि उपलब की जाय।
सर्वोदयी नेता आम प्रकाश डंगवाल, पेशे से इंजीनियर रहे ओम प्रकाश डंगवाल ने विनोवा भावे के भूदान आंदोलन से प्रभावित हुये । विनोवा भावे के इस आंदोलन में सहभागी बनने इंजीनियर ओमप्रकाश डंगवाल पूरी तरह से बदल कर विनोवा भावे के पदचिन्हो पर चल कर सर्वोदयी बन गये। उन्होने कश्मीर समस्या के सबसे बिकराल काल में कश्मीर में सदभावना यात्रा का आयोजन कर देश में अमन चैन का संदेश भी दिया। प्रख्यात सर्वोदय सेवक ओमप्रकाश डंगवाल भावी पीढ़ी को नैतिक शिक्षा व राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाते हुए उतराखण्ड के तमाम दूरस्थ क्षेत्रों का भी भ्रमण करने के बाद प्रदेश की प्रमुख जनसमस्याओं को लेकर देहरादून में सत्याग्रह कर रहे हैं। तमाम पंचतारा संस्कृति के आधुनिक राजनेताओं, समाजसेवियों व पर्यावरणविदों से हटकर वयोवृद्ध सर्वोदयी नेता ओमप्रकाश डंगवाल का पूरा जीवन आजादी के समय के तपस्वी, देशभक्त व आदर्शों के लिये पूरी तरह समर्पित नेताओं की दुर्लभ साफ झलक देखने को मिलती है।