मोदी सरकार के धारा 370 हटाने के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने लगाई मुहर
देवसिंह रावत
आज 11 दिसंबर 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के 5अगस्त 2019के फ़ैसले को पूरी तरह से संविधान सम्मत व देश हित में बताते हुए इस निर्णय को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया।
इसकी सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि 2024 तक जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की निर्णय पर भी अपनी मुहर लगाई। इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर भी प्रश्न उठाते हुए जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का निर्देश भी दिया।
उच्च न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए मंत्री मोदी ने इसका खुले दिल से स्वागत किया।
वहीं जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती सहित अनेक नेताओं ने इस फैसले से निराशा प्रकट की। दूसरी तरफ इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी सहित अनेक दलों ने खुलकर स्वागत किया।
गौरतलब है कि आज सर्वोच्च न्यायालय के किसी फैसले पर देश-विदेश के लाखों लोगों की नज़रें लगी हुई थी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5सदस्य संविधान पीठ मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायाधीश किशन कौल,न्यायाधीश संजीव खन्ना,न्यायाधीश बी आर गवई व न्यायाधीश सूर्यकांत ने की। भले ही इस मामले में 3 फैसले लिखे , पर सब इस पर एक मत रहे कि जम्मू कश्मीर सिंह से धारा 370 हटाने का केंद्र सरकार का निर्णय संविधान सम्मत के साथ देश हित में है।
इस मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के पास भारत के दूसरे राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है।
क्योंकि भारत में विलय होते ही जम्मू कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि भारत का चुनाव आयोग 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए”। मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक नहीं थी। 370 को हटाने का अधिकार जम्मू-कश्मीर के एकीकरण के लिए है। असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर न्यायालय, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अपील में सुनवाई नहीं कर सकते तथा न ही दुर्भावनापूर्ण तरीके से इसे रद्द किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया कि अनुच्छेद 370 अस्थायी है ,इसको अंतरिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बनाया गया था। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह एक अस्थायी व्यवस्था की गई । यह एक अस्थायी प्रावधान है। इसीलिए इसे संविधान के भाग 21 में रखा गया है।
मुख्य न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए विस्तार से कहा कि “अनुच्छेद 370 (3) संवैधानिक एकीकरण के लिए लाया गया था न कि बांटने लिये। संविधान सभा भंग होने के बाद 370(3) का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता ये दलील स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि यह संवैधानिक इंटिग्रेशन को रोकता है। मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि भले ही न्यायालय, राष्ट्रपति के फ़ैसले पर अपील पर सुनवाई नहीं कर सकता।पर कोई भी फ़ैसला न्यायिक समीक्षा से परे नहीं है। लेकिन 370(1)(डी) के तहत लिए गए कई संवैधानिक आदेशों से पता चलता है कि केंद्र और राज्य ने एक सहयोगी प्रक्रिया के माध्यम से भारत का संविधान जम्मू और कश्मीर में लागू किया है। इसलिए हम राष्ट्रपति के फ़ैसले को संविधान सम्मत मानते है।