‘जय बदरी विशाल ’ के गगन भेदी जयकारों के साथ शीतकाल के लिये 18नवम्बर को बंद हुये भू बैकुण्ठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट
प्यारा उतराखण्ड डाट काम
इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने जय बदरी विषाल की जय, के गगन भेदी जयकारों व वेद मंत्रों से श्री बदरीनाथ धाम क्षेत्र गुंजायमान हो गया। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालु पृथ्वी में साक्षात बैकुण्ठ समझे जाने वाले श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिये बंद किये जाने के पावन अवसर पर प्रदेष के मुख्यमंत्री धामी की अनुपस्थिति को सनातनी व लोकशाही मर्यादाओं के प्रतिकुल समझा। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी सहित तमाम उतराखण्डी नेताओं का भाजपा आला नेतृत्व मोदी व शाह से प्रेरणा लेने की सलाह देते हुये श्रीकृष्ण विश्व कल्याण भारती के प्रमुख देवसिंह रावत ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री व गृहमंत्री होने के बाबजूद भी मोदी व शाह जिस प्रकार से अपने प्रांत गुजरात के परचम लहराने का कोई भी अवसर नहीं चूकते है। वे जिस प्रकार से विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता का निर्णायक मैच भी अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी स्टेडियम में न केवल 19 नवम्बर को आयोजित करा रहे हैं अपितु खुद तमाम व्यस्तता के बाबजूद क्रिकेट जैसे मैच का फाइनल देखने के लिये घण्टों तक स्टेडियम में रहेगे। इस क्रिकेट मैच का ऐसे अभूतपूर्व उत्साह रूपि उन्माद में देश अलमस्त है। इसी जनभावनाओं को भुनाने के अवसर को राजनीति के मर्मज्ञ मोदी व शाह अपने पक्ष में भुनाने का कार्य करेंगे। वहीं गुजरात का परचम भी लहराने में लगे है। इससे गुजरात सबल ही बनेगा। देशभर के हजारों हजार युवा यहां पंहुचे है। वहीं दूसरी तरफ मोदी व शाह के भरत बने उतराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पृथ्वी का बैकुण्ठ समझे जाने वाले व सनातनियों के शीर्ष धाम श्री बदरी केदार धाम के कपाट खुलने व बंद होने के अवसर पर खुद उपस्थित रह कर व विश्व व्यापी प्रचार प्रसार का भव्य आयोजन करके उतराखण्ड के पर्यटन को बढावा दिया जा सकता था। इस अवसर पर न तो मुख्यमंत्री खुद उपस्थित रहे व न ही उनकी सरकार ने इसे भव्य आयोजन कर पर्यटकों को आकृष्ट करने का अवसर भी गंवा दिया। ऐसे आयोजनों से जहां सरकार लोकशाही व सनातनी मर्यादाओं का सम्मान करती वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती। लगता है उतराखण्ड के नेताओं की इन दिव्य धामों से अधिक अपने आला नेतृत्व पर विश्वास है। जैसे ही सत्तासीनों के दिल्ली दरवार के आला नेतृत्व श्री बदरी केदार नाथ जैसे दिव्य धामों की यात्रा करते हैं वेसे ही यहां के सत्ता प्रमुख उनके साथ इन धामों में अपने आकाओं के बगलबीर बन खडे नजर आते है। परन्तु जब इनके नेता यहां दर्शन हीं आते हैं तो प्रदेश के सत्ता प्रमुख श्री बदरीनाथ श्री केदारनाथ जैसे सनातनी शीर्ष धामों में कपाट खुलने व बंद होने के पावन अवसर पर जन आस्था को नतमस्तक करने के अपने दायित्व का निर्वहन तक करते नजर नहीं आते। इसी को देख कर सनातनी हैरान है कि यहां की सरकार को न जन आस्था का सम्मान करना आता है व नहीं जनभावनाओं का। लगता है कि ये लोकशाही नहीं अपने आकाओं के प्रति समर्पित है। यह प्रवृति देश प्रदेष व सनातन के लिये बेहद घातक है।उत्तराखंड चारधाम यात्रा वर्ष 2023में यहां देश-विदेश से बदरी नाथ धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है।चारधामों में से एक, करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्र, भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूर्ण विधि-विधान से शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए हैं।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार 18 नवंबर अपराह्न 3.33 बजे बंद हुये।
यहां 17 नवंबर को पहुंचे तीर्थयात्री 9597, श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 27 अप्रैल से 17 नवंबर रात्रि तक -1836519 यात्रियों ने दर्शन किये ।
वहीं श्री केदारनाथ धाम
कपाट खुलने की तिथि 25 अप्रैल से कपाट बंद तिथि 15 नवंबर तक कुल तीर्थयात्री 1961027 पंहुचे।
(हेलीकॉप्टर से 141444 तीर्थयात्री भी शामिल)
-श्री गंगोत्री धाम
कपाट खुलने की तिथि 22 अप्रैल से कपाट बंद की तिथि 14 नवंबर तक 904869
-श्री यमुनोत्री धाम
कपाट खुलने की तिथि 22 अप्रैल से कपाट बंद की तिथि 15 नवंबर तक 735244 यात्री पंहुचे।
17 नवंबर तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ पहुंचनेवाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या का योग 379754 रही।
15 नवंबर तक श्री गंगोत्री-यमुनोत्री पहुंचे तीर्थ यात्रियों की संख्या 1640418रही।
17 नवंबर शाम तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे संपूर्ण तीर्थयात्रियों की संख्या 5437964रही।
चारधाम यात्रा विशेष- मीडिया प्रभारी श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बदरीनाथ धाम द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार-
ऽश्री बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार18 नवंबर को शायंकाल 3 बजकर 33 मिनट पर बंद हो गये।
15 नवंबर भैयादूज श्री केदारनाथ धाम एवं यमुनौत्री जी के कपाट हुए जबकि 14 नवंबर को अन्नकूट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके है।
चारों धामों में मौसम सर्द हुआ हल्की बारिश एवं बर्फवारी।
चारधाम यात्रा मार्ग बारिश बर्फवारी के बावजूद सुचारू रही।
इस साल बदरीनाथ धाम यात्रा निरंतर चल रही चारधाम यात्रा।
श्री हेमकुंट साहिब- लोकपाल तीर्थ के कपाट 20 मई को खुले तथा बीते बुद्धवार 11 अक्टूबर 2023 को दोपहर 1 बजे बंद हो गये है। उत्तराखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार 177463 से अधिक श्रद्धालु श्री हेमकुंट लोकपाल तीर्थ दर्शनों के लिए पहुंचे।
चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट शनिवार 20 मई को खुले, बुधवार 18 अक्टूबर प्रातरू 8 बजे कपाट बंद हो गये हैं। विग्रह मूर्ति 20 अक्टूबर को गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर पहुंच गयी लगभग पांच हजार ने रूद्रनाथ जी के दर्शन किये।
द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट सोमवार 22 मई को श्रद्धालुओं को दर्शन हेतु खुले। 22 नवंबर को कपाट शीतकाल हेतु बंद होंगे।
अभी तक 12 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये। अभी यात्रा गतिमान है।
तृतीय केदार श्री तुंगनाथ जी के कपाट 26 अप्रैल को खुलने के बाद यात्रा निरंतर चली। कपाट बंद होने तक एक लाख छत्तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।
1 नवंबर बुद्धवार को पूर्वाह्न 11 बजे शीतकाल हेतु कपाट बंद हो गये। तथा श्री तुंगनाथ जी की विग्रह देव डोली शुक्रवार 3 नवंबर को शीतकालीन पूजास्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंची।
छत्तीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किये। 1 नवंबर बुद्धवार को पूर्वाह्न 11 बजे शीतकाल हेतु कपाट बंद हो गये। तथा श्री तुंगनाथ जी की विग्रह देव डोली शुक्रवार 3 नवंबर को शीतकालीन पूजास्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंची।