प्रधानमंत्री ने प्रमुख योजनाओं का लाभ लक्षित लाभार्थियों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ने संसद भवन में भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की
प्रधानमंत्री ने सबसे कमजोर जनजातीय समूहों के विकास के लिए पीएम-जन मन मिशन की शुरुआत की
विकसित भारत के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की संकल्पबद्धता के लिए महिला शक्ति, जनजातीय कल्याण और विकास स्तंभों पर जोर
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में 15 नवंबर 2023 को जन जातीय गौरव दिवस मनाया गया। यह दिन बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को भी समर्पित है, ताकि भावी पीढ़ियां देश की खातिर उनके बलिदान के बारे में जान सकें।
जनजातीय गौरव दिवस समारोह का नेतृत्व राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी; उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में 6 मुख्यमंत्रियों, 22 राज्यपालों, केंद्र सरकार के 7 मंत्रियों और कई सांसदों, राज्य सरकारों के मंत्रियों और विधायकों ने झारखंड के खूंटी में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में आभासी रूप से भाग लिया। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर देश भर में जनजातीय अनुसंधान संस्थानों, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों, उत्कृष्टता केंद्रों, केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य जनजातीय कल्याण विभागों और अन्य भागीदार संगठनों ने कई कार्यक्रम आयोजित किए।
इसके अलावा इसी समय राष्ट्रव्यापी ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ का शुभारंभ भी किया गया। प्रधानमंत्री ने झारखंड के खूंटी में ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के शुभारंभ के अवसर पर आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले 68 जिलों की ग्राम पंचायतों से शुरू हुई और आगे चलकर यह देश भर की सभी ग्राम पंचायतों को कवर करेगी। यात्रा का मुख्य उद्देश्य सरकार की प्रमुख योजनाओं के लाभ सभी लक्षित लाभार्थियों तक समयबद्ध तरीके से पहुंचाना सुनिश्चित करते हुए परिपूर्णता हासिल करना है। जनजातीय क्षेत्रों में 5 क्षेत्रों- सिकल सेल परीक्षण, जागरूकता और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों व छात्रवृत्ति योजनाओं में नामांकन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। वन अधिकार स्वामित्व कवरेज के माध्यम से जनजातीय समुदायों की आजीविका भी सुनिश्चित की जाएगी और वन धन विकास केंद्र स्वयं सहायता समूहों पर ध्यान दिया जा रहा है। 200 से अधिक ग्राम पंचायतों में भी कार्यक्रम आयोजित किये गये।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 15 नवंबर, 2023 को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर संसद भवन में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी और कई सांसदों ने भी भगवान बिरसा को पुष्पांजलि अर्पित की। रंग-बिरंगे परिधान पहने जनजातीय नर्तकों ने जनजातीय संगीत वाद्ययंत्र बजाते हुए राष्ट्रपति का पारंपरिक स्वागत किया।
राष्ट्रपति ने ‘जनजातीय गौरव दिवस के अवसर’ पर रिकॉर्ड किए गए ऑडियो विजुअल संदेश के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं दीं, जिसे खूंटी में आयोजित भव्य कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी; केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा; झारखण्ड के राज्यपाल . सी. पी. राधा कृष्णन; झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमत सोरेन और शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, के साथ ही साथ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और खूंटी के कई विधायकों ने भी शिरकत की। विभिन्न राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में 100 से अधिक स्थानों पर राष्ट्रपति का संदेश प्रदर्शित किया गया।
खूंटी में सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने पीएम जनमन (पीएम-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) की शुरुआत की और राज्य में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। पीएम ने ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस भव्य कार्यक्रम में खूंटी और पड़ोसी जिलों से लगभग 50,000 लोग शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने झारखंड के रांची में भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का दौरा करके दिन की शुरुआत की। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और अन्य 10 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जिनकी प्रतिमाएं संग्रहालय में स्थापित की गई हैं। यह संग्रहालय पहले एक कारावास था जहां बिरसा मुंडा को कैद (काराकक्ष) किया गया था। प्रधानमंत्री ने संग्रहालय में काराकक्ष, चलचित्र कक्ष और संग्रहालय के अंदर बनी उलिहातू गांव की प्रतिकृति का अवलोकन किया।
प्रधानमंत्री ने इसके बाद झारखंड के उलिहातू गांव का दौरा किया, जो भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली है और यह रांची से लगभग 60 किमी दूर है। उन्होंने उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और भगवान बिरसा के वंशजों व बिरसायत समुदाय के सदस्यों, भगवान बिरसा के अनुयायियों के साथ परस्पर बातचीत की। श्री मोदी उलिहातू गांव का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने। अर्जुन मुंडा, हेमत सोरेन और सी.पी.राधा कृष्णन रांची संग्रहालय और उलिहातू की यात्रा के दौरान उनके साथ थे।
प्रधानमंत्री जनमन (प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) का उद्देश्य 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में रहने वाले 75 कमजोर जनजातीय समुदायों का व्यापक विकास करना है, जो शैक्षिक, स्वास्थ्य और आजीविका के सामाजिक आर्थिक संकेतकों में लगातार पिछड़े हुए हैं और इसलिए उन्हें विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) कहा जाता है। इन समुदायों की आबादी लगभग 28 लाख है और ये 200 जिलों में स्थित 800 से अधिक ब्लॉकों की लगभग 22000 बस्तियों में रह रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष बाद भी केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न विकास योजनाएं दूरदराज के क्षेत्रों और कम आबादी वाले इन समुदायों के गांवों व बस्तियों की महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं को पर्याप्त रूप से पूरी करने में सक्षम नहीं रहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म पर पोर्टल भी लॉन्च किया, जिसका उपयोग पीएम–जनमन की प्रगति और परिणामों तक पहुंचने तथा निगरानी के लिए किया जाएगा।
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प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायकों के बलिदान का स्मरण करते हुए उनकी भूमिका का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में कई जनजातीय नायक गुमनाम रहे और आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान उनके द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया गया।
श्री मोदी ने विकसित भारत के चार ‘अमृत स्तंभों’ – महिला शक्ति, किसान, युवा और भारत के नव-मध्यम वर्ग और गरीबों पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर दिया। पीएम जनमन पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने जनजातीय समुदायों और आदिम जनजातियों के जीवन को जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। जनजातीय समुदाय के विकास के प्रति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की प्रतिबद्धता के लिए उनका आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने वाली विभिन्न योजनाओं, जैसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वयं सहायता समूहों को समर्थन देने वाली पहलों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने पीएम विश्वकर्मा योजना की भी चर्चा की, जिसमें आधुनिक प्रशिक्षण और उपकरणों के लिए 13 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता का भरपूर उपयोग करने की सरकार की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है।
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खूंटी में आयोजित कार्यक्रम में श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है, क्योंकि नरेन्द्र मोदी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू गांव में पधारे। भगबान बिरसा मुंडा ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। प्रधानमंत्री ने यहां आकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने से इतिहासका एक नया अध्याय खुल गया है। श्री मुंडा ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत 15 नवंबर से हो रही है, जो एक उत्साहवर्धक अवसर है। इस दौरान संकल्प यात्रा गांव-गांव तथा शहर-शहर जाकर और विभिन्न स्थानों तक पहुंचकर जनता से संपर्क करेगी तथा उनमें जागरूकता पैदा करेगी। यह यात्रा कल्याणकारी योजनाओं के लाभों पर फोकस करेगी। इन कल्याणकारी योजनाओं में एलपीजी सिलेंडर तक पहुंच, गरीबों के लिए आवास, खाद्य सुरक्षा, समुचित पोषण, विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता सेवाएं, आवश्यक वित्तीय सेवाएं, बिजली कनेक्शन इत्यादि शामिल हैं।
श्री मुंडा ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए 24 हजार करोड़ रुपये की योजना शुरू की है, जो अभूतपूर्व है। उन्होंने झारखंड के लोगों के लिए 72 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए भी आभार व्यक्त किया।
पीएम–जनमन
वर्ष 2023-24 के बजट में, सरकार ने घोषणा की थी कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए, प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा। यह पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क व दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण करेगा। इसके बाद, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सरकार की मदद से बीआईएसएजी-एन द्वारा विकसित एक मोबाइल ऐप पर एक सर्वेक्षण किया; इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के संबंध में कमियों का डेटाबेस तैयार किया गया। मिशन में जनजातीय कार्य मंत्रालय सहित नौ मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण कार्यप्रणालियां शामिल होंगी। मंत्रालयों/विभागों की संबंधित योजनाओं/कार्यक्रमों को मिशन के उद्देश्य के साथ जोड़ा जाएगा। मिशन का कुल अनुमानित परिव्यय तीन वर्षों के लिए लगभग 24000 रुपये आंका गया है।
लक्षित पीवीटीजी गांवों/बस्तियों और घरों की मुख्य बुनियादी ढांचागत आवश्यकताओं में ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के माध्यम से पक्के मकान और सड़क कनेक्टिविटी का प्रावधान किया गया है। पीवीटीजी बस्तियों में सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था जल शक्ति मंत्रालय के जल जीवन मिशन (जेजेएम) के माध्यम से पूरी की जाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, शिक्षा मंत्रालय का समग्र शिक्षा अभियान, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का पोषण अभियान इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सुविधाओं में सुधार के लिए आयुष्मान कार्ड के प्रावधान सहित संस्थागत प्रसव तथा टीकाकरण के हवाले से सभी प्रयास करेगा। जिन घरों में बिजली नहीं पहुंची है, उन घरों का विद्युतीकरण विद्युत मंत्रालय की संशोधित विकास क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) या नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की सौर ऊर्जा योजना के माध्यम से सड़कों और बहुउद्देश्यीय केंद्रों में सौर प्रकाश व्यवस्था के प्रावधान के साथ प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) के तहत वन धन केंद्र (वीडीवीके) और स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए बहुउद्देशीय केंद्र स्थापित किए जाएंगे। संचार मंत्रालय के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के तहत मोबाइल टॉवरों की स्थापना के माध्यम से दूरसंचार कनेक्टिविटी के लिए कनेक्शन रहित बस्तियों को लक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, पीएमजेएवाई, सिकल सेल रोग उन्मूलन, टीबी उन्मूलन, शत-प्रतिशत टीकाकरण, पीएम सुरक्षित मातृत्व योजना, पीएम मातृ वंदना योजना, पीएम पोषण, पीएम जन धन योजना आदि को अंतिम बिंदु तक पहुंचाया जाएगा।
भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय
अगस्त 2016 में लाल किले से प्रधानमंत्री के आह्वान पर, रांची में 150 से अधिक पुरानी विरासत इमारत को केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के रूप में संरक्षित और पुनःस्थापित किया गया। उल्लेखनीय है कि यह पहले एक जेल थी, जहां बिरसा मुंडा को कैद किया गया था। 25 एकड़ में फैले इस संग्रहालय में कई पर्यटक आकर्षण हैं, जिनमें अंडमान जेल की तर्ज पर मनमोहक लाइट और साउंड शो का आयोजन किया जाता है तथा भगवान बिरसा के जन्म से मृत्यु तक के जीवन के विभिन्न चरणों को दिखाने वाली तीन दीर्घाओं (चलचित्र कक्ष) में लगभग 20 मिनट की एक ऑडियो विजुअल फिल्म दिखाई जाती है। संग्रहालय के बाहरी लॉन में उलिहातू गांव को फिर से बनाया गया है। संग्रहालय में भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट की मूर्ति भी है। इसके साथ ही, संग्रहालय में विभिन्न आंदोलनों से जुड़े अन्य स्वतंत्रता सेनानियों जैसे शहीद बुधू भगत, सिद्धु-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा-किसुन, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, जात्रा भगत, पोटो एच, भागीरथ मांझी, गंगा नारायण सिंह की नौ फीट की मूर्तियां भी शामिल हैं। बगल के 25 एकड़ रकबे में स्मृति उद्यान को विकसित किया गया है और इसमें संगीतमय फव्वारा, फूड कोर्ट, चिल्ड्रन पार्क, इन्फिनिटी पूल, उद्यान और अन्य मनोरंजन सुविधाएं मौजूद हैं। इस संग्रहालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर 2021 को पहले जनजातीय गौरव दिवस पर किया था।
जनजातीय गौरव दिवस
जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को मान देने और उसकी स्मृति के लिए 2021 से जनजातीय गौरव दिवस पूरे देश में उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम को संथाल, तमाड़, कोल, भील, खासी और मिज़ो जैसे जनजाति समुदायों के नेतृत्व में कई आंदोलनों द्वारा मजबूती दी गई थी। जनजातीय समुदायों द्वारा आयोजित क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों को उनके असीम साहस व सर्वोच्च बलिदान द्वारा चिह्नित किया गया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए और पूरे देश में भारतीयों को प्रेरित किया। हालांकि, बड़े पैमाने पर जनता इन जनजातीय नायकों के बारे में अधिक जागरूक नहीं थी। आने वाली पीढ़ियों को देश के लिए उनके बलिदान के बारे में जागरूक करने के लिए, सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है, जब देश भारतीय स्वतंत्रता के 75वें वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था। यह तिथि श्री बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में पूजते हैं। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ देश भर में बहादुरी से लड़ाई लड़ी और ‘उलगुलान’ (क्रांति) का आह्वान करते हुए ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। घोषणापत्र जनजातीय समुदायों के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करता है। देश भर में समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की विविधता और देश के इतिहास में जनजातीय समुदायों के योगदान को प्रदर्शित करके एकता और गौरव की भावना को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम एवं गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। यह तीसरा वर्ष था, जब देश भर में भारत की जनजातीय आबादी की अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक प्रदर्शन, प्रदर्शनियां और चर्चाओं वाले विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। पिछले वर्ष राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली झारखंड के उलिहातू गांव का दौरा किया था और उपराष्ट्रपति ने दिल्ली में संसद भवन में पुष्पांजलि अर्पित की थी।
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