संसद में नारी शक्ति वंदन विधेयक पारित
महिलाओं को संसद व विधानसभाओं में आरक्षण देने का जो कानून देवगोड़ा, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी व मनमोहन की सरकारें दशकों से नहीं बना पाई उसको मोदी सरकार ने कर दिखाया।
2024 से नहीं अपितु 2029 के आम चुनाव में लागू हो सकता है महिला आरक्षण, मतगणना और संसदीय सीटों के परिसीमन के बाद।
नई दिल्ली से देवसिंह रावत
140 करोड़़ जनसंख्या वाले देश भारत की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं को संसद व विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले १२८वां संविधान संशोधन नारी शक्ति वंदन विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित कराकर एक इतिहास रच दिया है। अब इस पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जायेगा। सरकार के अनुसार 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले जनगणना व संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन के बाद यह लागू किया जायेगा। हालांकि विपक्ष की मांग थी कि इसे 2024 के लोकसभा चुनाव में ही लागूू किया जाय। संसद में पारित होने के बाद सभी दलों की महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को इस ऐतिहासिक कार्य के लिये अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री ने इस विधेयक कोे पारित कराने में समर्थन देने के लिये सभी सांसदों का आभार प्रकट किया।
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक को 20सितम्बर 2023को लोकसभा में पारित किये जाने अगले ही दिन 21सितम्बर 2023 की मध्य रात्रि में राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया। लोकसभा में 539 सदस्यों में से 454 सांसदों ने इस विधेयक के पक्ष में मतदान कर इसे लोकसभा में पारित किया। वहीं राज्यसभा के 246सदस्यों में से मतदान के समय उपस्थित 215सांसदों ने सर्वसम्मति से इसे पारित किया। एक भी मत विरोध में नहीं पड़ा।
देश की आधी आबादी के प्रतीक महिलाओं को और सबल बनाने के लिये प्रधानमंत्री मोदी नेतृत्व वाली राजग सरकार ने देश की संसद व विधानसभाओं में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को ३३ प्रतिशत आरक्षण देने के लिए १२८वां संविधान संशोधन नारी शक्ति वंदन विधेयक को संसद में अभूतपूर्व बहुमत से पारित करने का ऐतिहासिक सफलता अर्जित की।प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार, महिलाओं को और सशक्त बनाने के लिए कई दशकों से पारित होने की राह ताक रहे महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की दिशा में जिस प्रकार से सफलता अर्जित कर रही महिला जगत की आशाओं को साकार कर मोदी सरकार इस दिशा में इतिहास रच दिया। क्योंकि विगत चार दशक से जिस महिला आरक्षण विधेयक को संसद के दोनों सदनों में देवगोड़ा, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, व मनमोहन की सरकारें अपने कार्यकाल में नहीं कर पाई, वह कार्य आज मोदी नेतृत्व वाली राजग सरकार बहुत ही सहज ढंग से लोकसभा में पारित करने के बाद राज्यसभा कर दिया।
महिला आरक्षण विधेयक की पक्ष और विरोध में कई तर्क दी जा सकते हैं परंतु इस तर्क से कोई असहमत नहीं हो सकता है की जनसंख्या के हिसाब से देश की आधी आबादी महिलाओं को आजादी के क्षेत्र साल बाद भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। इसके लिए उपेक्षित और वंचित समाज की तरह ही महिलाओं को उचित आरक्षण देकर उनको समानता का अधिकार प्रदान करने का दायित्व देश इस माध्यम से निर्वहन कर रहा है।
गौरतलब है कि 545 सदस्यीय लोकसभा में 20 सितम्बर को इस विधेयक पर हुये मतदान में सदन में मौजूद 539 सदस्यों में से 454 सांसदों ने इस विधेयक के पक्ष में मतदान कर इसे लोकसभा में पारित किया। केवल असद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दो सांसदों ने इसका विरोध किया। इस ऐतिहासिक विधेयक के पारित कराते समय सदन से 83 सांसद मतदान में अनुपस्थित रहे। सन् 2024 में होने वाले लोकसभा के आम चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा 18सितम्बर से 5 दिवसीय संसद का विशेष अधिवेशन को अति महत्वपूर्ण बताते हुये स्वयं प्रधानमंत्री ने अपने इरादे जगजाहिर कर दिये थे। विपक्ष सहित देश के जागरूक लोग भी कायश लगा रहे थे कि सरकार इस विशेष अधिवेशन में ऐसे कौन कौन से महत्वपूर्ण कार्य करेगी जिससे उसकी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की वैतरणी से नौका सहज से पार लग जाय व देश के हित में महत्वपूर्ण कार्य भी हो। इसमें छन कर आया महिला आरक्षण विधेयक। हालांकि यह विधेयक आज 21 सितम्बर को राज्य सभा में पारित हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधिवत कानून बन जायेगा। इस कानून के प्रभावी होने से 545 लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जायेगी,जो वर्तमान में 82 है। महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक में 15 साल के लिये यह प्रावधान किया है। इसको 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा तक बढाने का अधिकार संसद को होगा। महिलाओं को यह आरक्षण 2029 चुनाव से पहले मिलने की आशा है। ऐसा आश्वासन गृहमंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा का उतर देते हुये सदन में बताया। शाह के अनुसार चुनाव के बाद जनगणना और परिसीमन दोनों होगा। परिसीमन आयोग को परिसीमन का काम सौंपा जाएगा। यह विधेयक को प्रभावी होने के लिये देश में जनगणना व लोकसभाई सीटों का परिसीमन होने के बाद ही होगा। इस प्रकार यह साफ हो गया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस आरक्षण का लाभ महिलाओं को नहीं मिलेगा। हालांकि कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की मांग थी कि इसे तत्काल लागू किया जाय। परन्तु सरकार इसे जनगणना व परिसीमन के बाद ही लागू कराना चाहती है। इसी मंशा को देख कर विरोधी दल सरकार के इस कदम को केवल चुनाव में महिलाओं का समर्थन अर्जित करने के लिये कर रही है। सदन में इस विधेयक का समर्थन करते हुये सप्रंग की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने इस विधेयक को पारित करके तुरंत लागू करने की जरूरत बताया। श्रीमती गांधी ने इस विधयेक को पारित करके अपने स्वर्गीय पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक सपने को पूरा करने वाला महिलाओं के कल्याण के लिये कांग्रेस का बहुत पुराना पसींदा सपना बताया। इस चर्चा में भाग लेते हुये कांग्रेसी आला नेता राहुल गांधी ने कहा कि यह आरक्षण तुरंत लागू हो। राहुल गांधी सहित विपक्ष ने इस आरक्षण में पिछडे वर्ग की महिलाओं को आरक्षण देने की भी मांग की। वहीं इस विधेयक का विरोध करने वाले ओवैसी की पार्टी ने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया। लोकसभा में इस विषय में चर्चा का जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि विधेयक को जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा। क्योंकि इसका प्रावधान कानून में ही किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि बिना जनगणना और परिसीमन के विधेयक पारित किया तो सर्वोच्च न्यायालय उसे खारिज कर देगा और फिर यह कानून लटक जाएगा। उन्होंने कहा देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी देश में एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं।
19 सितम्बर 2023 को गणेश चतुदर्शी के पावन पर्व पर नई संसद के विधिवत शुभारंभ के दिन ही १२८वां संविधान संशोधन नारी शक्ति वंदन विधेयक लोकसभा व राज्यसभा में रख कर इसको पारित कराने के लिये कमर कस दी थी। हालांकि महिलाओं को संसद व विधानसभा में आरक्षण देने के लिये तीन चार दशकों से देश की संसद देवगोड़ा सरकार, कांग्रेस की राजीव सरकार, अटल बिहारी वाजपेई नेतृत्व वाली भाजपा-राजग सरकार, मनमोहन सिंह नेतृत्व वाली कांग्रेस सप्रंग सरकार ने सदन में विधेयक रखा था। परन्तु सदन के दोनों सदनों में इस विधेयक को पारित करने में सभी असफल रहे। केवल कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार इस विधेयक को राज्य सभा में पारित करा पाई।परन्तु लोकसभा में उसी के सहयोगी समझे जाने वाले राजद व सपा के तीखे विरोध के कारण कांग्रेस इस विधेयक को पारित कराने में असफल रही।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के साथ नए सदन की शानदार शुरुआत हुई है। इससे महिलाओं के नेतृत्व में विकास को अभूतपूर्व गति मिलने वाली है। इसे जिस प्रकार से सभी राजनीतिक दलों का ऐतिहासिक समर्थन मिला है वह विकसित और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की सिद्धि में मील का पत्थर साबित होगा।
बसपा प्रमुख मायावती ने इस पर टिप्पणी करते हुये कहा कि हमने स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं के लिए न्यूनतम ३३ प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है. एक और सुखद संयोग है कि राज्य विधानसभाओं और देश की संसद में महिलाओं के लिए ऐसा ही आरक्षण देने वाला एक प्रस्ताव अब आगे बढ रहा है। यह लैंगिक न्याय के लिए हमारे दौर की सबसे परिवर्तनकारी क्रांति होगा।