(भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) 2022 बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं को उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ)
आप सभी को मेरा नमस्कार!
कमरा खचाखच भरा हुआ है, यह काफी प्रभावशाली है। दुनिया आने वाले दशकों में इसे देखेगी।
आप कल्पना नहीं कर सकते कि इस समय मुझे कितनी खुशी और संतुष्टि मिल रही है। इस देश का भविष्य बहुत उज्ज्वल है क्योंकि हमारे पास काफी समृद्ध मानव संसाधन मौजूद है और आप उसका प्रतिनिधित्व करते हैं, आप उसका उदाहरण पेश करते हैं, आपने उसे साबित किया है और आपने दुनिया को दिखाया है। जो लोग यहां मौजूद हैं वे आपकी पीढ़ी में समाज का बेहतरीन हैं। आपने इस ग्रह पर सबसे कठिन परीक्षा दी है और सफल हुए हैं। आप देश की सबसे प्रीमियम सेवा में शामिल हो चुके हैं।
आप हमेशा उस भारत के राजदूत और सिपाही रहेंगे जो मानवता के छठे हिस्से का घर है। आपकी क्षमता, आपकी योग्यता, आपका समर्पण और आपकी दिशा यह सुनिश्चित करेगी कि भारत का अमृत काल से 2047 तक का सफर वास्तव में ऐतिहासिक होगा।
भारत 2047 में जब अपनी आजादी की शताब्दी मनाएगा तब हममें से कुछ लोग शायद न रहें, मगर आप वहां मौजूद होंगे। आप भाग्यशाली हैं कि आप ऐसे समय में मौजूद हैं जब देश की छवि लगातार बेहतर हो रही है।
मैं इस बात से काफी खुश हूं कि आप में से तीन अच्छे संस्थानों से पढ़े वकील हैं। आप देश के विभिन्न राज्यों से हैं और आपके पास जबरदस्त अनुभव है। आपकी पृष्ठभूमि शहरी और ग्रामीण दोनों यानी मिश्रित है।
वास्तव में, इस प्रकार का दमदार संयोजन हमारी सभ्यता के लोकाचार और भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
इस सेवा में आपको वह अवसर मिलेगा जो अन्य सेवाओं में नहीं मिलती हैं। इसमें आपकी वैश्विक मौजूदगी होगी। आप दुनिया भर के कठिन प्रशिक्षण के साथ सर्वोत्तम परंपराओं के तहत भारत की सेवा करने में सक्षम होंगे। यह व्यक्तिगत विकास और गर्व एवं संतुष्टि का एक जबरदस्त अवसर है कि आप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे। सबसे बड़ा लोकतंत्र जो सबसे अधिक कार्यात्मक और जीवंत है।
मेरे युवा मित्रों,
मैं आपको बता सकता हूं कि दुनिया के किसी भी देश में ऐसी संवैधानिक व्यवस्था नहीं है जैसी हमारे पास है। हमारा संविधान ग्राम स्तर, पंचायत स्तर, जिला परिषद, पंचायत समिति और राज्य स्तर की विधायिकाओं और निश्चित रूप से केंद्रीय स्तर पर संसद में लोकतंत्र का प्रावधान करता है।
हमारे यहां संवैधानिक रूप से प्रदत्त सहकारी तंत्र में भी लोकतंत्र है। दुनिया का कोई भी देश इस दर्जे के लोकतंत्र का दावा नहीं कर सकता है।
लोकतंत्र की ताकत सत्ता परिवर्तन में निहित है। हमारे देश में सत्ता का परिवर्तन बिना किसी विफलता के केवल एक ही माध्यम से यानी चुनावी प्रक्रिया के जरिये होता है। यही मताधिकार की ताकत है। तमाम देश ऐसा दावा नहीं कर सकते कि उनके पास शुरू से ही वयस्क मताधिकार रहा है जैसा हमारे पास था। इसलिए हम एक अनोखा देश हैं। जब आप विदेश जाएंगे तो आपको 300 साल, 400 साल, शायद 1,000 साल के इतिहास वाले देश मिलेंगे। मगर हमारी सभ्यता का प्रभाव 5,000 साल से अधिक समय से महसूस किया जाता रहा है।
मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक सिपाही के तौर पर आप देश के ब्रांड एंबेसडर होंगे। जब मैं ऐसा कहता हूं तो मेरा तात्पर्य शाब्दिक एवं आलंकारिक होता है। आप इस महान देश के ब्रांड एंबेसडर होंगे।
मित्रों,
दुनिया में इस समय एक युगांतकारी बदलाव हो रहा है। यह एक ऐसा बदलाव है जिसे आपने न देखा होगा, न अनुमान लगाया होगा और न ही सपने में सोचा होगा। ऐसा जबरदस्त बदलाव हो रहा है। भारत वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहा है। इसके लिए किसी दलील की जरूरत नहीं है। यह सभी के लिए बिल्कुल स्पष्ट है कि भारत ने वैश्विक स्तर पर वह स्थान हासिल कर लिया है जिसका वह बहुत पहले से हकदार था।
वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति काफी प्रभावशाली है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब दुनिया इस बात का इंतजार करती है कि भारत के प्रधानमंत्री क्या कहेंगे। वही स्थिति हमारा गौरव है।
मित्रों,
हरेक अवसर में एक बड़ी चुनौती होती है और हर चुनौती के भीतर एक अवसर होता है। आप ऐसी जगहों पर जा रहे होंगे जहां अलग-अलग संस्कृतियां होंगी, अलग-अलग भाषाएं होंगी, अलग-अलग व्यंजन होंगे और आपको उनके साथ तालमेल बिठाना होगा, मगर यह उन लोगों के लिए बेहद आसान होना चाहिए जो भारतीय हैं। जब शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात आती है तो इस कमरे में मौजूद मानव संसाधन में काफी विविधता दिखेगी और यहां लैंगिक आधार पर भी अच्छा संतुलन है। आपको प्रवासी भारतीय समुदायों से मिलने का शानदार अवसर मिलेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पूरी दुनिया में 3.2 करोड़ से अधिक प्रवासी मौजूद हैं। हमें अपने भारतीय प्रवासियों पर गर्व है, वे हमारा गौरव हैं।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने उन्हें एक नया आयाम दिया है। उन्होंने उन्हें एक महान ऊर्जा से उत्प्रेरित किया है। हमारे प्रवासी भारतीयों को काफी पहचान मिली है क्योंकि वे उस भूमि के लिए काम करते हैं जहां वे रहते हैं, मगर वे अपनी मातृभूमि यानी भारत के कल्याण के लिए भी योगदान देते हैं। आप उनसे मिलेंगे और आपके लिए यह एक चुनौती होगी कि आप उनकी ऊर्जा को मानवता और भारत की भलाई के लिए कैसे इस्तेमाल करते हैं। मगर मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप इसे अद्भुत तरीके से बड़ी सफलता के साथ पूरा करने में सक्षम होंगे।
आपके काम की प्रकृति के अनुसार आपसे परिस्थितियों को उत्प्रेरित करने की अपेक्षा की जाती है, आपको पूर्वानुमान लगाने की आवश्यकता होगी। जब किसी परिवार में लड़की की शादी होती है तो हमें एक बड़ा बदलाव दिखता है कि वह पूरी तरह एक नए परिवार में आ आती है, वह अभ्यस्त हो जाती है, उसे कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है, आपको गंभीर भावनात्मक मुद्दों से भी जूझना पड़ता है, यह आपका करियर है। आपको ऐसे देशों से निपटना पड़ेगा जो शासन की शैली, जलवायु, आदत, बुनियादी ढांचे की उपलब्धता एवं अन्य मामलों में आपके अपने देश जैसे नहीं होंगे। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि उस परिस्थिति में आप प्रधानमंत्री की कही गई बात को सही साबित करेंगे कि ‘नवोन्मेषी बनें, लीक से हटकर सोचें और हमेशा शेष देश को आगे रखें।’
जब आप बाहर जाते हैं तो आप भारत की उत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप भारत की मानवीय क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर आप दुनिया भर में देखेंगे तो आपको करियर चुनने के लिए तमाम ऐसे विकल्प दिखेंगे जहां आपको कई गुना वित्तीय लाभ मिलेगा, मगर आपको मातृभूमि की सेवा करने का अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए, आपकी प्रतिभा को सामान्य बनाया गया है तोकि अधिक से अधिक मानवता को उसका लाभ मिल सके क्योंकि हमारी सभ्यतागत लोकाचार ने सफलता को प्रभावित किया है। इस प्रक्रिया में हमारे पास वैक्सीन मैत्री भी थी। हम दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं रहे और हमने दूसरे देशों की सहायता के रूप में काफी हद तक ऐसा किया।
आपको एक अन्य उपलब्धि पर अवश्य गौर करना चाहिए क्योंकि आप ऐसे समय में रह रहे हैं जो वैश्विक इतिहास को परिभाषित कर रहा है। भारत इस व्यापक बदलाव में जबरदस्त योगदान करने की स्थिति में है।
मैं आपसे कुछ आंकड़े साझा करना चाहूंगा। सितंबर 2022 में भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया और इस प्रक्रिया में हमने किसे पीछे छोड़ दिया? हमारे पूर्व औपनिवेशिक शासक को। इस दशक के अंत तक हम निस्संदेह तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था होंगे। आपकी मेहनत, आपके समर्पण और आपकी प्रतिबद्धता से जब भारत 2047 तक पहुंचेगा तो नंबर एक होगा। इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।
भारत के मौजूदा उत्थान की कल्पना कुछ साल पहले नहीं की गई थी। मुझे वह दृश्य याद है जब मैं 1989 में संसद के लिए चुना गया था। उस दौरान मुझे केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला था। मैंने मंत्री के तौर पर कई विदेश यात्राएं कीं। अब भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में भी मैने कई विदेश यात्राएं की हैं। मित्रों, अब मैं अंतर को जानता हूं, अंतर बहुत बड़ा है, वह अंतर काफी महत्वपूर्ण है। केवल इंडिया शब्द ही सभी को समझ में आ जाता है। हमारा पासपोर्ट अब काफी अलग है। भारत सरकार की ओर से आने वाले किसी भी सुझाव को दुनिया के सबसे ताकतवर देश भी गंभीरता से लेते हैं।
हाल में काफी ताकतवर लोकतंत्र अमेरिका में प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक संबोधन और ऐतिहासिक राजकीय स्वागत किया गया। मुझे यकीन है कि आपने इसे देखा होगा और इस पर गौर किया होगा। यह काफी महत्वपूर्ण और काफी प्रभावशाली था। भारत आज वैश्विक परिदृश्य पर उस तरह मौजूद है जैसा पहले कभी नहीं था।
आपके लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि आप एक ऐसा परिवेश किस प्रकार तैयार करेंगे ताकि मानवता के छठे हिस्से को दुनिया के निर्णय लेने वाले निकायों से कैसे दूर रखा जा सके। हमने लंबे समय तक भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य न बनाए जाने का सामना किया है, मगर ऐसा होना तय है। आपको तमाम बदलावों को बढ़ावा देते हुए विभिन्न गतिविधियों में शामिल होना पड़ेगा।
मैं आपको बता सकता हूं कि कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जहां हमें बेहद जीवंत रहना चाहिए। हमारे संवैधानिक लोकतंत्र को कलंकित करने और उसे खत्म करने की खतरनाक मंशा वाली भयावह ताकतें भी मौजूद हैं। आपको इसके लिए कहीं अधिक गंभीर रहना होगा। हमें इन ताकतों को बेअसर करना होगा। ऐसा सफलतापूर्वक तभी किया जा सकता है जब आप जमीनी हकीकत को जानते होंगे और यह इस देश के इतिहास एवं संस्कृति में भलीभांति अंतर्निहित है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि वॉरियर्स@2047 के रूप में आप सभी ऐसा करने में पूरी तरह समर्थ एवं सक्षम हैं और आप ऐसा अवश्य करेंगे।
हमारे समय में एक अवधारणा थी। यह देखना काफी दुखद था कि भारत को एक टोकरी के रूप में खारिज कर दिया गया था। हम कमजोर पांच के समूह में थे। उस दृश्य पर गौर कीजिए, उस समय आप में से अधिकतर या तो पैदा नहीं हुए होंगे या बच्चे रहे होंगे। अब मेरे लिए यह कितना सुखद अनुभव है कि जब मैं कतर जाता हूं तो देखता हूं कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक उज्ज्वल स्थान है। भारत निवेश और संभावनाओं का स्थान है और निस्संदेह यह ऐसा ही है।
यदि आप अपने दौर पर चौतरफा गौर करेंगे तो पाएंगे कि हमारे बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, सड़क, रेलवे, हवाई सेवा आदि में काफी वृद्धि हुई है। इसलिए अब हम महज एक टोकरी के बजाय उम्मीद की किरण बन गए हैं। दुनिया हमारी ओर देख रही है।
माननीय प्रधानमंत्री का डायनेमिक एवं दूरदर्शी नेतृत्व और कार्यान्वयन उसकी पहचान बन गई है। भारत परिवर्तनकारी बदलाव हो रहे हैं और ये बदलाव बेहतरी के लिए हैं। यही कारण है कि भारत ग्लोबल साउथ की सबसे मजबूत आवाज के रूप में उभरा है।
एक समय था जब हमारे पक्ष के लोग हमें हर मामले में सलाह देते थे। मगर वे सलाहकार अब अपने मामलों को संभालने के लिए भी हमारी सलाह लेने की तलाश में रहते हैं।
मैं आपको डिजिटल हस्तांतरण पर एक बिल्कुल आसान उदाहरण देता हूं। करीब 1.3 अरब या इससे अधिक आबादी वाले देश में डिजिटल हस्तांतरण को लागू करना काफी मुश्किल काम है क्योंकि आपके पास तकनीक हो सकती है, सेवा करने की क्षमता हो सकती है लेकिन इसे लागू करने का तरीका और प्राप्तकर्ता को आगे लाना कठिन है। 2022 का आंकड़ा क्या है? हमारे देश में 46 प्रतिशत से अधिक लेनदेन डिजिटल हस्तांतरण के तहत हुए हैं। आंकड़ों को थोड़ा और आगे ले जाएं तो लगभग 1.5 लाख करोड़ लोगों पर इसका वित्तीय प्रभाव पड़ा। इस प्रकार 2022 में प्रति व्यक्ति डिजिटल हस्तांतरण के लिहाज से हमारा लेनदेन अमेरिका के मुकाबले अधिक रहा। भारत ने जिस तरह प्रगति की है, उसे देखकर दुनिया अचंभित है। इससे भू-राजनीतिक तौर पर भी भारत काफी मजबूत हुआ है। अब हमारी आवाज काफी मायने रखती है।
विदेश सेवा के अधिकारियों को यह जानना आवश्यक है कि भारत के प्रधानमंत्री ने पिछले 2 वर्षों में दो ऐतिहासिक बयान दिए हैं। पहला, ‘हम विस्तारवादी दौर में नहीं रह रहे हैं।’ इसका अर्थ आपको दूसरों से कहीं अधिक दिखेगा। विस्तार का मतलब है कि कोई देश किसी दूसरे देश की संप्रभुता पर कब्जा करने का फैसला करता है। इसका यही संदेश था जिसे दुनिया ने स्वीकार किया है। दूसरा, ‘युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।’ समाधान के लिए संवाद और कूटनीति होनी चाहिए। कूटनीति आपकी ताकत होनी चाहिए।
मुझे याद है काफी पहले किसी ने मुझसे कहा था कि कूटनीति में यदि आप दलील देकर कुछ जीतते हैं, तो उसका मतलब यह हुआ कि आप लड़ाई हार गए हैं। तर्क सामान्य चर्चा, सामान्य बहस और सामान्य संवाद के लिए होता है। कूटनीति में कोई तर्क नहीं होता। कूटनीति काफी सूक्ष्म और परिष्कृत है। यह बारीकियों से भरी हुई है।
इसलिए मैं चाहता हूं कि आप हमारी संस्कृति, सभ्यतागत लोकाचार और हमारी पृष्ठभूमि के बारे में पूरी जानकारी रखें क्योंकि दुनिया का कोई भी देश उसका मुकाबला नहीं कर सकता है। इस लिहाज से हम अनोखे हैं।
मित्रों,
जब भारतीय प्रतिभा की बात आती है तो मैं लोगों से बार-बार कहता रहा हूं कि हम एकलव्य हैं। भले ही हमारे आसपास कोई शिक्षक न हों, मगर हम काफी तेजी से सीख सकते हैं। यह खास तौर पर उन लोगों के लिए सच्चाई है जो गांवों या कस्बों में रहते हैं। यही कारण है कि हमारे पास 85 करोड़ स्मार्टफोन इंटरनेट कनेक्शन हैं। हमारे यहां प्रति व्यक्ति डेटा खपत अमेरिका और चीन के मुकाबले अधिक है। यह हमारे तेज दिमाग का उदाहरण है।
हम अक्सर अपने गृह राज्य में कहते हैं, ‘सोने पे सुहागा है’। जब अप्रशिक्षित दिमाग इतनी तेजी से काम कर सकता है तो आप जैसे प्रशिक्षित दिमाग का नतीजा कई गुना बढ़ना तय है। आपके दिमागी उपज से देश को काफी फायदा होगा।
एक समय था जब भारत आर्थिक रूप से शिखर पर था। हमारे यहां नालंदा और तक्षशिला जैसे वैश्विक संस्थान मौजूद थे और वे हमें गौरवान्वित करते थे। आप हमें उस स्थिति को दोबारा हासिल करने में मदद करेंगे और ऐसा निश्चित तौर पर दिखेगा जब 2047 में भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी वर्ष मना रहा होगा।
इस देश की लोग आपकी ओर देख रहे हैं कि 2047 में भारत कैसा होगा। मैं तब पहुंचा जब माननीय प्रधानमंत्री जी आपको संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘संवाद और कूटनीति सबसे बड़े हथियार हैं।’ जब आप उसमें सांस्कृतिक, सभ्यतागत लोकाचार और इतिहास को शामिल कर देंगे तो आप कहीं अधिक हथियरबंद होंगे।
मित्रों,
शुरुआत में आपके करियर में काफी चुनौतियां सामने आएंगी और उस दौरान आप अपने आसपास के साथियों को देखेंगे तो पाएंगे कि उन्हें कहीं न कहीं कोई भूमिका मिल रही होगी। वे अलग तरीके से बात कर रहे होंगे कि आप आर्थिक रूप से बेहतर कर सकते थे। मगर जब मैं सिविल सेवा दिवस पर भारतीय अफसरशाहों को संबोधित करता हूं तो मैं उन्हें एक बात जरूर बताता हूं कि भारत में अमीर या गरीब कोई भी ऐसा परिवार जिसने देश की सिविल सेवा के जरिये आईएएस या आईएफएस में जाने का सपना नहीं देखा होगा। मगर आपका सपना पूरा हो गया है। अब समय आ गया है कि आप हमारे 1.3 अरब लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करें। निस्संदेह आप ऐसा करेंगे।
मित्रों,
बदलाव लाने के लिए आपको कुछ अलग होना होगा। यह एक व्यक्तिगत विशेषता है जिसे मैंने खुद देखा है। जब मैं विदेश जाता हूं तो मैंने भारतीय विदेश सेवा के ऐसे युवा अधिकारियों को देखा है जो इतने प्रभावी ढंग से काम करते हैं कि यकीन मानिए, मैं उनका चेहरा कभी नहीं भूल सकता। हो सकता है कि उम्र के कारण अथवा किसी अन्य कारण से मैं सीधे तौर पर यह जानने की स्थिति में नहीं रहूंगा कि आपकी उपलब्धि क्या होगी, मगर मैं आपको बता सकता हूं कि आपको को कठिन प्रशिक्षण दिया गया उससे इतना तो पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि आप जहां भी होंगे, बदलाव लाएंगे। आप बेहतरी के लिए बदलाव लाएंगे, आप देश की परिसंपत्ति बनेंगे और आपको याद रखना चाहिए कि हमें देश को हमेशा सर्वोपरि रखना है। यह वैकल्पिक नहीं है बल्कि यही एकमात्र तरीका है जो जिसमें देश का हित और मानवता की भलाई निहित है।
आप सभी को मेरी ओर से बधाई। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब आपका आईएफएस में चयन हुआ तो आपके परिवार, समाज को कितनी खुशी हुई होगी? क्या आप अपने माता-पिता, नाना-नानी या दादा-दादी के हाव-भाव में गर्व की कल्पना कर सकते हैं। आपकी केवल एक उपलब्धि ने आपके आसपास के पूरे परिवेश को संतुष्ट कर दिया है। आपकी उपलब्धियां इस ग्रह के सबसे बड़े लोकतंत्र को चमक प्रदान करेंगी। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।
शुभकामनाएं, हमेशा खुश रहें और हमेशा सौभाग्यशाली रहें।
धन्यवाद।
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