रूस में भाडे के सैनिको के असफल विद्रोेह से उपजा सवाल
जो भी हो ये सवाल समय इसको देर सबेर अवश्य बेपर्दा करेगा। परन्तु जिस प्रकार से यह घटना हुई। उससे साफ लगता है कि यह सामान्य घटना नहीं जैसी दिखाई दे रही है। क्योकि पुतिन खुद युद्ध व राजनीति के मर्मज्ञ हैं। विद्रोह का सूूत्रपात करने वाला कोई और नहीं पुतिन का सबसे करीबी विश्वासपात्र है। विद्रोहकत्र्ता को देर सबेर पुतिन दण्डित करेंगे । परन्तु एक सवाल पूरे विश्व के शासकों व सामरिक विशेषज्ञों को कचोट रहा है कि निजी सेना या भाडे की सेना विश्व लोकशाही के लिये घातक है।
इस असफल विद्रोह से पुतिन सहित विश्व के तमाम शासकों को एक बडा सबक मिला कि अपराधी व उसके गिरोह को संरक्षण देना न केवल अमेरिका सहित नाटो के ढाई दर्जन शक्तिशाली देशों को अकेले ही पानी पिलाने वाले रूस के सर्वशक्तिमान महाबली राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को गहरा आघात पंहुचाने वाला साबित हुआ अपितु यह पूरे विश्व के अमन चैन के लिये भी बहुत ही आत्मघाति साबित हो सकता है।
जिस प्रकार एक भाडे की सेना ईष्ट इंडिया कंपनी ने विश्व के सबसे समृद्ध व प्राचीन विशाल देश भारत को अपना गुलाम बना कर लूटा था। यही नहीं इसी ईष्ट इंडिया कंपनी ने भारत को ब्रिटेन सम्राट को खरात की तरह भैंट कर देश में दो शताब्दी की गुलामी थोप दी । अब इसी प्रकार की निजी सेनायें विश्व में कई देशों मेें अपने कृत्यों से मानवता को रौंद रही है। यह प्रवृति विश्व की लोकशाही व मानवता के लिये एक प्रकार से खतरे की घण्टी ही है। ऐसी प्रवृति पर तुरंत रोक लगाना चाहिये। अन्यथा विश्व में लोकशाही व मानवता जमीदोज हो जायेगी।
इसके साथ भारत सहित उन तमाम विकासशील देशोें को यह घटना एक सबक की तरह है कि जो विकास की सरपट डगर भरने या निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की अंधी मंशा में शिक्षा, चिकित्सा, न्याय की तरह सुरक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के लिये खोल कर देश की एकता अखण्डता के साथ रूस की तरह आत्मघाती खिलवाड करने की भूल कर रहे हैं। शासकों को इस प्रकरण से सबक लेना चाहिये कि किसी भी सूरत में सुरक्षा क्षेत्र में भाडे के सेना या निजी करण नहीं करना चाहियेे। एक कल्याणकारी देश को जो अपने देश को मजबूूत व खुशहाल बनाना चाहता है उसे शिक्षा, चिकित्सा व न्याय के साथ साथ देश की सुरक्षा को निजीकरण की गर्त में नहीं धकेलना चाहिये। क्योंकि निजी क्षेत्र या भाडे की सेना का प्रथम उद्देश्य देश व जन कल्याण न हो कर ज्यादा से ज्यादा धन लाभ प्रतिष्ठा अर्जित करना है। जैसे भी या जो भी उसे अधिक धन देगा वह उसके लिये काम करेगा। यही प्रलोभन में फंस कर पुतिन जैसे शक्तिशाली के मित्र प्रिगोझिन भी अपना ईमान डोलने से नहीं रोक पाया। इस विद्रोेह की खबरों से स्तब्ध रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने रूसी जनता को आपात संबोधित करते हुुये कहा कि कुछ गद्दारों ने रूस से विश्वासघात करके रूस के दुश्मनों के मंसूबों को हवा देने के लिये देश को गृहयुद्ध में धकेलने की जो धृष्ठता की है उसेे पूरी तरह रौंद दिया जायेगा। गद्दारों को उनकी गद्दारी की कडी सजा दी जायेगी। ंरूसी राष्ट्रपति केे संबोधन के बाद सेना ने मास्को की तरफ कूच कर रहे विद्रोही निजी सेना की ऐसी घेराबंदी की कि रूस में ंजल्द ही नये राष्ट्रपति देने की हुंकार भरने वाले भाडे की सेना ‘वागनेर के प्रमुख एवगेनी प्रिगोझिन को बेलारूस के राष्ट्रपति के विद्रोह बंद करने पर अभयदान के प्रस्ताव को स्वीकार करके बेलारूस को अपनी सेना सहित प्रस्थान करके विद्रोह समाप्त कर दिया।
भले ही बेलारूस में प्रिगोझिन के निर्वासन जीवन जी रहे है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार वह व उसके भाडे की सैनिक हथियार रूसी सेना को सौंपेंगे। प्रगोझिन व उसके सैनिकों के रूसी सेना की कमान के तहत सेवा करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की समय सीमा एक जुलाई है। प्रिगोझिन की बगावत 24 घंटे से भी कम समय तक चली थी। जबकि वह रूस के पक्ष में यूक्रेन के खिलाफ 16 महिने से युद्ध लड रहा था। अचानक विद्रोह पर उतारू क्यों हुआ? यह रहस्य बेपर्दा होगा। परन्तु विद्रोह से उत्साहित अमेरिका व नाटों की आशाओं पर उस समय ग्रहण लग गया जब उसने विद्रोह को समाप्त करने का ऐलान किया। इससे निराश अमेरिका ने प्रिगोझिन व उसके भाडे की सेना से जुडे अनैक संगठनों पर विश्व भर में प्रतिबंद्ध लगा दिया है। परन्तु भाडे की सेना व सुरक्षा क्षेत्र में निजीकरण का अभियान किसी भी देश के लिये कैसे आत्मघाती हो सकता है यह रूस में इसी सप्ताह हुये असफल विद्रोह से साफ हो गया। इससे पूरे विश्व को बचना चाहिये।
गौरतलब है रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर नाटो गिरोह के प्यादे यूक्रेन द्वारा ड्रोन द्वारा किये गये हमले के दुसाहस ने यूक्रेन सहित विश्व के करोड़ों लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर दिया। यूक्रेेन के साथ 16 माह से चल रहे युद्ध में रूसी सत्ता प्रतिष्ठान क्रेमलिन पर नाटो गिरोह के प्रमुख अमेरिका के प्यादे बने राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की ने यह दुशाहस कराकर मानवता को ही संकट के गर्त में धकेल दिया।