देवसिंह रावत
आज 23 जून2023 की दोपहर को स्वजनों ने हरिद्वार की पावन गंगा घाट पर भतीजा युवा उद्यमी अवतार सिंह रावत को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी।
दिवंगत अवतार रावत की चिता को मुखाग्नि उनके सुपुत्र ने दी। अंतिम संस्कार के बाद पूरा परिवार मृतक क्रियाओं को संपन्न कराने के लिए अपने पैतृक गांव कोठुली को रवाना हो गए।
ग्राम कोठुली (नारायण बगड़, चमोली, उत्तराखंड ) के मूल निवासी अवतार सिंह रावत (सुपुत्र धर्म सिंह रावत) का आकस्मिक निधन कल रात अपने निवास रुड़की में हृदयाघात होने से हुआ।
दुखद खबर को सुनते ही हमारे परिवार गांव कोठुली, कड़ाकोट पट्टी में शोक की लहर छा गई। खबर सुनते ही बड़े भाई धर्म सिंह रावत, भाभी सहित पूरा गांव स्तब्ध हो गया। अवतार रावत के छोटे भाई पप्पू रावत सहित बड़ी संख्या में परिजन गांव से संस्कार में सम्मलित होने रुड़की हरिद्वार पहुंचे। दिल्ली से भी हमारे परिवार के बड़े भतीजे सुरेंद्र सिंह रावत, कुंवर सिंह रावत व भरत रावत, पोते मनदीप सिंह रावत के साथ अंतिम संस्कार में सम्मलित हुये। इसके साथ बड़ी संख्या में हमारे गांव व क्षेत्र के स्वजन देहरादून हरिद्वार ऋषिकेश आदि से अंतिम विदाई देने पहुंचे।
हिमाचल में दशकों से अपने व्यवसाय में समर्पित अवतार रावत ने अपने इकलौते बेटे व परिजनों की शिक्षा के लिए रुड़की में कुछ साल पहले आवास बनाया। कुछ समय से अवतार रावत अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए परिवार के साथ रुड़की में रह रहे थे। पिछले महीने ही वह गांव भी गए थे। शांत प्रवृति के सहृदय अवतार रावत का इस दौरान रुड़की में एक दुर्घटना के शिकार हो गए। जिससे उनका स्वास्थ्य निरंतर गिरता रहा। हिमाचल में व्यवसाय, रूड़की में परिवार व स्वास्थ्य समस्याओं से उबर रहे अवतार रावत से इसी पखवाड़े हम रूड़की स्थित आवास में जयवीर सिंह रावत के पोते के चूड़ाकर्म संस्कार के अवसर पर मिले थे। अवतार रावत की स्थिति को देखकर हमें दुख हुआ, पर आशा थी कि अवतार इन समस्याओं से शीघ्र उबरेगा।
दिवंगत अवतार रावत की ससुराल लोदला व मामा कोट गुनाड में भी इस दुखद खबर को सुनकर शोक छा गया।
इस दुखद खबर की सूचना मुझे सबसे पहले फरीदाबाद से भतीजा भरत सिंह रावत, गांव से छोटे भाई त्रिलोक सिंह, दिल्ली बल्लभगढ़ से सुरेंद्र सिंह रावत व देहरादून से शिव प्रसाद सती ने दूरभाष पर प्रातःकाल ही दी।
इस दुखद घटना को विधि का विधान मानकर हम अपने परिवार के युवा उद्यमी अवतार रावत की पुण्य आत्मा की परम शांति की कामना करते हुए दुखी मन से अंतिम विदाई देने के लिए विवश हैं।
ओम शांति ओम