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दिल्ली के निगम घाट पर सैकड़ों लोगों ने दी समाजसेवी मनमोहन बुढ़ाकोटी को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई

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आज 15 मई 2023 की दोपहर को दिल्ली के निगमबोध घाट में सैकड़ों लोगों ने दिवंगत मनमोहन बुढ़ाकोटी को अंतिम अश्रुपूर्ण विदाई दी। पावन यमुना के तट पर उनके पार्थिव शरीर को उनके सुपुत्र व छोटे भाई सहित परिजनों ने अग्नि को समर्पित किया।

दिल्ली में उत्तराखंड समाज के समर्पित 67 वर्षीय समाजसेवी व आभूषण निर्माता मनमोहन बुढ़ाकोटी का कल 14 मई 2023 की दोपहर 2:30 बजे अपने निवास विवेकानंद पुरी में आकस्मिक निधन हुआ। यह दुखद खबर सुनकर पूरे उत्तराखंड समाज में गहरा छा गया। विदेश में रह रही दिवंगत मनमोहन बुढ़ाकोटी की सुपुत्री के भारत पहुंचकर अपने पिता के अंतिम दर्शन करने के बाद ही आज 15 मई की दोपहर को उनका अंतिम संस्कार किया गया। शोकाकुल मनमोहन बुढ़ाकोटी के परिवार में उनकी धर्मपत्नी उनका बेटा व बेटी तथा उनके छोटे भाई का परिवार है। इसके अलावा दिवंगत मनमोहन बुढ़ाकोटी के परिजन व इष्ट मित्र बड़ी संख्या में उन्हें अंतिम विदाई देने निगमबोध घाट पहुंचे थे। उनके परिजनों वरिष्ठ मित्रों के अलावा अंतिम विदाई देने वालों में गढ़वाल सभा के वर्तमान अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट सहित उनके तमाम पदाधिकारी व सदस्य, पूर्व अध्यक्ष विक्रम सिंह अधिकारी, पूर्व महासचिव महादेव प्रसाद बलूनी , आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष (पर्वतीय सेल) बृजमोहन उपरेती, गढ़वाल हितैषिणी सभा के पूर्व महासचिव पवन कुमार मैठानी, उत्तराखंड महासभा के करण बुटोला, उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलन के वरिष्ठ आंदोलनकारी व वरिष्ठ पत्रकार देव सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार कैलाश धूलिया, पत्रकार योगेश भट्ट, पत्रकार सतेंदर रावत,वरिष्ठ राज्य गठन आंदोलनकारी रामेश्वर गोस्वामी, पूर्व पीएफ कमिश्नर वी एन शर्मा, गढ़वाल कीर्तन मंडल एवं रामलीला समिति रेलवे किशनगंज दिल्ली से गोपाल दत्त जोशी, प्रवीण राणा, गुमान सिंह रावत, निर्देशक नोगांई,डोभाल,नेता जी कनवासी, साहित्यकार रमेश घड़ियाल व दर्शन रावत, करमपुरा से श्री रावत सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

दिवंगत मनमोहन बुढ़ाकोटी जी उत्तराखंड समाज की प्रसिद्ध सामाजिक संस्था गढ़वाल हितैषिणी सभा की पूर्व अध्यक्ष सहित अनैक सामाजिक संगठनों के अध्यक्ष सहित पदाधिकारी रहे। उनका सामाजिक व व्यवसायिक जीवन अपने पिता जी कुलानंद बुढ़ाकोटी की सरपरस्ती में किशनगंज रेलवे कॉलोनी से प्रारंभ हुआ। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए मनमोहन बुढ़ाकोटी ने एशिया की सबसे बड़ी रेलवे कॉलोनी के नाम से ख्याति प्राप्त किशनगंज रेलवे कॉलोनी की गढ़वाल कीर्तन मंडल व रामलीला समिति किशनगंज के दशकों तक संरक्षक रहे। उत्तराखंड समाज बाहुल्य रेलवे कॉलोनी किशन गंज के साथ पूरी दिल्ली के उत्तराखंडी समाज में भी मनमोहन बुढ़ाकोटी ने अपनी सेवा भावना से पकड़ बना ली। किशनगंज के बाद 1980 के आसपास मनमोहन बुढ़ाकोटी परिवार किशनगंज रेलवे कॉलोनी के समीप विवेकानंद पूरी में बस गया। दिल्ली की प्रतिष्ठित करोल बाग व उत्तराखंड कोटद्वार में भी उनकी आभूषण की दुकान है। अपने पिताजी के निधन के बाद मनमोहन बुढ़ाकोटी ने अपने व्यवसाय व समाज सेवा बेहतर तालमेल बनाते हुए पूरे समाज में खुद को स्थापित किया किया। उनके इस कार्य में उनके छोटे भाई का हमेशा साथ रहा। आज भी दोनों भाइयों का परिवार संयुक्त रूप से अपने आवास विवेकानंद पुरी में ही निवास करता है।

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