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इस सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूस यूक्रेन युद्ध में मारे गए लाखों लोगों के कत्लेआम व मानव अधिकारों के हनन का गुनाहगार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ठहराते हुए उनको गिरफ्तार करने का विश्वव्यापी आदेश जारी कर दिया। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा है कि वह युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं, जिसमें यूक्रेन से रूस में बच्चों का अवैध निर्वासन भी शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा उठाए गए इस कदम का जहां यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंसकी सहित नाटो देशों ने खुलकर स्वागत किया।
वहीं रूस सहित अनेक देशों ने इसका पुरजोर विरोध किया। इस पर तीव्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए विश्व में मानवाधिकारों की पुरोधा व विश्व सरकार की प्रणेता देव सिंह रावत ने कहा कि
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने रूस यूक्रेन युद्ध के असली अपराधी जेलेंस्की व नाटो को छोड़कर अपने देश की रक्षा के लिए युद्ध करने वाले पुतिन को अपराधी बनाकर खुद को बेनकाब कर दिया है। क्या इस तथाकथित न्यायालय ने कभी इराक,लीबिया,मिस्र व सीरिया नरसंहार के अपराधी अमेरिका के खिलाफ कदम उठाए? श्री रावत ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का ध्यान इस तरफ आकृष्ट किया है कि इस युद्ध को भड़काने में स्वयं यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की वह अमेरिका के नेतृत्व वाला नाटो संगठन ही असली गुनाहगार है जो संयुक्त राष्ट्र संघ के होते हुए विश्व की शांति भंग करने के लिए नाटो संगठन बनाकर रूस सहित विश्व की शांति को निरंतर भंग कर रहा है। यही नहीं रूस की अनेक चेतावनी के बावजूद यूक्रेन ने जिस प्रकार रूस विरोधी नाटो का सदस्य बनना का विनाशकारी निर्णय लिया वह और उसकी सुरक्षा के साथ विश्व के लिए सबसे घातक साबित हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने इस बात को भी नजरअंदाज किया कि इस युद्ध के प्रारंभ से लेकर अब तक रूस ने अनेक बार शांति प्रस्ताव यूक्रेन को भेजें परंतु अमेरिका और नाटो सदस्यों के उकसाने के बाद यूक्रेन ने उसके खिलाफ निरंतर जहर उगलना वह षड्यंत्र करना जारी रखा जिसे विवश होकर रूस को अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए युद्ध का विकल्प चुनना पड़ा। इस युद्ध में यूक्रेन के साथ 30 सदस्य नाटो लगातार बम गोला बारूद की आपूर्ति करके यूक्रेन को युद्ध की भट्टी में बलात झोंक रहा है। जिससे न केवल यूक्रेन तबाह हो गया है अभी तुम विश्व के अधिकांश देश महंगाई से त्रस्त हैं वहीं विश्व में तीसरे विश्वयुद्ध की विनाशकारी बादल मंडरा रहे हैं। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ सहित विश्व की तथाकथित वैश्विक संगठन शांति की बात करने की बजाय युद्ध को बढ़ावा देने के गुनाहगार नाटो सदस्यों की ही बोली बोल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय द्वारा जारी किया गया पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश इसी दिशा में नाटो का ही षड्यंत्र है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के कदम पर तीव्र प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए रूस ने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय का फैसला कानूनी रूप से “शून्य” है, क्योंकि मॉस्को हेग स्थित अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ( आईसीसी या आईसीसीटी ) एक अंतरसरकारी संगठन और अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल है। जो द हेग , नीदरलैंड्स में स्थित है । अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के 123 देश सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर 1999 को और फिर 12 दिसंबर 2000 को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का समर्थन करने के लिए मतदान किया।
60 अनुसमर्थन के बाद, रोम संविधि 1 जुलाई 2002 को लागू हुई और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की औपचारिक रूप से स्थापना हुई।
परंतु रूस व चीन आदि अनेक देश इस न्यायालय को पक्षपाती मानकर इसकी सदस्यता ग्रहण नहीं की। इसलिए जो इस संस्थान के सदस्य नहीं है उन पर इस न्यायालय का कोई कानून लागू नहीं होगा। हां कमजोर जैसे देशों को यह प्राधिकरण आंखें दिखा सकता है परंतु रूस व चीन जैसे शक्तिशाली देशों के आगे यह मैमना ही बना रहेगा।
यह नरसंहार के अंतरराष्ट्रीय अपराधों , मानवता के खिलाफ अपराधों , युद्ध अपराधों और आक्रामकता के अपराध के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने का अधिकार क्षेत्र वाला पहला और एकमात्र स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है । यह संयुक्त राष्ट्र के एक अंग, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से अलग हैजो राज्यों के बीच विवादों को सुनता है। जबकि न्याय की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में प्रशंसा की और अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों में एक नवाचार के रूप में आईसीसी को सरकारों और नागरिक समाज से कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसमें इसके अधिकार क्षेत्र पर आपत्तियां, पक्षपात और भेदभाव के आरोप शामिल हैं। इसकी प्रभावशीलता के बारे में संदेह। संयुक्त राष्ट्र संघ व उसकी अन्य संस्थाओं की तरह अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय भी अमेरिका के प्यादे के रूप में देखा जाता है क्योंकि जिस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र संघ सहित तमाम वैश्विक संगठन अमेरिका व नाटो के कृत्यों पर मूक सादे रखते हैं। इससे इन्होंने अपनी विश्वसनीयता के साथ खिलवाड़ करने के साथ शेष विश्व की आशाओं पर वज्रपात ही किया। काश यह वैश्विक संगठन अपने दायित्वों का निष्पक्ष ढंग से निर्वहन करते तो आज इराक, लीबिया, मिस्र, सीरिया व यूक्रेन जैसे जघन्य जुल्म संसार को नहीं सहने पड़ते। तथा विश्व की शांति को रौंदने के गुनाहगार पाकिस्तान जैसे आतंकी देश बेशर्मी से संरक्षण नहीं देते।