खेल संगठनों में नेताओं व उनके परिजनों का क्या काम, खेल को खिलाडियों के हाथों सोंपे राजनेता
देवसिंह रावत
खेल मंत्रालय ने भी इस विवाद से उबरने के लिये महासंघ से तुरंत अपना पक्ष रखने का फरमान जारी कर दिया है। हालांकि अध्यक्ष सांसद बृजभूषण ने उस पर लगे तमाम आरोपों को सिरे से नक्कार दिया है। सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी केंद्रीय सरकार में सत्तासीन भाजपा के सांसद है। भले ही उन पर आरोप महिला खिलाडियों के यौन शोषण का लग रहा हों। पर खेल के समीक्षकों का यह विवाद खेल संघों में बर्चस्व की जंग के साथ खेल में राजनेताओं से मुक्ति का खिलाडियों की वर्षों पुरानी जंग का हिस्सा ही लग रहा है। जिस प्रकार से यह मामला उठा उससे पूरे देश विदेश में भारत के खेल संगठन कटघरे में घिर गये है। आम जनता का पहला सवाल यह है कि खेल संगठनों में राजनेताओं व उनके परिजनों का क्या काम है? राजनेता देश प्रदेश की समस्याओं का निदान तो कर नहीं पा रहे हैं। वे खेल संगठनों में लोकप्रियता व अथाह धन सम्पदा पर नजर गाडने की मंशा से इन खेल संगठनों में कुण्डली मार कर बेठ जाते हैं। जिससे खेल का भी राजनीतिकरण कर भट्टा गोल कर देते है। इसी कारण देश में खेल प्रतिभाओं को उचित अवसर, प्रशिक्षण नहीं मिलता। जिससे संसार की आबादी का सातवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाला भारत विश्व खेल प्रतियोगिताओं में दसवें स्थान पर भी नहीं पंहुच पाता है।
कुश्ती महासंघ ही नहीं देश के अधिकांश खेल संगठन पर राजनेताओं व उनके परिजनों-प्यादों शिकंजे में है। वर्तमान में देश की नजरों में कटघरे में घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सन 2011 से लगातार तीन बार अध्यक्ष है।उप्र के गौंडा जनपद के कैसरगंज सीट से छह बार सांसद है। पहलवानी का शोक रखने वाले बृजभूषण टाडा से जुडे मामले में जेल यात्री भी रहे। जेल यात्री होने के समय उनकी पत्नी केतकी सिंह उनकी वारिस रही। यही नहीं उनके दो बेटों में एक बेटा प्रतीक भूषण गोंडा से भाजपा के विधायक भी हैं। क्रिकेट हो या हाकी,कुश्ती, बैडमिंटन,रायफल्स, तीरंदाजी, टेबल टेनिस सहित अधिकांश खेलों पर राजनेता कुण्डली मारे बेठे हैं। भारत का सबसे लोकप्रिय व शक्तिशाली खेल क्रिकेट में इस समय भाजपा के चाणाक्य समझे जाने वाले अमित शाह का बेटा सरताज है। इससे पहले इसमें देश के सबसे रहस्यमय व शक्तिशाली राजनेता शरद पवार, भाजपा के शीर्ष नेता अरूण जेटली, भी रहे। वहीं जगमोहन डालमिया व भारतीय क्रिकेट को विश्व में सबसे शक्तिशाली बनाने वाले ललित मोदी भी है। पत्रकारिता में भले ही कोई कीर्तिमान स्थापित करने में विफल रहे कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला तो कांग्रेस राज के सूर्यास्त के बाद आज भी क्रिकेट में अपना परचम लहरा रहे है। टेबल टेेनिस में हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला की पत्नी अध्यक्ष है। रायफल्स में अमरेंद्र परिवार, बेडमिटन में असम के मुख्यमंत्री हिमंता सरमा, तीरंदाजी में भाजपा नेता अर्जुन मुंडा, हाकी में बीजू जद के पूर्व सांसद हाकी खिलाडी दिलीप टिर्की, वहीं उप्र के राजनेता तो महिला खिलाडी प्रकरण में आकंठ घिरे रहे।
उल्लेखनीय है कि संसद की चैखट जंतर मंतर पर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों ने दो दिनों से मोर्चा ही खोल दिया। 18 जनवरी को भीड़ कम थी पर 19 फरवरी को दो सो से अधिक देश विदेश के बडे पत्रकार घरानों से जुडे सैकडों पत्रकार व बडी संख्या में खिलाडियों का ऐसा जमघट लगा था जो दामनी आंदोलन व अन्ना आंदोलन का सा मजमा फिर से जंतर मंतर पर लगने लगा। इसमें देश की बडी महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष सांसद बृजभूषण पर महिला पहलवानों को यौन शोषण का आरोप लगाते हुये सरकार से तत्काल भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने की मांग की।
खिलाडियों की मांग है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष तत्काल इस्तीफा दे। उन्होने एक स्वर में भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर तानाशाह,खिलाडियों के लिये प्रायोजक, अच्छे प्रशिक्षक, खेल प्रतियोगिताओं का निर्धार्रण व खिलाडियों में खेल भावना का प्रोत्साहन करने में नितांत असफल रहे।
एशिया प्रतियोगिता की स्वर्ण पदक विजेता अंशु मलिक ने दावा किया कि वे अपने कमरे का दरवाजा खोल कर रखते थे। जबकि फेडरेशन का कोई भी सदस्य खिलाडियों वाले होटलों में नहीं ठहर सकता। जबकि जजूनियर विश्व प्रतियोगिता में होटल के उसी तल में रूके हुये थे जिस पर जूनियर लडकियां रूकी हुई थी। साथ ही वह सामने वाले कमरे में थे। यह महिला खिलाडियों ें को असहज स्थिति होती थी। अशु मलिक जंतर मंतर पर देश के नामी पहलवानों द्वारा जंतर मंतर पर आयोजित विरोध प्रदर्शन को संबोधित कर रही थी। उल्लेखनीय है कि इस विरोध धरने में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विश्व पदक विजेता अंशु मलिक, सरिता मोर व जूनियर विश्व चैंपियन सोनम मलिक ने इसमें भाग लिया। सभी पहलवान दो दिन से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे थे।
वहीं जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुला ने भारतीय कुश्ती के खिलाडियों की मांग व प्रदर्शन को देखते हुये सरकार को देश की इज्जत बचाने के लिये तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिये। यह प्रकरण हमारे देश की कीर्ति को दागदार बना रहा है।
महासंघ के अध्यक्ष पर विनेश फोगाट ने रोते हुये यह आरोप लगाया कि बृजभूषण ने कई वर्षो से महिला पहलवानों का यौन शोषण किया। उन्होने दावा किया कि लखनऊ में राष्ट्रीय शिविर में कई कोच ने भी महिला पहलवानों का शोषण किया। उन्होने कहा कि शिविर में कुछ महिलायें है जो महासंघ के अध्यक्ष के कहने पर पहलवानों से संपर्क करती है।
वहीं पहलवानों में धरने का समर्थन करने आयी राष्ट्र मंडल पदक विजेता भाजपा नेत्री बबीता फोगाट ने भारतीय कुश्ती महासंघ को भंग करने की मांग का समर्थन करते हुये कहा कि मैं इसका हल निकालने की हर संभव कोशिश करूंगी। मैं राजनेता बाद में हॅू पहलवान पहले हूँ।
अब देखना यह है कि भारतीय ओलंपिक ओलंपिक संघ द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट व भारतीय कुश्ती महासंघ की महासभा की बैठक में क्या गुल खिलाता है?
जिस ढंग से आंदोलनकारी खिलाड़ी कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग पर डटे हैं और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के साथ पूरा महासंघ एक खड़ा है उसी देखकर नहीं लगता है कि इस मामले में कहीं आर पार वाला फैसला होने वाला है। यह मामला केवल कुश्ती महासंघ तक नहीं जाएगा आपक तो भारत की सभी खेल महासंघ भी इसकी तपन से जरूर प्रभावित होंगे। इसलिए यह मामला जितना सरल नजर आ रहा है इतना सरल और सहज नहीं है ।इस मामले में कहीं ना कहीं वर्चस्व की जंग भी नजर आ रही है । इस समस्या का समाधान होगा या समिति का गठन करके इसकी तपन कम करने का सरकारी एक हथकंडा होगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इसी के साथ कि हरियाणा प्रदेश कुश्ती खेल महासंघ के अध्यक्ष ने महा संघ के केंद्रीय अध्यक्ष भूषण शरण का खुला समर्थन करके प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर मिथ्या आरोप लगाने की बात कही। इसके साथ महासंघ के अध्यक्ष की तरफ से इस पूरे प्रकरण के लिए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके बेटे पर निशाना साधा।