किरण नेगी और अंकिता भंडारी हत्याकांड के मामले में सरकार की लचर पैरवी पर हरीश रावत नाराज सरकार पर बरसे
नई दिल्ली 5 दिसंबर 2022
भले ही उत्तराखंड सरकार ने अंकिता भंडारी प्रकरण पर हो रही प्रदेश भाजपा सरकार की चौतरफा किरकिरी से बचने के लिए उत्तराखंड विधानसभा का 1 सप्ताह तक चलने वाला सत्र आनन-फानन में मात्र 2 दिन में ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया हो, परंतु उत्तराखंड समाज व विपक्षी दल इस मामले में गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए उत्तराखंड व दिल्ली में कमर कस चुका है।
उत्तराखंड समाज की तरफ से जहां नजफगढ़ की दामिनी किरण नेगी के मामले में उत्तराखंड समाज की तरफ से अधिवक्ता संदीप शर्मा के नेतृत्व में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर ली। वहीं दूसरी तरफ भाजपा सांसद अनिल बलूनी की पहल पर उपराज्यपाल ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं को जिम्मेदारी भी सौंप चुके हैं।
उत्तराखंड सरकार द्वारा अंकिता भंडारी प्रकरण पर मुख्य गुनाहगारों को किस प्रकार से बचाया जा रहा है उसके खिलाफ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दिल्ली में मोर्चा खोल दिया है। श्री रावत ने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि प्रदेश सरकार इस मामले में न सीबीआई जांच करा रही है व ना ही इस प्रकरण की मुख्य गुनाहगारों को सजा देने के लिए उनका नाम तक उजागर नहीं कर रही है। अपितु उनका बचाव कर रही है। श्री रावत ने कहा कि इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा जाना चाहिए ।क्योंकि इसमें प्रदेश की सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता सम्मलित हैं। वहीं कांग्रेस, अंकिता भंडारी प्रकरण में प्रदेश सरकार की कमजोर जांच व पैरवी के विरोध में कर रही है राज्य भर में व्यापक धरना प्रदर्शन का आयोजन ।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नजफगढ़ की दामिनी (किरण नेगी) और उत्तराखंड की अनामिका ( अंकिता भंडारी) हत्याकांड के मामले में केंद्र और राज्य सरकार की लचर पैरवी पर कड़ी नाराजगी का इजहार करते हुए इसे भारतीय संस्कृति के साथ सवा करोड़ उत्तराखंडियों का अपमान बताया। पूर्व केंद्रीय मंत्री व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज 5 दिसंबर 2022 को दिल्ली के प्रेस क्लब में प्रमुख उत्तराखंडियों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में जिसमें प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री धीरेंद्र प्रताप, कांग्रेस के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हरिपाल रावत, उत्तराखंड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देव सिंह रावत, पत्रकार कुशाल जीना, सुनील कुमार, प्रमोद शर्मा, देवेंद्र , श्रीकांत भाटिया आदि शामिल थे। सभी नेताओं ने राज्य सरकार कि इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने में विफलता पर गहरी नाराजगी का इजहार किया और इस संबंध में भारत के कानून मंत्री किरण रज्जू का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड से चुने सांसदों से भी 8 दिसंबर से हो रहे संसद सत्र में इस मामले में आवाज उठाने की अपील की। श्री रावत ने कहा कि उनका मूकदर्शक रहना आज उत्तराखंड की जनता के लिए चिंता का विषय बन गया है। उन्होंने राज्य विधानसभा का सत्र मात्र 2 दिनों में समाप्त किए जाने को भी राज्य सरकार की मातृशक्ति के अपमान की घटनाओं से राज्य विधानसभा में होने वाले विरोध का सामना ना करने की हिम्मत को इसका मुख्य कारण बताया।