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सतेंद्र जैन आदि आरोपियों को मंत्रीपद व दल में संरक्षण दे कर देश की जनता  के सम्मुख बेनकाब हुये केजरीवाल

केजरीवाल स्वराज की हकीकत तिहाड जेल भी बनाा दी सतेंद्र जैन जैसे केदियों की ऐशगाह व वसूली का अड्डा।
देवसिंह रावत

आज पूरे देश के लोग खबरिया चैनलों में देश की सबसे सुरक्षित जेल समझी जाने वाली दिल्ली की विख्यात तिहाड जेल में संगीन आरोपों में कई महिनों से बंद  दिल्ली के जेल मंत्री सतेंद्र जैन को हाथ पेर दबवात सेवा कराते व अपनी पंचायत लगाने के वीडियो देख कर पूरा देश स्तब्ध है। लोग हैरान है कि तिहाड जेल है या भ्रष्ट व कुख्यात नेताओं की ऐशगाह व वसूली का अड्डा है। क्या यही है केजरीवाल के स्वराज की हकीकत। भ्रष्टाचारियों की ऐशगाह बनाया लोकशाही को।
आखिर दिल्ली की जेल में ऐसी ऐशगाह दिल्ली के मुख्यमंत्री एक केदी पर क्यों मेहरवान हुचे है। वह भी वह मुख्यमंत्री जो चंद साल पहले दिल्ली व देश की सडकों पर भ्रष्टाचार व कुव्यवस्था के खिलाफ घडियाली आंसू बहाकर देश में लोकशाही रूपि स्वराज स्थापित करने का वचन देकर दिल्ली प्रदेश की सत्ता में आसीन हुआ है। सत्तासीन होने के बाद केजरीवाल का अपने  जेल में बबद आरोपी नेताओं को तत्काल बर्खास्त करने के बजाय उनको दल व सरकार में महत्वपूर्ण पदों में आसीन करे रख कर देश की जनता से एक प्रकार का विश्वासघात किया। आज दिल्ली की जनता केजरीवाल के इस विश्वासघात को देख कर ठगी महसूस कर रही है। आखिर देश की जनता विश्वास करे तो किस पर करे। जनता कांग्रेस व भाजपा के कुशासन से मुक्ति पाने के लिए दिल्ली में केजरीवाल की बातों पर विश्वास कर उन्हें इस आश्वासन पर दिल्ली की सत्ता सोंपी थी कि वे भ्रष्टाचार आदि आरोपी नेताओं को तत्काल अपने दल से हटा कर जेल में सलाखों की पिछे बंद कर देंगे। परन्तु सत्तासीन होने के बाद केजरीवाल का असली चेहरा देख कर देश की जनता हैरान व खुद को ठगी महसूस कर रही है।
हालंकि केजरीवाल व उसके दल के नेताओं के कृत्यों को भाजपा व कांग्रेस के नेता समय समय पर उजागर करके जनता को सजग करते आये। जनता इस बात से हैरान थी कि जिस जनलोकपाल के गठन के लिए केजरीवाल ने अपनी पहली सरकार दाव पर लगा दी थी। उस जनलोकपाल को वह अब दिल्ली व पंजाब में सत्तासीन होने के बाद गधे की सींग की तरह भूल गया है। दिल्ली सहित देश की जनता उस समय भी हैरान हुई कि जब केजरीवाल के जनलोकपाल के गुरू अण्णा हजारे जिनके आंदोलन की आड में ही केजरीवाल ने अपनी आम आदमी पार्टी का गठन करके दिल्ली की जनता की आंखों में मुफ्त बिजली पानी आदि के टोटकों के सहारे जनादेश अर्जित कर दिल्ली की सत्ता में काबिज हुये। दिल्ली में सत्तासीन होने के बाद वे जनलोकपाल आंदोलन के दौरान दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आदि नेताओं पर लगाये अपने आरोपों को सिरे से भूल गये। वे आरोपियों को जेल में बंद करने के वचन पर भी खरे नहीं उतर पाये। यही नहीं उन्होने जिस  प्रकार से सतेंद्र जैन सहित आरोपी आप मंत्रियों व नेताओं का शर्मनाक संरक्षण किया उससे भाजपा कांग्रेस के नेताओं ने उनसे तत्काल इस्तीफा देने की मांग की । इसके साथ उनके गुरू अण्णा हजारे ने भी उनके शासन को बद से बदतर बताते हुचे उनके कृत्यों पर गहरी निराशा प्रकट की। केजरीवाल का यह पहला कृत्य नहीं कि जिससे देश की जनता हैरान है दिल्ली दंगों व ंअंध तुष्टिकरण में केजरीवाल के नेताओं की संलिप्तता व खुद केजरीवाल सरकार के दोहरे मापदण्ड से जनता को बेहद दुख हुआ। खासकर उन युवाओं जिन्होने केजरीवाल के देश मे व्यवस्था बदल कर स्वराज स्थापित करने के लिये अपना जीवन दाव पर लगा दिया था। वे आप ठगे महसूस कर रहे है। खासकर तिहाड जेल में बंद एक कुख्यात ठग द्वारा केजरीवाल व उसके मंत्री सतेंद्र जैन की वसूली का कच्चा चिठठा खोले जाने ने जनता बेहद आहत है। ऐसे भ्रष्ट नेताओं व ठगो से वसूली के आरोपों में घिरे केजरीवाल भले ही अन्य दल के नेताओं की तरह सत्ता की बाजीगरी कर लें परन्तु जनता के दिल्ली में उनकी जो छवि थी और जो आशा थी वह इन प्रकरणों खासकर दिल्ली दंगों, सतेंद्र जैन, मनीष सिसौदिया के शराब प्रकरण, दिल्ली में हवाई खेल विश्व वि़धालय ,कोरोना काल में कुव्यवस्था, ठग सुकेश प्रकरण के बाद दिल्ली में दिवाली पर पटाखे प्रतिबंद्ध व पंजाब में पराली प्रकरण व अंध तुष्टिकरण वाले फरमानों से पूरी तरह बेनकाब हो गये है। जिस प्रकार से केजरीवाल ने नजफगढ  की दामनी प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वरा जघन्य हत्याकाड व बलातकार के फांसी की सजा पाये आरोपियों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा छोडे जाने वाले प्रकरण पर न त्वरित कार्यवाही कर इस मामले की सर्वोच्च न्यायालय में पुर्नविचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया व नहीं पीडिता के परिजनों को सबल करने का काम किया। इससे केजरीवाल के दिल व दिमाग में भाजपा व कांग्रेस आदि नेताओं की तरह  आम आम आदमी यानी गरीबों के लिये कोई स्थान न होने की बात स्वतः उजांगर हो गयी। तमाम प्रकरणों से साफ लगता है कि केजरीवाल जनसेवा के नाम पर अन्य राजनेताओं की तरह मात्र सत्तालोलुपु व्यक्ति है जनसेवक नहीं। केजरीवाल की समस्या यही है कि वह एक रूपये का  काम करता है तो उसका प्रचार 100 रूपये का करता है । यही काम शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि में केजरीवाल ने दिल्ली में किया। उसकी ढपली ही देश व दुनिया भर में बजाते रहे। जबकि वह चाहते तो दिल्ली में आमूल परिवर्तन कर दिल्ली की जनता को बेहतर सुशासन दे सकते । परन्तु सत्तामोह में वे ऐसे कृत्य कर रहे है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि वह भी देर सबेर भारत के लिए जेलैस्की साबित होंगे।

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