(गांधीनगर, गुजरात के महात्मा मंदिर कन्वेन्शन और एक्सबिशन सेंटर में डिफेंस एक्सपो 2022 के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ)
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, देश के रक्षामंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल, गुजरात सरकार में मंत्री जगदीश भाई, अन्य मंत्रीपरिषद के सारे वरिष्ठ सदस्य, CDS जनरल अनिल चौहान जी, चीफ़ ऑफ एयर स्टाफ़ एयर चीफ़ मार्शल वीआर चौधरी, चीफ़ ऑफ नेवल स्टाफ़ एडमिरल आर. हरिकुमार, चीफ़ ऑफ आर्मी स्टाफ़ जनरल मनोज पांडे, अन्य सभी महानुभाव, विदेशों से आए हुए सभी गणमान्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!
गुजरात की धरती पर सशक्त, समर्थ और आत्मनिर्भर भारत के इस महोत्सव में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। देश के प्रधानमंत्री के रूप में आपका स्वागत करना ये जितना गौरवपूर्ण है, उतना ही गौरवपूर्ण इस धरती के बेटे के रूप में आप सबका स्वागत करने का भी मुझे गर्व है। DefExpo-2022 का ये आयोजन नए भारत की ऐसी भव्य तस्वीर खींच रहा है, जिसका संकल्प हमने अमृतकाल में लिया है। इसमें राष्ट्र का विकास भी है, राज्यों का सहभाग भी है। इसमें युवा की शक्ति भी है, युवा सपने भी हैं। युवा संकल्प भी है, युवा साहस भी है, युवा सामर्थ्य भी है। इसमें विश्व के लिए उम्मीद भी है, मित्र देशों के लिए सहयोग के अनेक अवसर भी हैं।
साथियों,
हमारे देश में डिफेंस एक्सपो पहले भी होते रहे हैं, लेकिन इस बार का डिफेंस एक्सपो अभूतपूर्व है, एक नई शुरुआत का प्रतीक है। ये देश का ऐसा पहला डिफेंस एक्सपो है, जिसमें केवल भारतीय कंपनियाँ ही भाग ले रही हैं, केवल मेड इन इंडिया रक्षा उपकरण ही हैं। पहली बार किसी डिफेंस एक्सपो में भारत की मिट्टी से, भारत के लोगों के पसीने से बनी अनेक विविध उत्पाद हमारे ही देश की कंपनियाँ, हमारे वैज्ञानिक, हमारे युवाओं का सामर्थ्य का आज हम लौहपुरुष सरदार पटेल की इस धरती से दुनिया के सामने हमारे सामर्थ्य का परिचय दे रहे हैं। इसमें 1300 से ज्यादा exhibitors हैं, जिसमें भारतीय उद्योग हैं, भारत के उद्योगों से जुड़े कुछ ज्वाइंट वेंचर्स हैं, MSMEs और 100 से ज्यादा स्टार्टअप्स हैं। एक तरह से आप सब यहाँ और देशवासी और दुनिया के लोग भी क्षमता और संभावना, दोनों की झलक एक साथ देख रहे हैं। इन्हीं संभावनाओं को साकार करने के लिए पहली बार 450 से ज्यादा MOUs और एग्रीमेंट्स साइन किए जा रहे हैं।
साथियों,
ये आयोजन हम काफी समय पहले करना चाहते थे। गुजरात के लोगों को तो भलीभाँति पता भी है। कुछ परिस्थितियों के कारण हमें समय बदलना पड़ा, उसके कारण थोड़ा विलंब भी हुआ। जो विदेशों से मेहमान आने थे, उनको असुविधा भी हुई, लेकिन देश के अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो ने एक नए भविष्य का सशक्त आरंभ कर दिया है। मैं ये जानता हूँ कि इससे कुछ देशों को असुविधा भी हुई है, लेकिन बड़ी संख्या में विभिन्न देश सकारात्मक सोच के साथ हमारे साथ आए हैं।
साथियों,
मुझे खुशी है कि भारत जब भविष्य के इन अवसरों को आकार दे रहा है, तो भारत के 53 अफ्रीकन मित्र देश कंधे से कंधा मिलाकर हमारे साथ खड़े हैं। इस अवसर पर दूसरा इंडिया-अफ्रीका डिफेंस डायलॉग भी आरंभ होने जा रहा है। भारत और अफ्रीकन देशों के बीच ये मित्रता, ये संबंध उस पुराने विश्वास पर टिका है, जो समय के साथ और मजबूत हो रहा है, नए आयाम छू रहा है। मैं अफ्रीका से आए अपने साथियों को बताना चाहता हूं कि आज आप गुजरात की जिस धरती पर आए हैं, उसका अफ्रीका के साथ बहुत पुराना और आत्मीय संबंध रहा है। अफ्रीका में जो पहली ट्रेन चली थी, उसके निर्माण कार्य में यहीं इसी गुजरात की कच्छ से लोग अफ्रीका गए थे और उन्होंने मुश्किल अवस्था में हमारे कामगारों ने जी-जान से काम करके अफ्रीका में आधुनिक रेल उसकी नींव रखने में बड़ी भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं आज अफ्रीका में जाएंगे, तो दुकान शब्द कॉमन है, ये दुकान शब्द गुजराती है। रोटी, भाजी ये अफ्रीका के जनजीवन में जुड़े हुए शब्द हैं। महात्मा गांधी जैसे वैश्विक नेता के लिए भी गुजरात अगर उनकी जन्मभूमि थी, तो अफ्रीका उनकी पहली कर्मभूमि थी। अफ्रीका के प्रति ये आत्मीयता और ये अपनापन आज भी भारत की विदेश नीति के केंद्र में है। कोरोनाकाल में जब वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया चिंता में थी, तब भारत ने हमारे अफ्रीकन मित्र देशों को प्राथमिकता देते हुये वैक्सीन पहुंचाई। हमने हर जरूरत के समय दवाइयों से लेकर पीस-मिशन्स तक, अफ्रीका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का प्रयास किया है। अब रक्षा क्षेत्र में हमारे बीच का सहयोग और समन्वय इन सम्बन्धों को नई ऊंचाई देंगे।
साथियों,
इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण आयाम ‘इंडियन ओशन रीजन प्लस’ की डिफेंस मिनिस्टर्स conclave भी है। इसमें हमारे 46 मित्र देश हिस्सा ले रहे हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर वैश्विक व्यापार तक, मेरीटाइम सेक्योरिटी एक ग्लोबल प्राथमिकता बनकर उभरा है। 2015 में मैंने मॉरीशस में Security and Growth for All in the Region यानी, ‘सागर’ का विज़न भी सामने रखा था। जैसा कि मैंने सिंगापुर में Shangri La Dialogue में कहा था, इंडो-पैसिफिक रीजन में, अफ्रीकी तटों से लेकर अमेरिका तक, भारत का एंगेजमेंट inclusive है। आज globalization के दौर में मर्चेन्ट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है। दुनिया की भारत से अपेक्षाएं बढ़ीं हैं, और मैं विश्व को विश्वास दिलाना चाहता हूं। आपकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत हर कोशिश प्रयास करता रहेगा। हम कभी पीछे नहीं हटेंगे। इसलिए, ये डिफेंस एक्सपो, भारत के प्रति वैश्विक विश्वास का प्रतीक भी है। इतने सारे देशों की उपस्थिति के जरिए विश्व का बहुत बड़ा सामर्थ्य गुजरात की धरती पर जुट रहा है। मैं इस आयोजन में भारत के सभी मित्र राष्ट्रों और उनके प्रतिनिधियों का हृदय से स्वागत करता हूँ। मैं इस भव्य आयोजन के लिए गुजरात के लोगों और विशेष रूप से मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल, उनकी पूरी टीम का अभिनंदन करता हूँ। देश और दुनिया में विकास को लेकर, औद्योगिक सामर्थ्य उसे लेकर के गुजरात की जो पहचान है, आज इस डिफेंस एक्सपो से गुजरात की पहचान को चार चांद लग रहे हैं, एक नई ऊंचाई मिल रही है। आने वाले समय में गुजरात डिफेंस इंडस्ट्री का भी एक बड़ा केंद्र बनेगा जो भारत की सुरक्षा और सामरिक सामर्थ्य में गुजरात का भी बहुत बड़ा योगदान देगा, ये मुझे पूरा विश्वास है।
साथियों,
मैं अभी स्क्रीन पर देख रहा था, डीसा के लोग उत्साह से भरे हुए थे। उमंग और उत्साह नजर आ रहा था। डीसा एयरफील्ड का निर्माण भी देश की सुरक्षा और इस क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। डीसा अंतर्राष्ट्रीय सीमा से केवल 130 किमी दूर है। अगर हमारी फोर्सेस विशेषकर हमारी वायु सेना डीसा में होंगी तो हम पश्चिमी सीमा पर किसी भी दुस्साहस का और बेहतर ढंग से जवाब दे पाएंगे। डीसा के भाईयो-बहनों, आपको में गांधीनगर से अनेक-अनेक शुभकामना देता हूं! अब तो डीसा, बनासकांठा, पाटण जिले का सितारा चमक रहा हैं! इस एयरफील्ड के लिए गुजरात की ओर से साल 2000 में ही डीसा को ये जमीन दी गई थी। जब यहां मैं मुख्यमंत्री था तो मैं लगातार इसके निर्माण कार्य के लिए प्रयास करता था। तत्कालीन केंद्र सरकार को उस समय जो सरकार थी उनको बार बार मैं समझा रहा था कि इसका महत्व क्या है। इतनी सारी जमीन दे दी, लेकिन 14 साल तक कुछ नहीं हुआ और फाइलें भी ऐसी बना दी गई थी, ऐसे सवालिया निशान डाले गए थे कि मुझे वहां पहुंचने के बाद भी सही तरीके से सही चीजों को प्रस्थापित करने में भी टाइम गया। सरकार में आने के बाद हमने डीसा में ऑपरेशनल बेस बनाने का फैसला लिया, और हमारी सेनाओं की ये अपेक्षा आज पूरी हो रही है। मेरे डिफेंस के साथी जो भी चीफ ऑफ डिफेंस आप बने। हर किसी ने मुझे हमेशा इस बात की याद दिलाई थी और आज चौधरी जी के नेतृत्व में ये बात सिद्ध हो रही है। जितना अभिनंदन डीसा को है, उतना ही अभिनंदन मेरे एयरफोर्स के साथियों को भी है। ये क्षेत्र अब देश की सुरक्षा का एक प्रभावी केंद्र बनेगा। जैसे बनासकांठा और पाटण उसने अपनी एक पहचान बनाई थी और वो पहचान थी बनासकांठा पाटण गुजरात में सौर शक्ति solar energy का केंद्र बनकर उभरा है, वही बनासकांठा पाटण अब देश के लिए वायु शक्ति का भी केंद्र बनेगा।
साथियों,
किसी भी सशक्त राष्ट्र के लिए भविष्य में सुरक्षा के मायने क्या होंगे, स्पेस टेक्नॉलॉजी इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। मुझे बताया गया है कि तीनों सेनाओं द्वारा इस क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा की गई है, पहचान की गई है। हमें इनके समाधान के लिए तेजी से काम करना होगा। ‘मिशन डिफेंस स्पेस’ देश के प्राइवेट सेक्टर को भी अपना सामर्थ्य दिखाने का अवसर देगा। Space में भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए भारत को अपनी इस तैयारी को और बढ़ाना होगा। हमारी डिफेंस फोर्सेस को नए Innovative Solutions खोजने होंगे। स्पेस में भारत की शक्ति सीमित न रहे, और इसका लाभ भी केवल भारत के लोगों तक ही सीमित न हो, ये हमारा मिशन भी है, हमारा विज़न भी है। स्पेस टेक्नॉलॉजी भारत की उदार सोच वाली स्पेस diplomacy की नई परिभाषाओं को गढ़ रही है, नई संभावनाओं को जन्म दे रही है। इसका लाभ कई अफ्रीकन देशों को, कई अन्य छोटे देशों को हो रहा है। ऐसे 60 से ज्यादा विकासशील देश हैं, जिनके साथ भारत अपनी स्पेस साइन्स को साझा कर रहा है। South Asia satellite इसका एक प्रभावी उदाहरण है। अगले साल तक, आसियान के दस देशों को भी भारत के satellite data तक रीयल-टाइम access मिलेगा। यहां तक कि यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देश भी हमारे सैटेलाइट डेटा का उपयोग कर रहे हैं। इस सबके साथ ही, ये एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें समुद्री व्यापार से जुड़ी अपार संभावनाएं हैं। इसके जरिए हमारे मछुआरों के लिए बेहतर आय और बेहतर सुरक्षा के लिए रियल टाइम सूचनाएं मिल रही हैं। हम जानते हैं कि स्पेस से जुड़ी इन संभावनाओं को अनंत आकाश जैसे सपने देखने वाले मेरे देश के युवा साकार करेंगे, समय सीमा में साकार करेंगे और अधिक गुणवत्ता के साथ साकार करेंगे। भविष्य को गढ़ने वाले युवा स्पेस टेक्नॉलॉजी को नई ऊंचाई तक ले जाएंगे। इसलिए, ये विषय डिफेंस एक्सपो की एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। गुजरात की इस धरती से डॉ. विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिक की प्रेरणा और गौरव भी जुड़ा हुआ है। वो प्रेरणा हमारे संकल्पों को नई ऊर्जा देगी।
और साथियों,
आज बात जब डिफेंस सेक्टर की बात होती है, future warfare की बात होती है, तो इसकी कमान एक तरह से युवाओं के हाथ में है। इसमें भारत के युवाओं के इनोवेशन और रिसर्च की भूमिका बहुत बड़ी है। इसलिए, ये डिफेंस एक्सपो, भारत के युवाओं के लिए उनके future की विंडो की तरह है।
साथियों,
रक्षा क्षेत्र में भारत intent, innovation और implementation के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है। आज से 8 साल पहले तक भारत की पहचान दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस इंपोर्टर के रूप में होती थी। हम दुनियाभर से माल खरीदते थे, लाते थे, पैसे देते रहते थे। लेकिन न्यू इंडिया ने intent दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई, और ‘मेक इन इंडिया’ आज रक्षा क्षेत्र की सक्सेस स्टोरी बन रहा है। पिछले 5 वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात, हमारा defence export 8 गुना बढ़ा है दोस्तों। हम दुनिया के 75 से ज्यादा देशों को रक्षा सामग्री और उपकरण export कर रहे हैं, निर्यात कर रहे हैं। 2021-22 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 1.59 बिलियन डॉलर यानि करीब 13 हजार करोड़ रुपए हो चुका है और आने वाले समय में हमने इसे 5 बिलियन डॉलर यानि 40 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। ये निर्यात ये export केवल कुछ उपकरणों तक सीमित नहीं है, केवल कुछ देशों तक सीमित नहीं है। भारतीय रक्षा कंपनियाँ आज ग्लोबल सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन रही हैं। हम ग्लोबल स्टैंडर्ड के ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ उपकरणों की सप्लाई कर रहे हैं। आज एक ओर कई देश भारत के तेजस जैसे आधुनिक फाइटर जेट में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, तो वहीं हमारी कंपनियाँ अमेरिका, इजराइल और इटली जैसे देशों को भी रक्षा-उपकरणों के पार्ट्स सप्लाई कर रही हैं।
साथियों,
हर भारतीय को गर्व होता है, जब वह सुनता है कि भारत में बनी ब्रह्मोस मिसाइल, अपनी कैटेगरी में सबसे घातक और सबसे आधुनिक मानी जाती है। कई देशों के लिए ब्रह्मोस मिसाइल उनकी पसंदीदा Choice बनकर उभरी है।
साथियों,
भारत की टेक्नॉलॉजी पर आज दुनिया भरोसा कर रही है, क्योंकि भारत की सेनाओं ने उनकी क्षमताओं को साबित किया है। भारत की नौसेना ने INS-विक्रांत जैसे अत्याधुनिक एयरक्राफ़्ट कैरियर को अपने बेड़े में शामिल किया है। ये इंजीनियरिंग का विशाल और विराट मास्टरपीस कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी तकनीक से बनाया है। भारतीय वायुसेना ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाए गए प्रचण्ड Light Combat Helicopters को शामिल किया है। इसी तरह, हमारी थलसेना भी आज स्वदेशी तोपों से लेकर combat guns तक भारतीय कंपनियों से खरीद रही है। यहां गुजरात के हजीरा में बन रही मॉर्डन आर्टलरी, आज देश की सीमा की सुरक्षा बढ़ा रही है।
साथियों,
देश को इस मुकाम तक लाने के लिए हमारी नीतियां, हमारे reforms और ease of doing business में बेहतरी की बड़ी भूमिका है। भारत ने अपने रक्षा खरीद बजट का 68 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के लिए निर्धारित किया है, ईयरमार्क किया है। यानि जो टोटल बजट है, उसमें से 68 पर्सेंट भारत में बनी भारत के लोगों के द्वारा बनी हुई चीजों को खरीदने के लिए हमने ईयरमार्क कर दिया है। ये बहुत बड़ा निर्णय है, और ये निर्णय इसलिए हुआ है कि भारत की सेना को जो प्रगतिशील नेतृत्व मिला है, वो सेना में बैठे हुए लोगों के हौसले के कारण ये निर्णय हो पा रहा है। ये राजनीति इच्छाशक्ति से होने वाले निर्णय नहीं हैं। ये निर्णय सैन्य की इच्छाशक्ति से होता है और आज मुझे गर्व है कि मेरे पास ऐसे जवान हैं, मेरे सेना के ऐसे अफसर हैं कि ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों को वो आगे बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा हमने डिफेंस सेक्टर को रिसर्च और इनोवेशन के लिए स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री और academia के लिए खोला, 25 प्रतिशत रिसर्च बजट हमने बाहर जो academia है नई पीढ़ी है, उनके हाथ में सुपुर्द करने का साहसपूर्ण निर्णय किया है, और मेरा भरोसा मेरे देश की युवा पीढ़ी में है। अगर भारत सरकार उनको सौ रुपय देगी, मुझे पक्का विश्वास है वो देश को दस हजार रुपया लौटाकर के दे देंगे, ये मेरे देश की युवा पीढ़ी में दम है।
मुझे खुशी है कि सरकार के प्रयासों के साथ ही हमारी सेनाओं ने भी आगे आकर ये तय किया है कि देश की रक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा साजो-सामान देश के भीतर जो बना है, उसी को खरीदेंगे। सेनाओं ने मिलकर कई उपकरणों की दो लिस्ट्स भी तय की है। उन्होंने एक लिस्ट वो बनाई है, जिसमें सिर्फ देश में बनी हुई चीजों की खरीदी की जाएगी, और कुछ लिस्ट ऐसी हैं कि जो अनिवार्य होगा तो बाहर से ली जाएगी। आज मुझे खुशी है। मुझे बताया गया आज उन्होंने उसमें 101 और चीजें नई आज जोड़ दी हैं, जो सिर्फ भारत में बनी चीजें ली जाएंगी। ये निर्णय आत्मनिर्भर भारत के सामर्थ्य को भी दिखाते हैं, और देश के जवानों का अपने देश के सैन्य साजो-सामान को लेकर बढ़ रहे भरोसे का भी प्रतीक हैं। इस लिस्ट के बाद रक्षा क्षेत्र के ऐसे 411 साजो-सामान और उपकरण होंगे, जिन्हें भारत केवल ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खरीदेगा। आप कल्पना करिए, इतना बड़ा बजट भारतीय कंपनियों की नींव को कितना मजबूत करेगा, हमारे रिसर्च और इनोवेशन को कितनी बड़ी ताकत देगा। हमारे defence manufacturing sector को कितनी बड़ी बुलंदी देगा! और इसका कितना बड़ा फायदा मेरे देश की युवा पीढ़ी को होने वाला है।
साथियों,
इस चर्चा के बीच मैं एक और विषय जरूर कहना चाहता हूं। और मैं समझता हूं कि इस बात को हमें समझना होगा, जो commentators होते हैं, वो भी कभी-कभी इन चीजों में फंस जाते हैं। लेकिन मैं कहना जरूर चाहुंगा, हमारा जीवन का बहुत अनुभव है। जब हम ट्रेन के अंदर प्रवेश करते हैं। अगर एक सीट पर चार लोग बैठे हैं और पांचवा आ जाए तो ये चारों मिलकर के पांचवे को घुसने नहीं देते हैं, रोक देते हैं। ठीक वैसी ही स्थिति डिफेंस की दुनिया में मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की रही है। दुनिया में डिफेंस सप्लाई के क्षेत्र में कुछ एक कंपनियों की जो monopoly चलती है, वे किसी को घुसने ही नहीं देते थे। लेकिन भारत ने हिम्मत करके अपनी जगह बना ली है। आज दुनिया के लिए भारत के नौजवानों का ये कौशल एक विकल्प बनकर के उभर रहा है दोस्तों। भारत के नौजवानों का डिफेंस के सेक्टर में ये जो सामर्थ्य उभरकर के सामने आ रहा है। वो दुनिया का भला करने वाला है। दुनिया के लिए नए अवसर देने वाला है। Alternate के लिए नए अवसर पैदा करने वाला है। और हमारे नौजवानों का ये प्रयास मुझे पूरा विश्वास है कि नौजवानों के प्रयास के कारण आने वाले दिनों में देश का सुरक्षा का क्षेत्र तो मजबूत होगा ही होगा। लेकिन साथ-साथ देश के सामर्थ्य में, देश के युवा सामर्थ्य में भी अनेक गुणा बढ़ोत्तरी होगी। आज के इस डिफेंस एक्सपो में जो चीजें हम दिखा रहे हैं। उसमें मैं ग्लोबल गुड का भी संकेत देख रहा हूं। इसका बड़ा लाभ दुनिया के छोटे देशों को होगा, जो संसाधनों की कमी के कारण अपनी सुरक्षा में पीछे छूट जाते हैं।
साथियों,
भारत डिफेंस सेक्टर को अवसरों के अनंत आकाश के रूप में देखता है, सकारात्मक संभावनाओं के रूप में देखता है। आज हमारे यहाँ यूपी और तमिलनाडू में दो डिफेंस कॉरिडॉर्स तेज गति से विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया की कई बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भारत में इन्वेस्ट करने के लिए आ रही हैं। इस इनवेस्टमेंट के पीछे सप्लाई चेन्स का एक बड़ा नेटवर्क विकसित हो रहा है। इन बड़ी कंपनियों को हमारी MSMEs, हमारे लघु उद्योगों को भी इसके कारण ताकत मिल जाती है और हमारी MSMEs सहयोग करेंगी, और मुझे विश्वास है हमारे इन छोटे-छोटे उद्योगों के हाथ में भी पूंजी पहुंचने वाली है। इस क्षेत्र में लाखों करोड़ के निवेश से युवाओं के लिए उन क्षेत्रों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होने वाले हैं, और एक नए विकास की ऊंचाई को प्राप्त करने की संभावना बन जाती है। मैं गुजरात डिफेंस एक्सपो में मौजूद सभी कंपनियों से भी आवाहन करना चाहता हूँ, आप इन अवसरों को भविष्य के भारत को केंद्र में रखकर आकार दीजिये। आप मौका जाने मत दीजिए, आप इनोवेट करिए, दुनिया में बेस्ट बनाने का संकल्प लीजिये, और सशक्त विकसित भारत के सपने को आकार दीजिये। मैं नौजवानों को, रिसरचर्स को, इनोवेटर्स को विश्वास देता हूं, मैं आपके साथ हूं। आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए मैं मेरा आज आपके लिए खपाने के लिए तैयार हूं।
साथियों,
देश बहुत तेजी से बदल रहा है, आप भी अनुभव करते होंगे। यही देश कोई जमाना था, जब कबूतर छोड़ा करता था। आज चीता छोड़ने की ताकत रखता है। इस सामर्थ्य के साथ घटनाएं छोटी होती हैं। लेकिन संकेत बहुत बड़े होते हैं। शब्द समर सरल होते हैं, लेकिन सामर्थ्य अपरंपार होता है, और आज भारत की युवा शक्ति, भारत का सामर्थ्य विश्व के लिए आशा का केंद्र बन रहा है। और आज का ये डिफेंस एक्सपो उसी का एक रूप लेकर के आपके सामने प्रस्तुत है। मैं हमारे रक्षामंत्री राजनाथ जी को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि इस काम के लिए जो कड़ी मेहनत उन्होंने की है, जो पुरुषार्थ किया है। कम बोलते हैं, लेकिन बहुत मजबूती से काम करते हैं। मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं, उनकी पूरी टीम का अभिनंदन करता हूं। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं और आने वाली दीपावली के त्योहारों की भी शुभकामनाएं। हमारे गुजरात के लोगों को नए साल की शुभकामनाएं।
धन्यवाद।
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