रूस के बारे में भ्रामक खबरें फैलाने के बाद अब चीन की तरफ रुख
देवसिंह रावत
पूरे विश्व में एक अपुष्ट खबर बहुत तेजी से फैल रही है की चीन में राष्ट्रपति जिनपिंग को नजर बंद करके उन्हें सेना की सर्वोच्च प्रमुख पद से हटाकर नजरबंद किया किया है।
इस खबर में कितनी सच्चाई है यह खबर चीन विरोधी पश्चिमी तत्वों द्वारा जानबूझकर फैलाई जा रही है जिस प्रकार रूस में पुतिन व यूक्रेन रूस युद्ध के बारे में तमाम भ्रामक खबरें विशेष रणनीति के तहत फैलाई जा रही है वह कोई नई बात नहीं है। विश्व युद्ध सहित प्राचीन काल से लेकर आज तक भी अधिकांश देश, दुश्मन देशों के बारे में इस प्रकार की भ्रामक खबरें सामरिक रणनीति के तहत फैलाते हैं ।क्योंकि इससे दुश्मन सेना व जनता का मनोबल कमजोर होता है और शत्रु को परास्त करने के लिए यह एक ब्रह्मास्त्र सा होता है। क्योंकि आज के संसार में पश्चिमी देशों का खबरिया तंत्र की जकड़ में पूरी दुनिया है। इसलिए इस प्रकार की खबरों पर विश्वास भी नहीं होता है। इस प्रकार की रणनीति के तहत दुश्मन की अच्छाइयों को छुपाते हुए उसकी छदम बुराइयों का प्रचार किया जाता है ।जिससे देश विदेश में वहां की सत्ता के खिलाफ विश्व समुदाय में व्यापक आक्रोश बना रहे। यही काम अमेरिका व उनके साथियों ने इराक व लीबिया पर अमेरिकी हमले के दौरान किया। सद्दाम हुसैन व कर्नल गद्दाफी के खिलाफ झूठी खबरों को फैलाकर दोनों देशों में जबरन कब्जा किया । अगर उस समय ही संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी भूमिका निभाते हुए आक्रमणकारी अमेरिका को दंडित करता तो आज रूस यूक्रेन युद्ध नहीं होता।
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका विश्व में आतंक की फैक्ट्री समझने वाले पाकिस्तान को संरक्षण करके भारत को कमजोर करने की दाव खेल रहा है और इसके लिए वह कश्मीर खालिस्थान इत्यादि मुद्दों पर खुद वह अपने नाटो समर्थकों से यह कृत्य करा रहा है इसी कड़ी में इंग्लैंड में हो रहे भारतीयों पर हमले को भी देखा जा सकता है।
अब आज वही अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन को लड़ा कर उसके खिलाफ विश्व समुदाय को खड़ा किया हुआ है। जबकि रूस, यूक्रेन से बार-बार अमेरिका के झांसे में ना आने का आग्रह करता रहा जब अमेरिका का प्यादा बने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने उसको बर्बादी के गर्त में धकेलने के लिए आतुर अमेरिका व उसके रूस विरोधी संगठन नाटो की गोद में बैठने का ही निश्चय किया तो मजबूरन अपने देश की रक्षा के लिए अमेरिका के एजेंट बने जेलेंस्की को सबक सिखाने के लिए यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब जब रूस युद्ध समाप्त करना चाहता है तो अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र यूक्रेन के जेलेंस्की को घातक हथियार देकर उसको युद्ध में ही उलझाना चाहते हैं। ताकि वे अपने हथियारों के व्यापार को बढ़ाते रहें। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका विश्व में रूस को बदनाम कर रहा है कि उसने यूक्रेन जैसे छोटे देश पर हमला किया। हकीकत यह है कि सोवियत संघ के परिवार के देशों के अंदर घुसपैठ करके अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र सोवियत संघ की तरह ही रूस को तबाह करना चाहते हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को मोहरा बनाकर रूस के खिलाफ विश्व को गुमराह कर रहे हैं। हकीकत यह है कि अमेरिका यूक्रेन में नाहक दखलअंदाजी करके विश्व की अमन-चैन पर ग्रहण लगाकर लोकशाही का सबसे बड़ा पैरोकार बन रहा है
ताइवान और चीन की तनातनी के बीच चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बारे में जो खबरें फैलाई जा रही हैं ।इसके पक्ष में जो दलीले दी जा रही है यह है कि समरकंद से शंघाई सहयोग संगठन के बैठक के बाद जब चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग वापिस चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे तो उनको वहां से सीधा उनको आवास में नजरबंद कर दिया गया और यह पूरा तख्तापलट का खेल चीन कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभावशाली गुट ने किया। इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि सेना के सार्वजनिक अवकाश के अवसर पर यह कार्य किया गया। चीन के कम्युनिस्ट पार्टी में प्रभावशाली गुट नहीं चाहता है कि राष्ट्रपति जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति पद पर बने। इसके अलावा यह भी जगजाहिर है कि जिस प्रकार से जिनपिंग को ताउम्र के लिए चीन का सर्वोच्च सम्मान बना दिया गया था और उसकी समय-समय पर चीन कम्युनिस्ट पार्टी के विशेष अधिवेशन में पुष्टि की जाती रहती। खबरों के अनुसार चीन में सेना की भी गतिविधियां जमीन व आकाश में एकदम शांत हो गई है। हालांकि चीन की किसी अधिकारिक सूत्र ने इसकी पुष्टि नहीं की है। इसके बावजूद इस प्रकार की आशंका जताना विश्व की आम लोगों कि उसकी उत्सुकता को जगाता है। इन खबरों को दरकिनार करते हुए भी अगर सच्चाई से देखा जाए जो जिनपिंग ने चीन को विश्व की महा शक्ति में तब्दील किया। जिस प्रकार से सोवियत संघ के विघटन के बाद कमजोर रूस को पुतिन का चमत्कारी व वरदानी नेतृत्व ने आज विश्व की महाशक्ति में पुनः स्थापित कर दिया है। उससे अमेरिका तिलमिलाया हुआ है। इस सच्चाई से भी कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है कि चीन की विस्तारवादी प्रवृत्ति के कारण ही उसके अधिकांश भारत, जापान, ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया आदि शांतिप्रिय पड़ोसी भी चीन के कारण अशांत जीवन जी रहे हैं। आज भले ही ताइवान को अमेरिकी संरक्षण मिलने के कारण चीन उस पर तिब्बत जैसा कब्जा करने में विफल रहा है। परंतु चीन ने अपने तमाम पड़ोसी देशों की जमीनों को कब्जा कर चीन के खिलाफ अमेरिका के गठबंधन को मजबूत करने का ही काम किया है। जो चीन के लिए काफी आत्मघाती साबित होगा।
चीन में राष्ट्रपति जिनपिंग का तख्ता पलट कर उन्हें नजरबंद किया गया या नहीं यह तो चीन ही बेहतर बता सकता है। क्योंकि जिस प्रकार का नियंत्रण चीनी शासन में रहता है उस प्रकार का नियंत्रण अन्य देशों में कल्पना भी नहीं की जा सकती है। परंतु हो सकता है सत्ता संघर्ष में चीन के राष्ट्रपति भी तख्तापलट के शिकार हो सकते हैं। परंतु चीन में उनकी मजबूत पकड़ को देखकर अभी यह खबरें अमेरिका गुट की एक प्रकार से छदम युद्ध ब्रह्मास्त्र ही मान लिया जा सकता है। जिस प्रकार से पुतिन ने रूस को आज विश्व की महाशक्ति बना दी है। जिसके आगे अमेरिका व नाटो देश भी यूक्रेन की रक्षा में सामने आने से कतरा रहे हैं। उसी प्रकार चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के शासन ने चीन को भी विश्व की महाशक्ति बना दिया है। उसको देखते हुए इस प्रकार की भ्रामक खबरों को भ्रामक ही माना जा सकता है।