अगर धामी सरकार, योगी सरकार की तरह त्वरित कार्रवाई करती तो बच सकती थी अंकिता भंडारी!
प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम
अगर समय रहते ही उत्तराखंड की कुंभकरण सरकार प्रशासन अंकिता भंडारी की खोज खबर करने का दायित्व निभाते हुए कड़ाई से रिजार्ट मालिक भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे व उसके कर्मचारियों से करती तो शायद गरीब मां बाप की बेटी अंकिता भंडारी को बचाया जा सकता था। 18 सितंबर से लापता अंकिता भंडारी का शव चीला नहर से प्रशासन ने बड़ी खोज के बाद बरामद कर दिया है। इस शव की पहचान अंकिता ठीक भाई व पिता ने कर दी है। इस मामले में प्रशासन ने गंगा भोगपुर स्थित रिजॉर्ट के आरोपी मालिक सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों को जनता के आक्रोश से बचाने के लिए प्रशासन को काफी पसीने बहाने पड़े। ऋषिकेश में घटित इस प्रकरण से ही पूरा उत्तराखंड ही नहीं देश भी उद्वेलित हो गया है।
18 सितम्बर2022 से अपने कार्यस्थल से रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हुई रिजार्ट की स्वागत कर्मी अंकिता भंडारी की खोज खबर के लिए उसके गरीब परिजन से लेकर आम जनता उत्तराखंड की सरकार से निरंतर गुहार लगा रही थी। इस लड़की के परिजन रिजार्ट मालिक भाजपा नेता के बेटे व उसके कर्मचारियों पर शक जता रही थी परंतु प्रशासन तुरंत कार्रवाई नहीं की। सूत्रों के अनुसार श्रीकोट, पौड़ी निवासी अंकिता भंडारी पुत्री वीरेंद्र सिंह भंडारी 18 सितंबर से लापता थी। 19 सितंबर को रिजॉर्ट संचालक पुलकित आर्य जो भाजपा नेता का बेटा है, ने राजस्व पुलिस में अंकिता की गुमशुदगी दर्ज कराई। पौड़ी जिलाधिकारी ने बीती 22 सितंबर को मामला लक्ष्मणझूला पुलिस को स्थांतरित किया। आरोपी अंकिता पर रिजार्ट में रुकने वालों से संबंध बनाने का दबाव डालते थे, अंकिता द्वारा विरोध करने पर 18 सितंबर की रात आरोपियों ने यह कृत्य किया।
अब रिजॉर्ट मालिक के बेटे की तथाकथित बयानों से यह हम मान रही है कि पीड़ित युवती इस संसार में नहीं है। इससे आक्रोशित लोगों ने कल रात देहरादून के गांधी पार्क में विशाल मशाल जुलूस निकालकर जहां गुनाहगारों को कड़ी सजा देने की मांग की वही इस कांड की गुनाहगारों पर समय रहते कार्यवाही न करने के लिए धामी सरकार की कड़ी भर्त्सना की।
लोगों को विश्वास था कि उत्तराखंड सरकार भी योगी सरकार की तरह अपराधियों पर त्वरित कार्यवाही करके पीड़ित बच्ची को बचाए की परंतु धामी सरकार अपने नेता पर समय रहते कार्रवाई करने में नाकाम रही इसकी कीमत बच्ची को अपनी जान से चुकानी पड़ी। अगर खबर मिलते ही धामी सरकार ने भाजपा नेता कि इस आरोपी बेटे को वह उसके कर्मचारियों पर कड़ाई से कार्रवाई की होती तो शायद पीड़ित अंकिता भंडारी जीवित संसार में होती। इसके साथ प्रदेश के अपराधियों को भी यह कड़ा संदेश जाता कि अपराधी कितना भी बड़ा हो वह दंड से नहीं बच सकता।
परंतु जैसे ही कल आरोपी लोगों से पूछताछ के बाद शासन प्रशासन ने यह मान लिया की पीड़ित अंकिता भंडारी शायद इस संसार में नहीं रही तो प्रदेश की जनता का आक्रोश बढ़ गया। सायं को गांधी पार्क में लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर सरकार की कड़ी भर्त्सना की ।इसके बाद अपनी नाक बचाने के लिए शासन प्रशासन ने तुरंत इस आरोपी के रिजॉर्ट पर कार्रवाई की।
अगर इस प्रकरण में प्रशासन भी उस लड़की की सजग मित्र परिजनों व जागरूक जनता की तरह लड़की की खोज खबर समय पर करता तो आज अंकिता का शव नहीं अंकिता हमारे बीच में जिंदा होती। जनता इस कांड के मुख्य आरोपियों व संबंधित जांच कर्मचारियों के साथ सरकार की उदासीनता को ऐसे प्रकरणों के लिए जिम्मेदार मान रही है।
जनता इस बात से भी ना खुश हैं कि जब लोग मांग कर रहे थे तब प्रदेश शासन प्रशासन कुंभकरण की नींद में सोया हुआ था। अगर उस समय त्वरित कड़ी कार्रवाई की जाती व आरोपी के स्थित आवास पर भी अंकुश लगाया जाता तो शायद पीड़ित लड़की जीवित होती। लोगों को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी से यह भी शिकायत है कि श्रेय लेने के लिए तो छोटी-छोटी बातों पर योगी जी का अनुसरण करते हैं परंतु जब निर्णायक घड़ी आती है तो प्रदेश का सम्मान और लोगों की रक्षा करने की बजाय कुंभकरण की नींद सो जाते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने न केवल बड़े-बड़े माफियाओं, अपराधियों, दंगाइयों पर शिकंजा कसा।वहीं उन्होंने भाजपा नेता त्यागी को भी मात्र गाली दे कर महिला को डराने धमकाने के आरोप में न केवल जेल में बंद कर दिया अपितु उसके अवैध निर्माण को भी तहस-नहस कर दिया। इससे ही देश को समाज में एक कड़ा संदेश जाता है। धामी को भी योगी जी का अनुसरण करना चाहिए परंतु योगी बनने के लिए धामी जी दिल दिमाग और नियत साफ होनी चाहिए।