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राहुल गांधी के पलायनवादी हटघर्मिता के कारण मोदी व शाह के चक्रव्यूह में दूसरी बार बुरी तरह से फंसी कांग्रेस

नेहरू गांधी परिवार से बाहर के नेता के हाथों में 20 सितम्बर 2022 तक होगी कांग्रेस की कमान

गुलाम के बाद आनंद शर्मा ने कांग्रेस को झटका देकर भाजपा की राह की आसान

 

देवसिंह रावत

 

लगता है कांग्रेस अब प्रधानमंत्री मोदी व उनके चाणाक्य समझे जाने वाले रणनीतिकार अमित शाह के भारत को कांग्रेस मुक्त करने के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस गयी है। भाजपा का वर्तमान नेतृत्व यह समझता है कि जब तक कांग्रेस से गांधी नेहरू परिवार को दूर नहीं किया जायेगा तब तक  देश की जनता के एक बडे वर्ग को उससे दूर नहीं किया जा सकता है। इसी रणनीति के तहत ही भाजपा नेतृत्व चाहता है कि कांग्रेस का नेतृत्व गैर नेहरू व गांधी परिवार के नेता के हाथों आये तो कांग्रेस को रेत के महल की तरह बिखरने में देर नहीं लगेगी। भाजपा नेतृत्व जानता है कि देश के अधिकांश अति महत्वकांक्षी व पदलोलुपु कांग्रेसी नेता एक दूसरे को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करते है। उनको तोडने व अपनी कठपुतली बनाने में भाजपा नेतृत्व को देर नहीं लगेगी। जैसे ही कांग्रेस सत्ता से दूर हुई। वेसे ही गांधी नेहरू परिवार की कृपा से सत्ता की मलाई खाने वाले कांग्रेस नेतृत्व को लोकशाही का पाठ पढाने कर सत्ता में अपनी पंहुच बनाने का तिकडम करने लगे। कांग्रेस के सैकडों नेता भाजपा की गोद में बेठे हैं और अनैक नेता भाजपा की गोद में बैठने के लिए मोदी व शाह के इशारे की इंतजारी में कांग्रेस में लोकशाही का जाप कर रहे है। हकीकत यह है कि देश की तमाम नेताओं को देश व लोकशाही से कहीं दूर दूर तक लेना देना नहीं हैं वे केवल अपनी अंध महत्वकांक्षाओं व सत्तालोलुपता को पूरा करने के लिए कभी दल, जाति व क्षेत्र के साथ लोकशाही के मुखौटे पहनते है। कुछ समय बाद हिमाचल, जम्मू कश्मीर व गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के ऐसे ही अवसरवादी नेता अब लोकशाही के नाम पर कांग्रेस में पद त्याग कर उछलकूल करने लगे है।
वहीं देश के तमाम कांग्रेसी ही नहीं देशवासियों का एक बडा वर्ग नेहरू, इंदिरा व राजीव आदि के कार्यो के कारण गांधी नेहरू परिवार  का नेतृत्व बिना किन्तु परन्तु से स्वीकार करता है। इसलिए जब तक नेहरू गांधी परिवार इस दल का नेतृत्व करेगा। तब तक भाजपा देश में निष्कंठक राज नहीं कर सकती है। यही भाजपा की भूल भी है। भाजपा नेतृत्व को अपनी सरकारों को कांग्रेस आदि विपक्षी दलों को कमजोर या मिटाने में सारा समय लगाने के बजाय जनहित व राष्ट्रहित के कार्यों को मजबूती से करने की सीख देनी चाहिए थी। देश की जनता मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद पर अंकुश लगाने वाली ऐसी सरकार चाहती है जो रोजगार व सुशासन दे। वह उस सरकार का समर्थन सदा करती है। परन्तु हैरानी की बात है कि जो भी दल सत्तासीन होता है वह जनहित व राष्ट्रहित के कार्यों को करने के बजाय अपने विरोधी दलों को जमीदोज करने में ही अपना कार्यकाल नष्ट करते है। ऐसी ही भूल देश के अब तक के इतिहास में होती रही।
वर्तमान केंद्रीय सरकार के मुखिया मोदी व उनके रणनीतिकार शाह द्वारा कांग्रेस के परिवारवाद पर किये गये प्रचण्ड प्रहारों से तिलमिला कर राहुल गांधी लगता है पूरी तरह से मोदी के चक्रव्यूह में फंस गये है। उन्हें लगता है कि देश की जनता कांग्रेस से दूरी गांधी नेहरू परिवार के कारण कर रही है। या उनके द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व को त्यागना देश की जनता त्याग समझ कर उनको सर आंखों में बिठायेगी। राहुल गांधी को समझना चाहिए कि उनको कांग्रेस नेतृत्व से दूर रहने की सलाह देने वाले कांग्रेस व देश के अहितैषी ही है। यह राहुल गांधी की दूसरी भूल है। जनता चाहती है देश में मजबूत नेतृत्व । न की पलायनवादी। सत्ता में हो या विपक्ष में नेतृत्व मजबूत होना चाहिए। चुनौतियों का मुकाबला करते हुए राहुल गांधी कांग्रेस व देश को दिशा देने का काम करते तो देश की जनता उनको सर आंखों पर रखती। परन्तु पहली बार उन्होने इसी प्रकार की भूल कर मनमोहन के शासनकाल में प्रधानमंत्री पद पर आसीन न होकर एक अवसर खोया। जिससे भाजपा की राहें आसान हुई। अगर राहुल 2012 के समय प्रधानमंत्री बन कर देश को सुशासन देते तो मोदी व भाजपा की राह कठिन अवश्य हो जाती। अब भी उनको बहादूरी से कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए। देश की लोकशाही की मजबूती के लिए मजबूत विपक्ष भी आवश्यक हैं। परन्तु सरकार के गलत कार्यो का विरोध करे परन्तु अंध तुष्टिकरण व राष्ट्रघाती क्षदम मुद्दों से देश को नुकसान न पंहुचाये। रही बात परिवार की यह किसी भी व्यक्ति के हाथों में नहीं है। इंसान को सही कार्य करना चाहिए। देश की जनता इसे मुद्दा ही नहीं मानती है। क्योंकि जनता परिवार वाद का नहीं अपितु कुशासन के विरोधी है। जनता चाहती है कि आम जनता को मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्ति दिलाने वाली व रोजगार सुशासन देने वाली सरकार चाहिये। वेसे भी परिवार भारतीय संस्कृति की विश्व को अनुपम भैंट है। हाॅ अयोग्य व्यक्ति को नेतृत्व सौंपना एक अपराध होता है दल व राष्ट्र के प्रति।
जैसे ही कल राहुल गांधी ने कांग्रेस को दो टूक शब्दों में बताया कि कांग्रेस अपना गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष का चुनाव करे। देशभर के कांग्रेसियों द्वारा राहुल गांधी से कांग्रेस की अध्यक्षता को स्वीकार करने के तमाम अनुरोधों को ठुकराते हुए राहुल गांधी ने साफ शब्दों में दोहराया कि न वह खुद व न हीं प्रियंका गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनेंगी। कांग्रेस को किसी गैर गांधी परिवार के नेता को अपना अध्यक्ष बनाना होगा। क्योंकि कल हुई बैठक में वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी साफ शब्दों में कहा कि वह भी अब कांग्रेस की अध्यक्षता का दायित्व नहीं निभा सकती है। उनका खुद का स्वास्थ्य भी इसकी इजाजत नहीं दे रहा है। श्रीमती गांधी ने कहा कि उसके नेतृत्व में 2017 व 2022 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को जो पराजय मिली। उसको देखते हुए वह नैतिक आधार पर इस पद से मुक्त होना चाहती है। उसकी भी हार्दिक इच्छा है कि कोई गैर गांधी परिवार का नेता इस पद पर आसीन हो कर कांग्रेस को मजबूती प्रदान कर देश की सेवा करे।
विगत कई दशकों से कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले नेहरू गांधी परिवार द्वारा कांग्रेस नेत्त्व से पीछे हटने के बाद  कांग्रेस ने अपने नये अध्यक्ष चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू 21 अगस्त 2022 रविवार को शुरू कर दी। इस प्रक्रिया के तहत २० सितंबर तक नया प्रमुख चुना जाना है। इस कार्यक्रम का ऐलान करते हुुए कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने  आशा प्रकट की कि कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चुनाव की अंतिम तारीख को मंजूरी देना अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति निर्णय लेगी।

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