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भगवान श्रीकृष्ण के कल्याणकारी मार्ग को अपनाने के बजाय फिरंगी लूटेरों के तंत्र व कायरता को अपनाने से ही हुआ भारत सहित विश्व आतंकवाद व भ्रष्टाचार का शिकार

भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य संदेश विस्मृत करने के कारण आतंक, अशांति, भ्रष्टाचार, शोषण,अज्ञानता, धृणा, अभाव व कुशासन से त्रस्त है  दुनिया

देवसिंह रावत  

कल यानी 19 अगस्त 2022 को भगवान श्रीकृष्ण का प्रकटोत्सव पूरे विश्व में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। हालांकि भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में 18 अगस्त 2022 को भी श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव पावन जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया। पूरे विश्व में सनातन धर्माम्वलंबी अधम, अत्याचार,अज्ञानता, शोषण, व कुशासन से मुक्ति के लिए व धर्म,ज्ञान व सुशासन की स्थापना के लिए भगवान ने श्रीकृष्ण के रूप में भारत के मथुरा के अत्याचारी कुशासक कंश की कारागार में वसुदेव व देवकी के सुपुत्र के रूप में भादो माह के कृष्ण पक्ष में अष्टमी के दिन रोहणी नक्षत्र में मानव देह में अवतरित हुए थे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बालकाल में ही मायापति के रूप में अपने दिव्य आलौकिक लीलाओं से जहां दुनिया को कंश चारूण, पुतना, वक्कासुर अघासुर आदि दैत्यों के दंश से मुक्ति प्रदान की वहीं उन्होने लोगों पर इंद्र आदि अहंकारी शासकों की दासता से मुक्त कर प्रकृतेश्वर परमंब्रह्म की शरण में जाने की सीख दी। वहीं इस पृथ्वी में शिशुपाल, जरासंघ व धृतराष्ट्र पुत्रों के अत्याचार से मुक्ति दिलाई। वहीं योगियों व मुमुक्षुओं के लिए दिव्य परम ज्ञान का अमृतपान भी कुरूक्षेेत्र में पान कराकर धर्म व सुशासन की स्थापना की। सांसारिक जीवन में अनैक मतालंबियों व पंथों का भेद मिटा कर अपना विराट स्वरूप  बता कर निष्काम कर्मयोग का दिव्य राह दिखाकर प्राणी मात्र को परम कल्याण की राह दिखाई। सृष्टि के हर कण हर क्षण व हर सृजन में परमेश्वर स्वरूप को बोध करा कर किसी से धृणा, राग, द्वेष, शोषण व अन्याय न करने की सीख देकर परम कल्याण का मार्ग सर्वभूत हितेरता व वासुदेव सर्वम का बोध कराया। भगवान श्रीकृष्ण को इसी लिए सभी शास्त्रों व दिव्य योगियों ने पूर्ण अवतार व परमब्रह्म के साथ मायापति कह कर सृष्टि में वंदन व पूजन के योग्य समझ कर उनके प्रकटोत्सव को युगों से जन्माष्टमी के पावन पर्व के रूप में मनाया।

वहीं दूसरी तरफ इन दिनों पूरे विश्व पर महाविनाश के बादल मंडरा रहे हैं। एक तरफ रूस युक्रेन युद्ध से पूरा संसार त्रस्त है। वहीं दूसरी तरफ चीन ताइवान युद्ध छिडने के कारण अमेरिका व चीन अमेरिका में प्रलंयकारी महायुद्ध के छिडने के कारण संसार महाविनाश की आशंका से भयाक्रांत है। वहीं संसार में श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान,सोमालिया आदि देश कुशासन के कारण जहां मंहगाई, बेरोजगारी व आतंकबाद से तबाही के कगार पर है। तमाम प्रकार की सुख सुविधाओं की अट्टालिकाओं के बाबजूद संसार में शोषण, अन्याय, हिंसा, आरजकता व अज्ञानता के कारण आम जनता का जीवन नारकीय बन गया है। पूरा विश्व आतंकवाद, मंहगाई, अत्याचार व हिंसा की गर्त में आकंण्ठ डूबा हुआ है। दिशाहीन व पदलोलुपु कुशासको के कारण जनता, इस त्रासदी से मुक्ति मिलने के बजाय निरंतर इसी की दलदल में फंसते ही जा रही है। अनैक संप्रदायों व धर्मो के लहराते हुए परचम के बाबजूद मानवता  इस  त्रासदी से नहीं उबर पा रही है। दुनिया हैरान हैं परन्तु विश्व के स्वतंत्र चिंतक व विचारक जानते हैं कि संसार की वर्तमान तमाम समस्याओं व विकृतियों से मानवता को बचाने के लिए अगर कहीं आशा की किरण है तो वह भारत है। जिसकी संस्कृति में न केवल भौतिक तापों से मुक्ति का मार्ग सदियों से दुनिया को दिखाता हैं। अपितु दिव्य आध्यात्मिक शांति की राह भी भारतीय संस्कृति ही विश्व को दिखाती है। संयोग्यवश कल 19 अगस्त 2022 को भारतीय संस्कृति के परम आराध्य व प्राण समझे जाने वाले आराध्य भगवान श्रीकृष्ण का प्रकटोत्सव ‘जन्माष्टमी’ पूरे विश्व में बहुत ही धूम धाम से मनाई गयी।
परन्तु इसे विश्व व भारत का दुर्भाग्य ही समझो की ऐसी दिव्य संस्कृति का सदियों से अमृतपान करने के बाबजूद भारतीय हुक्मरान व जनता भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिखाये गये जड चेतन के कल्याण की राह पर न चल कर गुलाम मानसिकता से ग्रसित हो कर पतनोमुख विकृत पश्चिमी संस्कृति का अंधानुशरण करके अपना व विश्व को पतन के गर्त में धकेल कर सबका शर्मनाक पतन कर रहा है।
अगर भारतीय हुक्मरानों ने देश में मैकाले की शिक्षा देने के बजाय श्रीकृष्ण द्वारा दिखाये गये राह का अनुशरण किया होता तो आज भारतीय हित यो न जमीदोज होते। न हीं भारत में आतंक, हिंसा, भ्रष्टाचार, शोषण व कुशासन का शिकंजे में दम नहीं तोड़ रहा होता। इसके साथ अगर अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति पाने के बाद भारतीय हुक्मरानों ने भारत को भारतीय संस्कृति के प्राण समझे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के बताये मार्ग पर संचालित किया होता तो आज भारत के साथ विश्व भी आतंकवाद, हिंसा, धृणा, शोषण व भ्रष्टाचार के गर्त से उबर कर कल्याणकारी व्यवस्था का परचम लहराता। क्योकि  व्यक्ति हो या देश या समाज में व्याप्त अज्ञानता के कारण दिशाहिनता, शोषण,भ्रष्टाचार व कुशासन का शिकार होने से नारकीय स्थिति हो जाती है। इसी कारण भारत सहित पूरा विश्व आतंकवाद, हिंसा, शोषण, भ्रष्टाचार व कुशासन से ेत्रस्त है। समृद्धि के तमाम संसाधनों के बाबजूद व्यक्ति व संसार में चारों तरफ धृणा, हिंसा, निराशा व कुशासन का ही बोलबाला है। इन सभी तापों से व्यक्ति से लेकर देश सहित संसार को उबारने के लिए भारतीय संस्कृति के प्राण समझे जाने वाले भगवान श्रीकृष्ण के बताया मार्ग ही पूरी तरह से सक्षम है। संसार के अधिकांश मार्ग व संप्रदाय में इतने गुढ़ मर्म को सही ढंग से नहीं समझाया गया। कैसे जनता व शासक को अपने दायित्वों का सतपथ पर निर्वहन करना है। कैसे व्यक्ति को जीवन का मर्म समझ कर सबके कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करना है। कैसे जड चेतन में परमेश्वर का स्वरूप मानते हुए सबके कल्याण में निष्काम ढंग से समर्पित रहना है। कैसे जनहित व राष्ट्रहित को रौंदने वाले आसुरी ताकतों को जमीदोज कर कल्याणकारी शासन स्थापित करना है। कैसे अन्याय, अत्याचार व शोषणकारी ताकतों का प्रबल विरोध करना व सतपथ में समर्पित जनों का साथ देना जीव का प्रथम कर्तव्य है। इस परम तत्व के होने के बाबजूद देश के हुक्मरानों ने अपनी गुलाम मानसिकता के कारण देश में वही लूटरा फिरंगी तंत्र, उनकी भाषा व उनके द्वारा थोपे गये नाम को तथाकथित विकास के नाम पर आत्मसात कर भारत को अपनी संस्कृति, अपनी भाषा व अपने नाम से वंचित करके न केवल भारत को विनाश के गर्त में धकेलने का अक्षम्य अपराध किया। अपितु यह विश्व को भी सुशासन व श्रेष्ठ जीवन दर्शन  से वंचित करने का जघन्य अपराध किया। अफसोस है कि अंग्रेजों से मुक्ति पाने के 75 साल बाद भी भारत, विश्व को लूटने वाले अंग्रेजों के लूटेरे तंत्र के शिकंजे से देश को संचालित कर विश्व गुरू व समृद्धि के प्रतीक सोने की चिडिया भारत को कायर, असहाय, शोषित, आतंकवाद, जीवों का कत्लगाह, भ्रष्टाचार व कुशासन के दंश से पीडित देश बना दिया है। अगर भगवान श्रीकृष्ण के बताये मार्ग पर भारत चलता तो आज विश्व की महाशक्ति व विश्व गुरू बन जाता। जिससे विश्व का कल्याण होता। परन्तु भारतीय हुक्मरानों ने गुलाम मानसिकता में अंधे हो कर कायरता व लूटेरे फिरंगियों केमार्ग पर देश को संचालित कर देश की आजादी के लिए कई शताब्दियों से अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले माॅ भारती के लाखों सपूतों के बलिदान का घोर अपमान कर भारत सहित विश्व को आसुरी ताकतों के हाथों का खिलौना बना दिया। काश भगवान श्रीकृष्ण देश के हुक्मरानों को सदबुद्धि प्रदान कर भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने की ताकत देते तो विश्व का कल्याण ही होता।

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