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कश्मीर जन समस्या से नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र से तबाह हो रहा है

राजनीतिक चश्मे से  आरोप-प्रत्यारोप  करने की बजाए राष्ट्र के लिए एकजुट होकर इस षड्यंत्र को विफल करें भारतीय

 

 रूस, इसराइल व चीन  तर्ज पर कश्मीर सहित देश में आतंकवाद का सफाया करे  भारत सरकार

 

देवसिंह रावत

भारतीय अपने राजनीतिक दल के चश्मे व अज्ञानता के कारण कश्मीर पंजाब व बंगाल में हो रही हिंसा को देखकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। जबकि कश्मीर में हो रही हिंसा स्थानी समस्याओं के कारण नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत हो रही है। एक तरफ अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र भारत को उसका समर्थक समझ कर उसे दंडित करने के लिए फिर से कश्मीर पंजाब इत्यादि आतंकवाद को हवा दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान अफगानिस्तान टर्की सहित इस्लामिक देशों का संगठन कश्मीर सहित भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कमर फिर कस चुके हैं। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अमेरिका द्वारा संरक्षित व पोषित कुख्यात अन्य आतंकी संगठनों को कश्मीर की तरफ रुख करने को मना लिया है। वहीं जिन्नावादी जहर से तबाही की तरह बढ़ रहे पाकिस्तान ने भी पाकिस्तानी तालिबान संगठन सहित अन्य आतंकियों को पाकिस्तान के बजाय भारत के कश्मीर की तरफ रुख करने के लिए मना लिया है। तीसरा चीन द्वारा भारत कि अमेरिका चीन विरोधी गुट में सम्मलित होने से खफा होकर पाकिस्तान सरकार से भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए दहशतगर्दी की पीठ पर हाथ रख दिया है ।
इन्हीं प्रमुख कारणों से इन दिनों तमाम सुरक्षा बलों द्वारा आतंकियों की धरपकड़ व सफाया की जाने के बावजूद कश्मीर में देशभक्तों पर आतंकी कहर टूट रहा है। इस पर गहन चिंतन मंथन कर राष्ट्रीय नीति का समर्थन करने व उसमें सुधार करने की मांग करने के बजाय राजनीति लोग, दिशाहीन पत्रकार व तथाकथित समाजसेवी आरोप-प्रत्यारोप लगाकर देश की जख्मों को बढ़ाने का कृत्य कर रहे हैं।
भारत सरकार भी इस समस्या का समाधान के लिए केवल सुरक्षा बलों पर निर्भर है जब की समस्या का समाधान इस समस्या की तह में जाने के बाद इस समस्या की मूलभूत पर अंकुश लगाने के बाद ही संभव है। सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों पर अंकुश लगाना जरूरी है परंतु भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार कर इसे रूस इसराइल चीन की तर्ज पर कठोर अंकुश लगाने से ही कश्मीर सहित भारत में आतंकवाद का कहर थम सकता है।
##कश्मीर आतंकवाद तब तक नहीं थम सकता जब तक कि पाकिस्तान और चीन से संबंध न तोड़ा जाय और अमेरिका सहित उसके मित्र राष्ट्रों को कश्मीर में आतंकवादियों को शह देने के लिए कड़ाई से न कहा जाए । इसकी साथ आतंकवादियों व आतंकवादियों को शह देने वाले लोगों को कड़ा दंड दिया जाए और उनको नागरिकता सहित संपत्ति से वंचित किया जाए। कश्मीर समस्या जमीन पर कुछ नहीं है कि वह पाकिस्तान व जिन्ना वादियों द्वारा का एक असाध्य रोग है जिसे अमेरिका व उसके साथी अपने स्वार्थ के लिए समय-समय पर हवा देते हैं। जिन्होंने लाखों भारतीयों को इसी असुरक्षा की भावना से 7 दशक से अधिक समय तक नागरिकता व मानवीय अधिकारों से वंचित रखा। भारत की तमाम सरकारों में रोग है विश्व को दिखाने के लिए आस्तीन के सांप चीन व पाकिस्तान से भाईचारा का। इसराइल के तर्ज पर कश्मीर समस्या का समाधान आजादी मिलने के तुरंत
बाद पाकिस्तान की हैवानियत को देखते हुए की जानी चाहिए थी। भारत में तमाम राजनीतिक दल राष्ट्रहित को छोड़कर स्वार्थ के लिए देश के आम नागरिकों में लोकशाही का संचार करने के बजाय अंध तुष्टिकरण, जातिवाद व क्षेत्रवाद का जो जहर घोलते है इसी की परिणति है कश्मीर बंगाल पंजाब।

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