11 अप्रैल 2022, नई दिल्ली से प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम
जिस प्रकार 10 अप्रैल को राम नवमी के पावन पर्व पर गुजरात, झारखंड, बंगाल, मध्य प्रदेश व दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आदि में राम नवमी के पावन पर्व की शांतिप्रिय शोभा यात्रा आदि आयोजन में व्यवधान डालने के लिए असामाजिक तत्वों ने जिस प्रकार से अकारण ही पथराव, हिंसा व आगजनी का तांडव मचाते हुए इस राष्ट्रीय गौरव के पावन पर्व पर देश की अमन-चैन पर ग्रहण लगाने का कलुषित कृत्य किया ।उससे पूरा देश शर्मसार है। भारतीय मुक्ति सेना के अध्यक्ष देव सिंह रावत ने केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की है कि राष्ट्र की छवि को कलंकित करने वाले भारत विरोधी इन असामाजिक तत्वों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए इसके साथ इनकी संपत्ति भी जाप्त करके 5 साल तक के लिए की मतदान शक्ति को भी निरस्त की जाए । क्योंकि इनका यह कृत्य न केवल हैवानियत की पराकाष्ठा है अपितु यह राष्ट्र के प्रति अक्षम में अपराध भी है।
राजनीतिक दलों को इन प्रकरणों में लिप्त अपराधियों को संरक्षण देने की बजाय राष्ट्र हित के लिए इन को कड़े दण्ड दिलाने का काम करना चाहिए। भारत में सभी धर्मों को आपने पर्व शांतिपूर्ण ढंग से मनाने की आजादी होनी चाहिए परंतु इसके साथ दूसरे धर्म की प्रति हिंसक नजरिया रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस प्रकार की हिंसक प्रवृति के लोग देश की वातावरण को विषाक्त ना बना सके। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई यह घटना राष्ट्र व देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है आखिर देश में किस प्रकार की शिक्षा हम प्रदान कर रहे हैं। ऐसी संकीर्ण और राष्ट्र विरोधी मनोवृति को समूल अंकुश लगाना चाहिए। आखिर वह कौन सी आस्तीन के सांप है जो भारत में रहते हुए भारतीय गौरवों के प्रति इतना दुराग्रह व उन्मादी मनोवृति रख कर देश के माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं?
देश की सरकार को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए ।नहीं तो आने वाले समय में यही मनोवृति कश्मीर व बंगाल की तरह देश के लिए नासूर बन जाएगा।