रूस नहीं जैलेंस्की,नाटो व संयुक्त राष्ट्र है यूक्रेन में हो रही हिंसा व तबाही के लिए जिम्मेदार
देव सिंह रावत
रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन की राजधानी कीव के समीप भूसा में हुए भीषण नरसंहार की पूरी दुनिया कड़ी भर्त्सना कर रही है। यूक्रेन यूरोपीय संघ व अमेरिका के मित्र देशों की तरफ से दुनिया के इसी आक्रोश को देखते हुए एक तरफ आज संयुक्त राष्ट्र महासभा को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख मानवाधिकार संगठन से रूस को निलंबित किया जाए या नहीं इस पर मतदान किया। अमेरिकी प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने न्यू स्कोर निकालने के लिए मतदान किया वही बेलारूस, चीन, क्यूबा, वियतनाम सहित 24 देशों ने रूस का समर्थन करते हुए इस प्रस्ताव के विरोध में मत डाला। जबकि भारत, मैक्सिको, मलेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान,कतर सहित 58 देशों ने मत विभाजन में हिस्सा न लेकर तटस्थ रहे।
यह नरसंहार यूक्रेन की राजधानी कीव के उपनगर बूचा से सामने आई । यूक्रेन की आम जनता के शवों की तस्वीरों और वीडियो के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने रूस को 47-सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से हटाने का आह्वान किया था।
जहां यूक्रेन, अमेरिका व नाटो इस नरसंहार के लिए उसको गुनाहगार बता रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ रूस सहित उसके मित्र राष्ट्रों ने इसे यूक्रेन व अमेरिका का रूस को बदनाम करने का षड्यंत्र बता कर तमाम आरोपों को सिरे से खारिज किया। बूचा से रूसी सेनाओं के चले जाने के बात जिस प्रकार से वहां से अनेक शवों का अंबार लगा, उसके बाद यह आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी हुआ।
यूक्रेन, अमेरिका और नाटो तथा पश्चिम प्रभावित खबरिया जगत इस नरसंहार के लिए रूसी सैन्य कमांडर अजात्बेक ओमुरबेकोव को मुख्य गुनाहगार घोषित कर रहे हैं ।उनके अनुसार इसी कमांडर के आदेश पर रूसी सैना ने यह भीषण नरसंहार व व्यभिचार किया। वे इसे बूचा का कसाई भी बता रहे हैं।
इन आरोप प्रत्यारोपों से हटकर इस मामले में गंभीरता से विवेचन करने से साफ होता है कि इन नरसंहारों व यूक्रेन और रूस की जंग के कारण हो रहे तमाम तबाही के लिए वह जिम्मेदार है जो इस युद्ध को शुरू कराने का कारण है तथा जिस की जिद के कारण रूस यूक्रेन युद्ध 42 दिन बाद भी बंद नहीं हो पाया। इस युद्ध कर असली गुनाहगार वही है जिसके कारण यह युद्ध छिड़ा। यह सर्वविदित तथ्य है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। परंतु रूस को किसने अपने पड़ोसी मुल्क यूक्रेन पर हमला करने के लिए विवश किया? या वह कौन सा कारण है जिसके कारण विश्व की महाशक्ति और सोवियत संघ के वारिस रूस अपने परिवार के ही सदस्य यूक्रेन पर हमला करने के लिए विवश हुआ?
इन सवालों के गर्भ में जाने पर यह साफ उजागर होता है कि इस युद्ध का मुख्य कारण यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंस्की द्वारा अपने पड़ोसी देश रूस की सुरक्षा को खतरे में डालकर रूस विरोधी संगठन नाटो में सम्मलित होने की यूक्रेन घाती कोशिश।
रूस ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने सोवियत संघ परिवार के सदस्य देशों से निवेदन किया था कि वे किसी भी सूरत में रूस विरोधी अमेरिकी संगठन यानी नाटो का सदस्य बनकर क्षेत्र दुनिया की अमन-चैन पर ग्रहण न लगाएं। इसके साथ रूस के राष्ट्रपति ने अमेरिका सहित नाटो संगठन को भी पूर्व सोवियत परिवार से दूर रहने की चेतावनी दी थी। परंतु रूस का अंध विरोध करने की सनक के कारण यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंस्की ने नाटो का सदस्य बनने का ऐलान किया। जब बार-बार के आग्रह के बाद भी यूक्रेन ने नाटो की सदस्यता लेने की अपनी सनक जारी रखी तो अपने देश की सुरक्षा करने के सर्वोच्च दायित्व का निर्वहन करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। हमले के बावजूद रूस ने यूक्रेन को निरंतर समझाते रहा की नाटो में सम्मलित होना भी रूस के खिलाफ युद्ध छेड़ना है। रूस की एक ही मांग थी कि यूक्रेन, नाटो का मौह छोड़कर तटस्थ देश की भूमिका निभाई रूस उसकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। परंतु यूक्रेन नाटो का मोह छोडने के लिए तैयार नहीं था। असल में अमेरिका व नाटो देश उसे रूस के खिलाफ न केवल भड़का रहे थे अपितु शस्त्र हथियार देकर उसे रूप से लड़ाई के लिए उकसा रहे थे इसी कारण रूस ने अपनी सुरक्षा के खातिर यूक्रेन पर भीषण हमले किए रूसी हमले के बाद यूक्रेन को यह आशा थी कि उसके बचाने के लिए अमेरिका और नाटो देश रूस के खिलाफ युद्ध में उसका साथ देंगे परंतु अमेरिका व नाटो देशों ने रूस के खिलाफ यूक्रेन की जंग में सम्मलित होने से साफ इनकार कर दिया। इसके बावजूद बार-बार यूक्रेन के राष्ट्रपति जैलेंस्की ने अमेरिका व नाटो को फटकार लगाने के बाद भी रूस के खिलाफ युद्ध से मुंह नहीं मोड़ा वहां यूक्रेन में हो रही भारी तबाही वह जनता की हानि के बावजूद अपनी सनक के लिए युद्ध को जारी रखे हुए है। इस प्रकार यूक्रेन में हो रही तबाही व नरसंहार के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो राष्ट्रपति जैलेंस्की, अमेरिका और नाटो देश। जो चाह कर भी रूस और यूक्रेन के युद्ध को समाप्त नहीं होने देना चाह रहे हैं। अमेरिका व नाटो देश अपने हितों के लिए यूक्रेन व यूक्रेन की जनता को बलि का बकरा बना रहे हैं। नाटो व अमेरिका चाहता है कि यह युद्ध लंबा चले ताकि उनके हथियारों के का व्यापार खूब फले फूले और रूस कमजोर हो। इसीलिए अमेरिका और उसके मित्र नाटो देश यूक्रेन को रूस से शांति समझौता कर युद्ध बंद कराने का प्रयास करने के बजाय यूक्रेन को हथियार व सहायता दे कर युद्ध को और भड़का रहे हैं। इराक ईरान युद्ध, अफगानिस्तान व खाड़ी देशों से लेकर अनेक युद्ध इस बात के गवाह हैं कि दुनिया में हथियारों की होड़ बनाए रखने के लिए इन हथियारों के सौदागर देशों ने कहीं ना कहीं युद्ध छिडवाये।
हकीकत में अमेरिका व नाटो दुनिया मे अपने बर्चस्व बनाने व हथियारों की बिक्री में अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए दुनिया में निरंतर युद्ध की भट्टी में झोंकने का काम करते हैं। रही बात संयुक्त राष्ट्र संघ की वह एक प्रकार से अमेरिका का प्यादा ही बना हुआ है जिस प्रकार से अमेरिका ने इराक अफगानिस्तान खाड़ी देशों में हमला करके लाखों लोगों का नरसंहार किया, सरकारें बदली व इस्लामिक आतंक के साथ-साथ पाकिस्तान जैसे कट्टरपंथी देशों को बढ़ावा देने में अमेरिका का ही हाथ रहा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कभी भी अमेरिका के इन अपराधों पर निंदा प्रस्ताव तक पारित करने की हिम्मत तक नहीं दिखाई। आज संयुक्त राष्ट्र संघ अपने आका अमेरिका और नाटो देशों को खुश करने के लिए रूस यूक्रेन युद्ध पर घड़ियाली आंसू बहा रहा है वहीं भारत में आतंकी कार्यवाही से त्रस्त कश्मीर पर एक शब्द मरहम लगाने की हिम्मत संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं कर पाया उल्टा उसने इसी पखवाड़े इस्लाम को बदनाम करने की विश्वव्यापी अभियान की निंदा की। संयुक्त राष्ट्र जब तक तटस्थ होकर विश्व में अपना दायित्व नहीं निभाएगा तब तक उस पर प्रश्न खड़े होते रहेंगे वर्तमान रूस और यूक्रेन युद्ध में संतरा संघ को चाहिए था कि वह शांति वार्ता करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ साथ नाटो देशों को भी इस युद्ध में हथियार बेचने पर पाबंदी लगाता व डपटता।
आज 07 अप्रैल 2022को रूस यूक्रेन युद्ध का 42 वां दिन है। यह युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है।
दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन को स्विच ब्लेड ड्रोन व मिसाइलें देकर उसी उस पर हमला करने के लिए उकसा रहा है। वहीं रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह रासायनिक हथियारों का निर्माण कर उन्हें यूक्रेन को देकर रूस पर हमला करने के लिए उकसा रहा है। उल्लेखनीय है कि रूस संयुक्त राष्ट्र संघ से निरंतर अमेरिका और यूक्रेन पर रासायनिक हथियारों तीन निर्माण व हमले की आशंका का आरोप लगा रहा है।
यही नहीं अमेरिका, भारत को रूस से तेल, गैस व हथियार खरीदने के लिए भारत को धमकाने का दुस्साहस भी कर रहा है।
जंग के दौरान जब से रूस व भारत ने अपना कारोबार रूसी मुद्रा रूबल और भारतीय मुद्रा रुपए में करने का ऐलान किया उससे अमेरिका और उसके मित्र राष्ट्र भारत से बेहद आक्रोशित हैं। उससे पूरी दुनिया में डॉलर के सहारे बादशाही चलाने वाले अमेरिका का दिन का चैन व रातों की नींद उड गया है।
उन्हें यह देखकर हैरानी हो रही है कि रूस पर उनके प्रतिबंध लगाने के बावजूद भारत सहित अनेक देश उनके फरमान को दर किनारे घर रूप से व्यापार कैसे कर रहे हैं।