भारत व विश्व के लिए कल्याणकारी व जरूरी है
#रूस_यूक्रेन_युद्ध में #रूस व #उप्र विस चुनाव 2022 में #योगी_मोदी की जोड़ी का #जीतना
देव सिंह रावत
आज पूरे विश्व की नजरें जहां रूस और यूक्रेन के बीच में होने वाले महा विनाशकारी युद्ध की तरफ लगी हुई है। वहीं भारत के तमाम राजनीतिक दलों व जागरूक लोगों के साथ भारत के विरोधी व समर्थकों की नजरें भी उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों (उत्तराखंड, पंजाब, गोवा व मणिपुर) की विधानसभा चुनाव के 10 मार्च को उजागर होने वाले परिणामों पर लगी हुई है। आज 7 मार्च को उत्तर प्रदेश में 7वें व अंतिम चरण का मतदान हो रहा है।
403 विधानसभा सीट के लिए 7 चरणों में हो रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण का चुनाव संपन्न हो चुका है। यानी 403 विधानसभा सीटों में 349 विधानसभा की सीटों के पर जनता मतदान कर चुकी है अब बनारस सहित पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 सीटों पर 2 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने 7 मार्च को अंतिम चरण में मतदान कर रहे हैं।
भारत सहित विश्व कल्याण के लिए इन दो प्रमुख घटनाओं पर भारतीयों का भी दृष्टिकोण स्पष्ट होना चाहिए। भारतीय जनमानस को निहित स्वार्थ व दलगत स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्र व विश्व के कल्याण के लिए
भारतीय संस्कृति व न्याय की कसौटी के अनुसार जहां रूस यूक्रेन युद्ध में भारत के परम मित्र व न्याय पथ के योद्धा रूस का साथ देना चाहिए। वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक व उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद व अपराधियों के गठजोड़ से उबार कर भारत को विश्व की महाशक्ति बनाने के लिए समर्पित मोदी व योगी की युगल जोड़ी को उत्तर प्रदेश में खुलकर समर्थन देना चाहिए। योगी एक शासक के रूप में उत्तर प्रदेश में विगत 5 सालों में पूरी तरह से सफल रहे। उन्होंने दशकों से अपराधीकरण की धुरी बन चुके उत्तर प्रदेश को जहां माफियाओं, भ्रष्टाचारियों, समाज विरोधी तत्वों, आतंक वादियों के संरक्षकों व परिवार वादियों की चुंगल से मुक्त करके विकासोन्मुख व कल्याणकारी सुशासन देने का सराहनीय कार्य किया है ।इसीलिए उत्तर प्रदेश में जनता को दलगत राजनीति और निस्वार्थ से ऊपर उठकर मोदी व योगी की जोड़ी को खुलकर समर्थन देना चाहिए।
वहीं इन विधानसभा चुनाव में मैंने खुलकर उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रांतीय स्थानीय नेतृत्व द्वारा उत्तराखंड की जन आकांक्षाओं को रौंदने के खिलाफ उत्तराखंड की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी को लोकशाही का सबक सिखाने के लिए और जनता का सम्मान करने के लिए सत्ता से उखाड़ने का भी आह्वान विधानसभा चुनाव से पूर्व से निरंतर करता आया। क्योंकि उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी, सुयोग्य शासक देने में पूरी तरह से नाकाम रही। इसलिए अभी उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को सेंघ मारी और दलबदल कराने की तिकड़म की जगह लोकशाही मे जनादेश का सम्मान करना सीखना चाहिए।
इन विधानसभा चुनाव में देश विदेश मे सबकी एक ही जिज्ञासा है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय संस्कृति के रक्षक योगी और मोदी की जोड़ी जीतती है या परिवारवाद व राजनीति में अपराधीकरण के संरक्षक समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है?
वहीं दूसरी तरफ संसार में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार परमाणु युद्ध का संकट करीबी से मंडराने लगा है।
पूरे विश्व को समझ नहीं आ रहा है कि विश्व को यह भयानक संकट से कैसे उतारा जाए? जहां एक तरफ अमेरिका, नाटो व यूरोपीय संघ सहित विश्व के तमाम तथाकथित लोकतांत्रिक संगठन, संयुक्त राष्ट्र संघ, मानवाधिकार संगठन व विश्व परमाणु संगठन सहित तमाम लोग इस युद्ध के लिए जहां रूस को हमलावर व यूक्रेन को पीड़ित बताकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं ।वही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दूसरे विश्व युद्ध के खलनायक हिटलर की तरह ही तानाशाह बता कर उनकी कड़ी भर्त्सना कर रहे है ।परंतु हकीकत है कि अमेरिका व उसके पिछलग्गू संगठन नाटो के झांसे में आकर यूक्रेन के नौसिखिया राष्ट्रपति जैनेंस्की ने अपने सोवियत परिवार के प्रमुख सदस्य रूस के खिलाफ षड्यंत्र का ताना-बाना बुनने की धृष्टता की। जिसको समय रहते हुए रूस के जागरूक व मजबूत राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने समय पर ध्वस्त करके रूस को भी सोवियत संघ की तरह ढहने से बचा दिया। क्योंकि सोवियत संघ के ढहने के लिए वैश्विक चिंतक भी कहीं ना कहीं अमेरिका व उसके नाटो संगठन का अपरोक्ष हाथ मानते हैं। मतिमंद व अमेरिका के प्यादे बने यूक्रेन के राष्ट्रपति जैंलेंस्की के इस आत्मघाती रूस से दुश्मनी लेने के कृत्य के कारण ही आज न केवल यूक्रेन बर्बाद हो चुका है अपितु संसार के अमन-चैन पर भी भयानक ग्रहण लग गया है।
रूस से युद्ध छेड़ने के बाद जेलेंस्की का नाटो मोह धीरे-धीरे भंग हो रहा है। उस वह यह देखकर हैरान और परेशान है कि रूस के आक्रमण के बाद उसको रूस के खिलाफ भड़का रहे अमेरिका व नाटो ने उसके बचाव में न उसके पक्ष मे लड़ने आए व नहीं उसका किसी प्रकार से बचाव किया। केवल निंदा प्रस्ताव व कुछ तथाकथित प्रतिबंधों से तमाशबीन बन दूर से ही यूक्रेन के जख्मों में नमक छिड़कते रहे। पर मतिमंद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की इतना खुदगर्ज व कायर निकला कि उससे अपनी जनता को बचाने के लिए रूस की बात मानने का साहस भी नहीं रहा ।वह इतना खुदगर्ज नाटककार बनते हुए खुद को देश के लिए मर मिटने वाला शासक साबित करने में लगा हुआ है। हकीकत में वह केवल अमेरिका व नाटो का प्यादा बनकर यूक्रेन की बर्बादी व हजारों लोगों के मौत का इकलौता जिम्मेदार है। जो अपने परिवार के खिलाफ विद्रोह करके परिवार को तहस-नहस करने को तुले षड्यंत्रकारियों के नापाक मंसूबों को साकार करने का प्यादा बना है।