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बड़ी मुश्किल से आज (नामांकन पत्र भरने की दूसरे दिन) उत्तराखंड विधानसभा 53 प्रत्याशियों की सूची जारी कर पाई कांग्रेस

, गोदियाल -श्रीनगर , प्रीतम -चकरोता से लड़ेंगे चुनाव

देवसिंह रावत

आखिरकार उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस ने काफी कशमकश के बाद लेट लतीफी करते हुए नामांकन पत्र भरने के दूसरे दिन यानी 22 जनवरी की देर रात 53 प्रत्याशियों की सूची जारी कर पाई।

इस सूची के अनुसार गणेश गोदियाल श्रीनगर, प्रीतम सिंह -चकराता , मनोज रावत-केदारनाथ, हरीश धामी -धारचूला, विजय सजवान-गंगोत्री, ममता राकेश -भगवानपुर, यशपाल आर्य बाजपुर, संजीव आर्य नैनीताल, यमकेश्वर शैलेंद्र रावत, धनोल्टी जोत सिंह बिष्ट, कर्णप्रयाग मुकेश नेगी, देवप्रयाग मंत्री प्रसाद नैथानी, रायपुर हीरा सिंह बिष्ट, हरिद्वार सतपाल ब्रह्मचारी, बद्रीनाथ राजेंद्र भंडारी, केदारनाथ मनोज रावत, रुद्रप्रयाग प्रदीप थपलियाल, विकासनगर नवपभात, थराली प्रोफेसर जीतराम, पौडी नवल किशोर, रानीखेत से करण मेहरा, धारचूला हरीश धामी, किच्छा तिलकराज बेहड़, खटीमा भुवन चंद कापड़ी, पिथौरागढ़ से मयूख महर, रुद्रपुर  मीना शर्मा, द्वाराहाट  मदन बिष्ट, जागेश्वर से गोविंद सिंह कुंजवाल आदि।

अभी लैंसडाउन  चौबटाखाल, रामनगर, टिहरी सहित 17 विधानसभा सीटों पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई आशा है कल तक इन सीटों पर भी फैसला हो जाएगा जिसमें मुख्यमंत्री की सबसे प्रबल चेहरे हरीश रावत भी कहां से चुनाव लड़ते हैं इसका भी फैसला हो जाएगा।

 

वहीं दूसरी तरफ चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए चुनाव प्रचार में रैली, सभाएं व पदयात्रा इत्यादि सभी में लगाया गया प्रतिबंध 31 जनवरी तक आगे बढ़ा दिया है।
इससे जहां कांग्रेसी प्रत्याशियों को घर-घर संपर्क करने में कम समय मिलने के कारण परेशानी उठानी पड़ेगी। वहीं भाजपा द्वारा समय पर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी किये जाने के कारण प्रत्याशियों को अपनी रणनीति और संगठन की मजबूती के कारण आज ही संपर्क करने का अवसर मिलेगा।
जहां भारतीय जनता पार्टी ने 20 जनवरी को अपने प्रत्याशियों की अधिकांश सूची जारी कर दी थी वहीं कांग्रेस की क्षत्रपों की आपसी खींचातानी के कारण कांग्रेसी प्रत्याशियों की सूची तक समय पर जारी नहीं कर सकी। जिसके कारण विरोधी भाजपा की प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार व तैयारी करने में जुटे रहे, वहीं कांग्रेसी प्रत्याशी दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय वह कांग्रेसी आकाओं की दरों पर दर दर भटकते रहे।
भले ही कांग्रेसी नेता बहाना बना रही हैं कि डॉ हरक सिंह रावत के कांग्रेस में सम्मलित होने के 1 सप्ताह के नाटक के कारण कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर सकी। पर हकीकत यह है कि कांग्रेस में गुटीय खींचतान व कांग्रेस आला नेतृत्व के कमजोर होने के कारण प्रत्याशियों की सूची तक समय पर जारी नहीं कर पाई। कांग्रेसी नेतृत्व की कमजोर होने के कारण जमीनी जानकारी के अभाव में कांग्रेसी नेतृत्व निहित स्वार्थी सलाहकारों की आत्मघाती सलाह के कारण समय पर निर्णय नहीं ले पा रही हैं ।इसके कारण भारतीय जनता पार्टी की कमजोरियों व जनता के आक्रोश को कांग्रेस अपने पक्ष में नहीं कर पा रही है।
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी जिस प्रकार मुख्यमंत्री की चेहरे के मामले में बेहद कमजोर नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस के आला नेतृत्व के नासमझी के कारण कांग्रेस में उपलब्ध मजबूत मुख्यमंत्री के दावेदार हरीश रावत का नाम तक जनता के समक्ष  नहीं रख पाई। इसके कारण कांग्रेस को भारी चुनावी नुकसान उठाना पड़ेगा ।तमाम चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता की पहली पसंद कांग्रेसी नेता हरीश रावत है ।परंतु कांग्रेसी नेतृत्व की तथाकथित सलाहकारों के आत्मघाती स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण कांग्रेस नेतृत्व उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का प्रत्याशी तक ऐलान नहीं कर पाई। जबकि कांग्रेस में निर्विवाद प्रत्याशियों के होने के बावजूद कांग्रेस समय पर भाजपा की तरह 50-60 प्रत्याशियों का भी ऐलान नहीं कर पाई।

अगर कांग्रेस मजबूती से ऐसे लोगों को दल में नहीं लेती तो प्रदेश की जनता कांग्रेस को सर आंखों पर बिठाती। परंतु कांग्रेस ने दल बदलुओं व नेताओं के परिजनों को को सर आंखों पर बिठाया और अपने रघुवीर बिष्ट जैसे संघर्षशील व समर्पित जनप्रिय लोगों को प्रत्याशी बनाने से वंचित किया। इससे जनता मे भारी आक्रोश भी है।इसके साथ हरक सिंह रावत जैसे प्रकरण पर कांग्रेस पार्टी का निर्णय जनता की नजरों में आत्मघाती ही साबित होगा जिस प्रकार से कांग्रेस ने दल बदलू व जनता की नजरों में विवादस्त लोगों को दल में समाहित किया ।उससे कांग्रेस की छवि भाजपा की तरह धूमिल हो गई। अगर कांग्रेस मजबूती से ऐसे लोगों को दल में नहीं लेती तो प्रदेश की जनता कांग्रेस को सर आंखों पर बिठाती। परंतु कांग्रेस ने दल बदलुओं व नेताओं के परिजनों को को सर आंखों पर बिठाया और अपने रघुवीर बिष्ट जैसे संघर्षशील व समर्पित जनप्रिय लोगों को प्रत्याशी बनाने से वंचित किया। इससे जनता मे भारी आक्रोश भी है।

खासकर जिस प्रकार से राजनीतिक दल दल बदलुओं, बाहुबलियों, दागदार नेताओं व उनके परिजनों को प्रत्याशी बनाकर दलों के समर्पित संघर्षशील व जनप्रिय नेताओं को दरकिनारे करके अपमानित किया जा रहा है उससे भारत की लोकशाही को गंभीर खतरा पैदा हो गया है ।इससे देश प्रदेश में जहां भ्रष्टाचार व अपराधीकरण बढ़ेगा वहीं लोकतंत्र निरंतर कमजोर होगा।

1.17 करोड़ जनसंख्या वाले राज्य उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होगा।उत्तराखंड राज्य में 81.43 लाख मतदाता हैं।उत्तराखंड, पंजाब और गोवा   में एक ही चरण में मतदान होगा। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए आयोग की ओर से घोषित कार्यक्रम के मुताबिक अधिसूचना 21 जनवरी को जारी हो गयी तथा  नामांकन की अंतिम तिथि 28 जनवरी है। नामांकन पत्रों की जांच 29 जनवरी को होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 31 जनवरी है।  मतदान 14 फरवरी को और पांच राज्यों के साथ ही यहां की मतगणना भी 10 मार्च को होगी. उत्तराखंड  में  11 हजार 647 मतदान केंद्र हैं। धार्मिक आधार पर प्रदेश की 83 प्रतिशत जनसंख्या हिदुओं की है ।मुस्लिम आते हैं जिनकी संख्या 13.9 प्रतिशत, 2001 में मुस्लिम,सिख की आबादी 2℅  तथा जेन, बौद्ध, ईसाई  की आबादी 1% से भी कम है।

 

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