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भारत ने सेकडों वर्षों की गुलामी में जो गंवाया है वह हमें आजादी के अमृत महोत्सव काल में दोबारा प्राप्त करना है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने किया ब्रह्मकुमारी संस्था  द्वारा आयोजित ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’, कार्यक्रम का शुभारंभ20जनवरी 2022, नई दिल्ली से पसूकाभास

20 जनवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वविख्यात आधात्मिक संगठन ब्रह्मकुमारी संस्था  द्वारा ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’, कार्यक्रम का शुभारंभ किया। एक साल लंबे चलने वाले इस कार्यक्रम का मुख्य आयोजन जहां संस्था के मुख्यालय माउंट आबू में किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने वीडिया कांफ्रंेंसिंग द्वारा इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए अपने संबोधन में इस संस्था की भूरि भूमि प्रसंशा की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि  इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैंरू
राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है, और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है।
ये भाव, ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है।
आज देश जो कुछ कर रहा है उसमें ‘सबका प्रयास’ शामिल है। आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो,
हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।

दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहाँ गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियाँ समाज को ज्ञान देती थींरू
कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं।
और अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं। कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी।

हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है। अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है। और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है। अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है।
हमें ये भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। ये बुराई है, अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना। बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़े, जूझे, समय खपाते रहे। अधिकार की बात, कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है
हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा। आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो,
हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।
आज देश लाखों स्वाधीनता सेनानियों के साथ आजादी की लड़ाई में नारीशक्ति के योगदान को याद कर रहा है और उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है,  अब देश की कोई भी बेटी राष्ट्र रक्षा के लिए सेना में जा कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ उठा सकती है
ऐसी संस्थाएं जिनकी एक अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरूक करें, ये भी हम सबका कर्त्तव्य हैरू
आप सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किस तरह अलग-अलग प्रयास चलते रहते हैं।
जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जानेरू
इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत कुछ चलता रहता है।
इससे हम ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि ये सिर्फ राजनीति है।
ये राजनीति नहीं है, ये हमारे देश का सवाल हैरू

आज देश किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऑरगैनिक फार्मिंग और नेचुरल फार्मिंग की दिशा में प्रयास कर रहा है। ब्रह्माकुमारी नेचुरल फार्मिंग को प्रोमोट करने के लिए, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा बन सकती हैं। राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है, और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। ये भाव, नए भारत के निर्माण में हमारी की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। देश जो कुछ कर रहा है उसमें ‘सबका प्रयास’ शामिल है ।

हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।

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