आपको बता दे की जब से पीएम मोदी ने उत्तराखंड के लोगो के सामने यह वादा किया था की हम ऑल वेदर रोड का निर्माण करेंगे और जब पीएम मोदी ने इसका शुभारंभ किया तो तब कहा था की ये प्रोजेक्ट उत्तराखंड का भविष्य बदलने और विकास के एक प्रमुख स्रोत बनने वाला है। और इस प्रोजेक्ट पर प्रदेश में शुरू से राजनीती भी गर्म रहती है। जहाँ एक तरफ पीएम मोदी और बीजेपी इसको अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भुना रही वहीँ कांग्रेस इसकी खामियों को जनता तक पहुंचा रही और इसको एक नाकामी की तरह पेश कर रही है।
ये तो रही राजनीती की बात लेकिन अब हम आपको बता दे की इस रोड की चौड़ाई पर अब सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने एक NGO सिटीजन फॉर ग्रीन दून की सुनवाई के दौरान इसकी जो चौड़ाई सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में 5.5 मीटर कर दी थी अब इसको केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से बढाकर 10 मीटर करने की मांग की है।
इसके पीछे केंद्र की मोदी सरकार के तरफ से अटॉर्नी जर्नल वेणुगोपाल जी ने कहा की उत्तराखंड की अंतराष्ट्रीय सिमा चीन से मिलने की वजह से यह सामरिक दृष्टि से काफी जरुरी है की चौड़ाई 10 मीटर तक बढ़ाई जाय ताकि सेना की अपने हथियार( रॉकेट लांचर,मिसाइल, बम,हथियार और हैवी आर्टलरी और सेना की टुकड़ी ) बॉर्डर तक ले जाने में आसानी हो।
इसमें NGO के वकील ने कहा की सेना कहीं भी ये नहीं चाहती की जो 900 किलोमीटर की ऑल वेदर रोड बन रही है उसकी चौड़ाई बढ़ाई जाय ये सरकार केवल चारधाम यात्रा के मद्दे नजर बना रही है। और इसमें वकील ने भू स्खलन और इसकी खामियों का जिक्र किया।
जिसपर सरकार के वकील ने कहा की ये गलत है की सेना नहीं चाहती रोड चौड़ा बल्कि इसमें खुद बीआरओ (बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन) खुद काम कर रही जो सेना की जरुरत वाली गुणवत्ता के हिसाब से भी रोड बना रही है। और बाकि सरकार के तमाम काम गिनाये चाहे वो रेल ब्रिज और सभी प्रकार के कनेक्टिविटी की जानकारी सरकार ने कोर्ट के सामने रखी। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार से चीन की तरफ हो रहे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानकारी देने को कहा है।
आपको बता दे की यह याचिका बहुत पहले ही SC में लगाई जा चुकी है जिसपर 9 बार सुनवाई हो चुकी है और इसकी अध्यक्षता खड़ CJI चंद्रचूण,सूर्यकांत और विक्रम सिंह जी कर रहे है।