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’बदरी केदार की तर्ज पर गैरसैंण राजधानी भी बनाकर उतराखण्ड का चहुमुखी विकास की राह खोले प्रधानमंत्री मोदी जी

 

प्रधानमंत्री के सलाहकार भाष्कर खुल्वे के नेतृत्व में प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से भैंटकर केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों एवं बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान के कार्यो  की समीक्षा

 

’पर्वतीय शिल्प कला के अनुरूप हो ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के स्टेशन।’

प्यारा उतराखण्ड डाट काम
उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के शीर्ष आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति ने प्रधानमंत्री मोदी से उतराखण्ड के चहुंमुखी विकास व देश की सुरक्षा के लिए उतराखण्ड की राजधानी गैरसैंण घोषित करने की पुरजोर मांग की। आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के संयोजक शीर्ष आंदोलनकारी देवसिंह रावत ने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वविख्यात केदारनाथ व बदरीनाथ धाम की कायाकल्प करने के लिए युद्धस्तर पर केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों एवं बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान की प्रगति पर गहरी नजर रखे हुए है। उससे आशा है कि बदरी केदारनाथ धाम विश्व भर के करोड़ों सनातन धर्मियों को इस पावन धाम का आशीर्वाद सहजता से मिलेगा। इससे जहां प्रदेश में पर्यटन में भी बढोतरी होगी वहीं इन महान धामों की पावनता की रक्षा होगी। श्री रावत ने कहा कि जिस प्रकार से मोदी जी बदरीनाथ व केदारनाथ की पावनता की रक्षा करने के लिए विशेष पहल कर रहे हैं। वह देश के साथ उतराखण्ड के लिए गर्व की बात है। यह देख कर उतराखण्ड आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री से विनम्र गुहार लगायी कि जिस प्रकार भारतीय आस्था की रक्षा व मजबूती के लिए मोदी जी बदरी केदारनाथ की काया पलटने के लिए कमर कसे हुए है।ठीक उसी प्रकार प्रधानमंत्री प्रदेश की गैरसैंण में बन चूकी विधानसभा युक्त राजधानी को प्रदेश की राजधानी घोषित कर देंगे तो उससे न केवल उतराखण्ड राज्य गठन के आंदोलनकारियों की जन आकांक्षायें साकार होगी अपितु इससे प्रदेश का 21 साल से देहरादून में कुण्डली मार के बैठी सरकार के दुराग्रह से अवरूद्ध प्रदेश के चहुमुखी विकास को राजधानी गैरसैंण बनते ही तीब्र गति मिलेगी। क्योंकि राजधानी गैरसैंण न बनने से राज्य गठन के इन 21 सालों में राज्य गठन की मांग करने वाले सभी पर्वतीय जनपदों में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन से वंचित होने से यहां से पलायन के दंश से प्रदेश मर्माहित है। इसी कारण सीमान्त क्षेत्रों में हो रहे पलायन के कारण गांव के गांव खाली हो कर यह क्षेत्र विरान हो रहा है। इसके कारण चीन सीमा से लगा क्षेत्र राष्ट्र की सुरक्षा के लिए गभीर खतरा पैदा हो गया है। इसका कारण लखनऊ की तरह देहरादूनी मोह में ग्रसित नेता व नौकरशाह देहरादून में कुण्डली मार के बैठ कर प्रदेश के विकास पर ग्रहण लगा रहे हैं। इसीलिए उतराखण्ड की अब तक की सभी सरकारों से छले गये उतराखण्ड आंदोलनकारी निरंतर प्रधानमंत्री से राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग कर रहे है।
आंदोलनकारियों को मालुम है कि प्रधानमंत्री की बदरी केदारनाथ की कायाकल्प करने के लिए ही प्रदेश सरकार ने यहां पर युद्धस्तर पर कार्य कर रही है। खुद प्रधानमंत्री कार्यालय इस कार्य की प्रगति की निरंतर समीक्षा कर रहा है। इसी के तहत इसी सप्ताह प्रधानमंत्री के सलाहकार भाष्कर खुल्बे व प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी मंगलेश घिल्डियाल ने केदारनाथ में जा कर वहां पर हो रहे पुनर्निर्माण के कार्यों की समीक्षा की। उसके बाद प्रधानमंत्री के बदरी केदार जैसे पावन मिशन को साकार करने के लिए यह शिष्टमण्डल देहरादून पंहुचे
प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के सलाहकार श्री भाष्कर खुल्बे ने मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी से सचिवालय में भेंट की।

उत्तराखंड सूचना कार्यालय के अनुसार उन्होंने मुख्यमंत्री से केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों तथा बद्रीनाथ के सौन्दर्यीकरण से सम्बन्धित मास्टर प्लान पर चर्चा की। श्री खुल्बे ने मुख्यमंत्री से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन के अन्तर्गत निर्मित होने वाले स्टेशनों को पर्वतीय शिल्प कला के अनुरूप बनाये जाने की बात कही, उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्र के शिल्पियों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से विश्वस्तरीय टिहरी झील जाने हेतु मसूरी-चम्बा कोटी कालोनी मोटर मार्ग के द्वारा कुल 105 किमी० की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसमें सम्पूर्ण मार्ग पर्वतीय क्षेत्र में होने के कारण लगभग 3.30 घण्टे का समय लगता है। उक्त टनल देहरादून के राजपुर के निकट से प्रस्तावित है, जो कि टिहरी झील के निकट कोटी कालोनी में समाप्त होगी। टनल की कुल लंबाई लगभग 35 किमी० आयेगी। टनल के निर्माण की अनुमानित लागत 8750 करोड़ रूपए आयेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स ऋषिकेश होने के पश्चात भी राज्य के पर्वतीय दूरदराज कुमाऊं मंडल के इलाके, भौगोलिक दूरी होने के कारण सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। राज्य के कुमाऊं मंडल में एम्स की स्थापना करने से कुमाऊं के नागरिकों के साथ ही उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती जनपदों के लोगों को भी विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध होगी। एम्स के लिए भूमि उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। पूर्व में भी एक राज्य में दो एम्स जैसे विश्व स्तरीय संस्थान स्थापित किए गये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के क्षेत्रीय सामाजिक सांस्कृतिक तथा पर्यटन के विकास और सामरिक दृष्टिकोण से रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टनकपुर और बागेश्वर के बीच नैरो गेज रेलवे लाइन हेतु सर्वे का आदेश निर्गत किया गया है। यह लाइन ब्राडगेज में होनी चाहिये। चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित होने के कारण यह रेल लाईन सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही यह नये व्यापार केन्द्रों को भी जोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामरिक उद्देश्य और सीमांत जनपदों के विकास की आवश्यकता को देखते हुए टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाईन का नैरोगेज की बजाय ब्राडगेज लाईन का सर्वे किया जाए।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चार धाम सड़क परियोजना के साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की उत्तराखण्ड को बड़ी देन है। वह समय दूर नहीं, जब पहाड़ में रेल का सपना पूरा होगा। इससे राज्य की आर्थिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने के लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। ऋषिकेश के बाद परियोजना मुख्यतः अंडरग्राउंड है। भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। इस रेल लाइन पर 12 स्टेशन और 17 टनल बनाये जा रहे हैं। काम निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर एक साथ काम चल रहा है।

 

 

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