संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री का वक्तव्य
नमस्कार साथियों,
His Excellency अब्दुल्ला शाहिद जी आपको अध्यक्ष पद संभालने की हार्दिक बधाई।
आपका अध्यक्ष बनना, सभी विकासशील देशों और विशेषकर Small Island Developing States के लिए बहुत गौरव की बात है।
अध्यक्ष महोदय,
गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है।ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
अध्यक्ष महोदय,
मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं, जिसे Mother of Democracy का गौरव हासिल है।लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है।इस 15 अगस्त को, भारत ने अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश किया है।हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है।
एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन, खानपान है।ये Vibrant Democracy का बेहतरीन उदाहरण है।
ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन के, टी-स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था, वो आज चौथी बार, भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर UNGA को संबोधित कर रहा है।
सबसे लंबे समय तक गुजरात का मुख्यमंत्री और फिर पिछले 7 साल से भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे Head of Government की भूमिका में देशवासियों की सेवा करते हुए 20 साल हो रहे हैं।
और मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं-
Yes, Democracy Can Deliver.
Yes, Democracy Has Delivered.
अध्यक्ष महोदय,
एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की आज जन्मजयंती है।एकात्म मानवदर्शन यानि Integral Humanism.अर्थात, स्व से समष्टि तक, विकास और विस्तार की सह यात्रा।
Expansion of the self, moving from individual to the society, the nation and entire humanity.और ये चिंतन, अंत्योदय को समर्पित है।अंत्योदय को आज की परिभाषा में Where no one is left behind, कहा जाता है।
इसी भावना के साथ, भारत आज Integrated, Equitable Development की राह पर आगे बढ़ रहा है। विकास, सर्वसमावेशी हो, सर्व-स्पर्शी हो, सर्व-व्यापी हो, सर्व-पोषक हो, यही हमारी प्राथमिकता है।
बीते सात वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया है, जो अब तक इससे वंचित थे।आज 36 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को भी बीमा सुरक्षा कवच मिला है, जो पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे।
50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा देकर, भारत ने उन्हें क्वालिटी हेल्थ सर्विस से जोड़ा है।भारत ने 3 करोड़ पक्के घर बनाकर, बेघर यानि Homeless परिवारों को Home-owners बनाया है।
अध्यक्ष महोदय,
प्रदूषित पानी, भारत ही नहीं पूरे विश्व और खासकर गरीब और विकासशील देशों की बहुत बड़ी समस्या है।भारत में इस चुनौती से निपटने के लिए हम 17 करोड़ से अधिक घरों तक, पाइप से साफ पानी पहुंचाने का बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं।
विश्व की बड़ी-बड़ी संस्थाओं ने ये माना है कि किसी भी देश के विकास के लिए वहां के नागरिकों के पास जमीन और घर के प्रॉपर्टी राइट्स, यानि Ownership का रिकॉर्ड होना, बहुत जरूरी है।दुनिया के बड़े-बड़े देशों में, बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीनों और घरों के Property Rights नहीं है।
आज हम भारत के 6 लाख से अधिक गांवों में ड्रोन से मैपिंग कराकर, करोड़ों लोगों को उनके घर और जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड देने में जुटे हैं।
ये डिजिटल रिकॉर्ड, प्रॉपर्टी पर विवाद कम करने के साथ ही, Access to Credit- बैंक लोन तक लोगों की पहुंच बढ़ा रहा है।
अध्यक्ष महोदय,
आज विश्व का हर छठा व्यक्ति भारतीय है।जब भारतीयों की प्रगति होती है तो विश्व के विकास को भी गति मिलती है।
When India grows, the world grows. When India reforms, the world transforms.
भारत में हो रहे साइंस और टेक्नोलॉजी आधारित Innovations विश्व की बहुत मदद कर सकते हैं।हमारे Tech-Solutions का स्केल और उनकी कम लागत, दोनों अतुलनीय है।
हमारे Unified Payment Interface UPI से आज भारत में हर महीने 350 करोड़ से ज्यादा ट्रांजेक्शन हो रहे हैं। भारत का वैक्सीन डेलिवरी प्लेटफॉर्म- CO-WIN, एक ही दिन में करोड़ों वैक्सीन डोज लगाने के लिए डिजिटल सपोर्ट दे रहा है।
अध्यक्ष महोदय,
सेवा परमो धर्म:
सेवा परमो धर्म: को जीने वाला भारत, सीमित संसाधनों के बावजूद भी वैक्सीनेशन डवलपमेंट और मैन्यूफैक्चरिंग में जी-जान से जुटा है।
मैं UNGA को ये जानकारी देना चाहता हूं कि, भारत ने दुनिया की पहली , दुनिया की पहली DNA वैक्सीन विकसित कर ली है, जिसे 12 साल की आयु से ज्यादा के सभी लोगों को लगाया जा सकता है।
एक और m-RNA वैक्सीन, अपने डवलपमेंट के आखिरी चरण में है।भारत के वैज्ञानिक कोरोना की एक नेज़ल वैक्सीन के निर्माण में भी जुटे हैं।मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत ने, एक बार फिर दुनिया के जरूरतमंदों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है।
मैं आज दुनिया भर के वैक्सीन मैन्यूफैक्चर्स को भी आमंत्रित करता हूं-
Come, Make Vaccine in India.
अध्यक्ष महोदय,
आज हम सब जानते हैं कि मानव जीवन में, टेक्नोलॉजी का कितना महत्व है।लेकिन बदलते हुए विश्व में, Technology with Democratic Values, ये सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
भारतीय मूल के डॉक्टर्स, इनोवेटर्स, इंजीनियर्स, मैनेजर्स, किसी भी देश में रहें, हमारे लोकतांत्रिक मूल्य, उन्हें मानवता की सेवा में जुटे रहने की प्रेरणा देते रहते हैं।और ये हमने इस कोरोना काल में भी देखा है।
अध्यक्ष महोदय,
कोरोना महामारी ने, विश्व को ये भी सबक दिया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब और अधिक Diversify किया जाए। इसके लिए Global Value Chains का विस्तार, आवश्यक है।
हमारा आत्मनिर्भर भारत अभियान इसी भावना से प्रेरित है।ग्लोबल Industrial Diversification के लिए भारत, विश्व का एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद पार्टनर बन रहा है।
और इस अभियान में भारत ने Economy और Ecology दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित किया है।बड़े और विकसित देशों की तुलना में, Climate Action को लेकर भारत के प्रयासों को देखकर आप सभी को निश्चित ही गर्व होगा।आज भारत, बहुत तेजी के साथ 450 गीगावॉट रीन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है।हम भारत को, दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने के अभियान में भी जुट गए हैं।
अध्यक्ष महोदय,
हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को जवाब देना है कि जब फैसले लेने का समय था, तब जिन पर विश्व को दिशा देने का दायित्व था, वो क्या कर रहे थे?आज विश्व के सामने Regressive Thinking और Extremism का खतरा बढ़ता जा रहा है।
इन परिस्थितियों में, पूरे विश्व को Science-Based, Rational और Progressive Thinking को विकास का आधार बनाना ही होगा।
साइंस बेस्ड अप्रोच को मजबूत करने के लिए भारत, Experience Based Learning को बढ़ावा दे रहा है।हमारे यहां, स्कूलों में हजारों अटल टिंकरिंग लैब्स खोली गई हैं, इंक्यूब्येटर्स बने हैं और एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम विकसित हुआ है।
अपनी आजादी के 75वें वर्ष के उपल्क्ष्य में, भारत 75 ऐसे सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने वाला है, जो भारतीय विद्यार्थी, स्कूल-कॉलेजों में बना रहे हैं।
अध्यक्ष जी,
दूसरी ओर, Regressive Thinking के साथ, जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद, उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है।ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो।
हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का कोई देश, अपने स्वार्थ के लिए, एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश ना करे।
इस समय अफगानिस्तान की जनता को, वहां की महिलाओं और बच्चों को, वहां की माइनॉरिटीज को, मदद की जरूरत है, और इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।
अध्यक्ष महोदय,
हमारे समंदर भी हमारी साझी विरासत हैं।इसलिए हमें ये ध्यान रखना होगा कि Ocean resources को हम use करें, abuse नहीं।हमारे समंदर, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की लाइफ-लाइन भी हैं।इन्हें हमें expansion और exclusion की दौड़ से बचाकर रखना होगा।
Rule-based world order को सशक्त करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सुर में आवाज उठानी ही होगी।सुरक्षा परिषद में भारत की प्रेसिडेंसी के दौरान बनी विस्तृत सहमति, विश्व को मैरीटाइम सेक्योरिटी के विषय में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है।
अध्यक्ष महोदय,
भारत के महान कूटनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था-कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति।जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है।
संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी Effectiveness को सुधारना होगा, Reliability को बढ़ाना होगा।
UN पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।इन सवाल को हमने Climate Crisis में देखा है, COVID के दौरान देखा है।दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर- आतंकवाद और अभी अफ़ग़ानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।COVID के Origin के संदर्भ में और Ease of Doing Business Rankings को लेकर, वैश्विक गवर्नेंस से जुड़ी संस्थाओं ने, दशकों के परिश्रम से बनी अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है।
ये आवश्यक है कि हम UN को Global Order, Global Laws और Global Values के संरक्षण के लिए निरंतर सुदृढ़ करें। मैं, नोबल पुरस्कार विजेता, गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर जी के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं।
शुभो कोर्मो-पोथे / धोरो निर्भोयो गान, शोब दुर्बोल सोन्शोय /होक ओबोसान।
अर्थात…अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो।सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों।
ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए भीप्रासंगिक है। मुझे विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ,
बहुत-बहुत धन्यवाद
नमस्कार !
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