मुख्यमंत्री -उत्तराखण्ड
महोदय
विषय-उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण करने के लिए रखे गये अपमानजनक व अन्यायपूर्ण मानकों को रद्द कर न्यायोचित व तर्कसंगत मानक हेतु शासनादेश जारी करने हेतुमान्यवर,
आपके नेतृत्व में उतराखण्ड सरकार ने 17 सितम्बबर 2021 को शासन के कार्यालय ज्ञाप पत्र संख्या 1262/बीस-4/2017-26(उ.रा.आं. ) /2017 दिनांक 11. 12. 2017 के माध्यम से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण हेतु लम्बित आवेदन पत्रों के निस्तारण हेतु अंतिम तिथि 31 दिसम्बर 2021 तक निधारित करने के लिए राज्य गठन आंदोलनकारियों की तरफ से हम हार्दिक आभार प्रकट करते है।
उतराखण्ड शासन के अपर सचिव द्वारा हस्ताक्षरित उक्त कार्यालय ज्ञाप में स्पष्ट किया है कि राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण शासनादेश संख्या -1192/बीस-4/2017-3(13)/2011, दिनांक 01.12.2017 में विहित मानकानुसार ही किया जायेगा।
1/12/2017 को प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन के हस्ताक्षरित उक्त शासनादेश के मानको में
(क) एलआईयू की रिर्पोट (ख) पुलिस के अन्य अभिलेख यथा डेली डायरी के प्रासंगिक अंश
(ग)प्रथम सूचना रिपोर्ट( थ्त्प्) जिस रूप में भी दर्ज हो (घ) चिकित्सालय संबंधी रिपोर्ट
(च) ऐसे अन्य अभिलेखों पर आधारित सूचनाएं, जिनकी प्रमााणिकता जिलाधिकारियों द्वारा पुष्टि की जाय
बिन्दु(च) के क्रम में कतिपय व्यक्तियों द्वारा समाचारन पत्र की कतरन के आधार पर स्वयं को राज्य आंदोलनकारी चिन्हित किये जाने का अनुरोध किया जा रहा है।
इस सम्बंध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ कि मात्र समाचार पत्रों की कतरन के आधार पर राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं किया जा सकता है।
इस सन्दर्भ में हमारा शुरू से ही मत रहा है कि उक्त मानक राज्य गठन आंदोलनकारियों को अपमानित करने वाले व अन्यायपूर्ण हैै। सरकार को ऐसे मानको के बजाय न्यायोचित व तर्कसंगगत मानक युक्त शासनादेश जारी करना चाहिए।
क्योकि उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों ने आंदोलन शांतिपूर्ण व संविधान सम्मत किया। सरकारी मानकों के अनुसार तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम राज्य गठन के लिए किसी फिरंगी सत्ता से युद्ध कर रहे थे। जो हम जेल, अस्पताल इत्यादि जाना अनिवार्य सा लगता है।
उतराखण्ड राज्य आंदोलन प्रबुद्ध व देशभक्तों का आंदोलन था न कि हिंसक व राष्ट्र विरोधी आंदोलन था। ऐसा लगता है ये मानक अज्ञानता व दुराग्रह पूर्वक आंदोलनकारियों को अपमानित करने के लिए बनाये गये।
उतराखण्ड आंदोलन जनांदोलन था, यह आंदोलन जेल या अस्पताल जाने या हिंसा करने के लिए नहीं चलाया गया। अपनी सरकार से शांतिपूर्ण ढ़ग से संविधानसम्मत आंदोलन था। इसमें जेल जाने या अस्पताल में भर्ती होने या पुलिस का दखल का कोई कारण नजर नहीं आता।
उतराखण्ड आंदोलन जनांदोलन था इसमें लाखों लोग सम्मलित थे। इसको पुलिस या जेल अधिकारी या अस्पताल वाले संचालित नहीं कर रहे थे। इसको उतराखण्ड राज्य गठन के आंदोलनकारी संगठन ही संचालित कर रहे थे। सक्रिय आंदोलनकारी कोन है इस आंदोलनकारी संगठन ही बता सकते है। जेल, पुलिस व अस्पताल या अखबार वाले नहीं। उतराखण्ड विरोधी तिवारी सरकार द्वारा बनाये गये इन मानको को उद्देश्य आंदोलनकारियों को अपमानित करना था। आंदोलनकारी जेल, थाना,अखबार व अस्पताल के चक्कर काटते रहे। सरकार के पास आंदोलनकारी संगठनों की सूचि होगी ही। उनसे अपने सक्रिय आंदोलनकारियों की सूचि प्रमाणित कराई जा सकती है।
आंदोलनकारी प्रमुख संगठन
(1) उतराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति( बडोनी/ हरीश रावत वाली) 2. उतराखण्ड महिला संयुक्त संघर्ष समिति 3. उतराखण्ड छात्र संयुक्त संघर्ष समिति 4. उतराखण्ड महिला मंच, 5. उतराखण्ड पूर्व सैनिक व अर्धसैनिक संगठन ,उतराखण्ड छात्र व युवा संगठन, उतराखण्ड शिक्षक व कर्मचारी संगठन आदि
दिल्ली ने दिल्ली के उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा,उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड राज्य लोक मंच, उत्तराखण्ड क्रांति दल, उसंस /हिमनद संघ(भाजपा), उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति व सक्रिय पत्रकारों के अलावा उक्रांद, भाकपा, माले सहित अन्य सामाजिक संगठनों से जुडे समर्पित सक्रिय आंदोलनकारियों के आवेदन पत्रों, आंदोलन से जुडे रहने वाले दस्तावेजों की जांच करने के बाद चयन समिति ने आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण के लिए चयन किया। भवदीय
उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा उत्तराखण्ड जन मोर्चा उत्तराखण्ड लोकमंच उत्तराखण्ड महासभा उत्तराखण्ड क्रांति दल
देवसिंह रावत रवीन्दर बिष्ट बृजमोहन उप्रेती अनिल पंत प्रताप शाही
खुशहाल सिंह बिष्ट डा एस एन बसलियाल उतराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति मनमोहन शाह एल डी पाण्डे