भाजपा, बसपा, आप व अकाली ने इसे बताया कांग्रेस का चुनावी दाव, कांग्रेस ने बताया ऐतिहासिक कार्य
देवसिंह रावत –
पंजाब में 20 सितम्बर को हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने चंडीगढ में राजभवन में एक सादे आयोजन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण करने के साथ वे पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री भी बन गये। मुख्यमंत्री चन्नी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओ पी सोनी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया जिन्होने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
इस अवसर पर कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी, कांग्रेस के केंद्रीय प्रभारी हरीश रावत, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू, कांग्रेसी नेता सुनील जाखड सहित केवल 40 लोगों को ही कोरोना महामारी के नियमों के अनुसार उपस्थित रहने की अनुमति प्रदान की गयी थी।
वहीं भाजपा, बसपा, आप व अकाली दल ने कांग्रेस द्वारा पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने को चुनावी दाव बताया। वहीं कांग्रेस ने इसे सामाजिक न्याय का एक ऐतिहासिक कार्य बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने नव नियुक्त मुख्यमंत्री श्री चन्नी को बधाई व शुभकामनाएं दी। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनने की बधाई तो दी पर मायावती ने दलित समाज को कांग्रेस के हथकंडे से सावधान होने को कहा।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में यह राजनैतिक उठापटक तब हुआ जब विधानसभा चुनाव की देहरी में खडे पंजाब की सत्तारूढ कांग्रेस सरकार के मुखिया अमरेंद्र सिंह व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू के बीच सत्तासंघर्ष निरंतर बढता ही जा रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष का आरोप था कि मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह सरकार चुनावी वादों को पूरा नहीं कर रही है। इसी को लेकर कांग्रेस के कई दर्जन विधायकों ने मुख्यमंत्री बदलने की मांग की, जिसके तहत ही कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस विधायक मण्डल की बैठक बुलाई। कांग्रेस विधायकों के मंसूबों को भांप कर अमरेंद्र सिंह व उनके मंत्रियों ने राज्यपाल से मिल कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। वहीं कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मत से यह नये मुख्यमंत्री के चुनाव का अधिकार कांग्रेस आलाकमान को सोंपा गया। इसके साथ अमरेंद्र सरकार के कार्यों की सराहना की गयी।
इसके बाद कांग्रेस के नये मुख्यमंत्री के लिए सबसे पहले सुनील जाखड जो प्रदेश कांग्रेस के पूर्वपूर्वअध्यक्ष भी रहे उनको नाम भी उछला। ऐसा लग रहा था कि पंजाब में छह दशक बाद यानी हरियाणा के गठन के बाद पहली बार कोई हिंदु मुख्यमंत्री बनेंगा। हालांकि हरियाणा बनने से पहले पंजाब के तीन मुख्यमंत्री हिंदु समाज से थे। इनमें गोपाल चंद भार्गव, भीमसेन सच्चर व राम किशन परन्तु हरियाणा बनने के बाद इस पर विराम लग गया। कांग्रेस में फिर मंथन चला कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री अम्बिका सोनी का नाम उछला, उन्होने स्वास्थ्य कारणों से इसको स्वीकार नहीं किया। परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व को पंजाब में सिख को ही मुख्यमंत्री बनाने की सलाह जरूर दी। इसके बाद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुखवींदर रंधावा का नाम तय समझा जाने लगा, उनके समर्थकों ने मिठाईयां भी बांटने लगे। परन्तु तब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू गुट ने दलित को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रंधावा का विरोध किया। कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी ने भी यह सुझाव स्वीकार कर अपनी सहमति दे दी। इस प्रकार चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। यह कांग्रेस के लिए एक बडा हथियार चुनाव में साबित होगा। इस दाव से आप, बसपा, अकाली व भाजपा मर्माहित है। पंजाब में देश में सबसे अधिक प्रतिशत दलित रहते है। पंजाब की 3.05 करोड की जनसंख्या में 32 प्रतिशत जनसंख्या दलित वर्ग की है। वहीं धार्मिक आधार पर यहां 57.69 प्रतिशत सिख, 38.49 प्रतिशत हिंदू, 1.93 प्रतिशत मुसलमान व 1.26 प्रतिशत इसाई समुदाय है।
शपथ ग्रहण के बाद अपनी पहले संवाददाता संम्मेलन में मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने एक आम आदमी को पंजाब की कमान सौंपी है. जिसके घर में छत नहीं थी, उसे आज कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया. उन्होने ऐलान किया कि गरीबों के बिजली के बकाया बिल माफ कर दिया जायेगा और जिनके बिजली के कनेक्शन कटे है उनको बहाल कर दिया जायेगा। इसके साथ उन्होने किसान आंदोलन का पूरा समर्थन करते हुए चुनाव में किये गये सभी वादों को पूरा करने का भी आश्वासन दिया।
1 मार्च 1963 चमकोर साहिब में जन्में चरणजीत सिंह चन्नी 2007 के विधानसभा सदस्य है। बीए, एलएलबी व एमबीए शिक्षित श्री चन्नी, मुख्यमंत्री बनने से पहले नेता प्रतिपक्ष व मंत्री पद पर भी आसीन रह चूके है।हालांकि भाजपा के सो.मीडिया प्रमुख मालवीय ने उन पर मीटू के एक प्रकरण का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।
पंजाब में 20 सितम्बर को हुए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने चंडीगढ में राजभवन में एक सादे आयोजन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण करने के साथ वे पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री भी बन गये। मुख्यमंत्री चन्नी के अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओ पी सोनी को उप मुख्यमंत्री बनाया गया जिन्होने मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
इस अवसर पर कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी, कांग्रेस के केंद्रीय प्रभारी हरीश रावत, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू, कांग्रेसी नेता सुनील जाखड सहित केवल 40 लोगों को ही कोरोना महामारी के नियमों के अनुसार उपस्थित रहने की अनुमति प्रदान की गयी थी।
वहीं भाजपा, बसपा, आप व अकाली दल ने कांग्रेस द्वारा पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने को चुनावी दाव बताया। वहीं कांग्रेस ने इसे सामाजिक न्याय का एक ऐतिहासिक कार्य बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने नव नियुक्त मुख्यमंत्री श्री चन्नी को बधाई व शुभकामनाएं दी। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनने की बधाई तो दी पर मायावती ने दलित समाज को कांग्रेस के हथकंडे से सावधान होने को कहा।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में यह राजनैतिक उठापटक तब हुआ जब विधानसभा चुनाव की देहरी में खडे पंजाब की सत्तारूढ कांग्रेस सरकार के मुखिया अमरेंद्र सिंह व प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू के बीच सत्तासंघर्ष निरंतर बढता ही जा रहा था। कांग्रेस अध्यक्ष का आरोप था कि मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह सरकार चुनावी वादों को पूरा नहीं कर रही है। इसी को लेकर कांग्रेस के कई दर्जन विधायकों ने मुख्यमंत्री बदलने की मांग की, जिसके तहत ही कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस विधायक मण्डल की बैठक बुलाई। कांग्रेस विधायकों के मंसूबों को भांप कर अमरेंद्र सिंह व उनके मंत्रियों ने राज्यपाल से मिल कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। वहीं कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मत से यह नये मुख्यमंत्री के चुनाव का अधिकार कांग्रेस आलाकमान को सोंपा गया। इसके साथ अमरेंद्र सरकार के कार्यों की सराहना की गयी।
इसके बाद कांग्रेस के नये मुख्यमंत्री के लिए सबसे पहले सुनील जाखड जो प्रदेश कांग्रेस के पूर्वपूर्वअध्यक्ष भी रहे उनको नाम भी उछला। ऐसा लग रहा था कि पंजाब में छह दशक बाद यानी हरियाणा के गठन के बाद पहली बार कोई हिंदु मुख्यमंत्री बनेंगा। हालांकि हरियाणा बनने से पहले पंजाब के तीन मुख्यमंत्री हिंदु समाज से थे। इनमें गोपाल चंद भार्गव, भीमसेन सच्चर व राम किशन परन्तु हरियाणा बनने के बाद इस पर विराम लग गया। कांग्रेस में फिर मंथन चला कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री अम्बिका सोनी का नाम उछला, उन्होने स्वास्थ्य कारणों से इसको स्वीकार नहीं किया। परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व को पंजाब में सिख को ही मुख्यमंत्री बनाने की सलाह जरूर दी। इसके बाद वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुखवींदर रंधावा का नाम तय समझा जाने लगा, उनके समर्थकों ने मिठाईयां भी बांटने लगे। परन्तु तब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्दू गुट ने दलित को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रंधावा का विरोध किया। कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी ने भी यह सुझाव स्वीकार कर अपनी सहमति दे दी। इस प्रकार चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। यह कांग्रेस के लिए एक बडा हथियार चुनाव में साबित होगा। इस दाव से आप, बसपा, अकाली व भाजपा मर्माहित है। पंजाब में देश में सबसे अधिक प्रतिशत दलित रहते है। पंजाब की 3.05 करोड की जनसंख्या में 32 प्रतिशत जनसंख्या दलित वर्ग की है। वहीं धार्मिक आधार पर यहां 57.69 प्रतिशत सिख, 38.49 प्रतिशत हिंदू, 1.93 प्रतिशत मुसलमान व 1.26 प्रतिशत इसाई समुदाय है।
शपथ ग्रहण के बाद अपनी पहले संवाददाता संम्मेलन में मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने एक आम आदमी को पंजाब की कमान सौंपी है. जिसके घर में छत नहीं थी, उसे आज कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री बना दिया. उन्होने ऐलान किया कि गरीबों के बिजली के बकाया बिल माफ कर दिया जायेगा और जिनके बिजली के कनेक्शन कटे है उनको बहाल कर दिया जायेगा। इसके साथ उन्होने किसान आंदोलन का पूरा समर्थन करते हुए चुनाव में किये गये सभी वादों को पूरा करने का भी आश्वासन दिया।
1 मार्च 1963 चमकोर साहिब में जन्में चरणजीत सिंह चन्नी 2007 के विधानसभा सदस्य है। बीए, एलएलबी व एमबीए शिक्षित श्री चन्नी, मुख्यमंत्री बनने से पहले नेता प्रतिपक्ष व मंत्री पद पर भी आसीन रह चूके है।हालांकि भाजपा के सो.मीडिया प्रमुख मालवीय ने उन पर मीटू के एक प्रकरण का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।