हरि ॐ🙏
अपनी मातृभूमि देहरी मल्ली ( चम्बा टिहरी)में ही अंतिम सांस लेकर दुनिया से हुए विदा
देव सिंह रावत
नहीं रहे उत्तराखंड समाज के वरिष्ठ समाजसेवी लेखक, चिंतक व पूर्व सेवानिवृत्त अधिकारी प्रेम दत्त तिवारी। जैसे ही मैंने यह खबर आज सुबह फेसबुक पर देखी तो मैं स्तब्ध रह गया।
खबरों के अनुसार 24 अगस्त की सायं 5:00 बजे गांव में ही उनका निधन हो गया। उन्हें हल्की खांसी और बुखार था।
सुबह जब मैंने उनकी एक तस्वीर देखी तो मैंने सोचा कि तिवारी जी शायद गांव में अपनी किताब के बारे में कोई कार्यक्रम कर रहे होंगे ।( कुछ माह पहले ही जब मैं कोरोना महामारी की तालाबंदी में उत्तराखंड प्रवास पर था,तो उन दिनों उनका फोन आया कि उनकी पुस्तक का विमोचन गढ़वाल भवन में है। वहां पर केवल चंद साहित्यकार और पत्रकार ही बुलाए गए हैं। आपको उपस्थित रहना है । मुझे मालूम है कि विगत कई सालों से वे ग्राम प्रधानी के अनुभव का संस्मरण #प्रवासी_प्रधान नामक एक पुस्तक प्रकाशित करने में जुटे हुए थे।)
फिर मैंने अपने साथी अनिल पंत को फोन करके इस संदर्भ में जानकारी हासिल की। तो उन्होंने बताया कि ग्रुप में उन्होंने यह शोक खबर लगाई थी। जिसे मैं नहीं देख पाया। उन्होंने बताया कि उनका गांव में ही आकस्मिक देहांत हो गया।
तिवारी जी स्वस्थ थे। सक्रिय थे। जागरूक थे और अपनी मातृभूमि उत्तराखंड और गांव से न केवल अथाह स्नेह रखते थे। अपितु गांव में जाकर वहां की विकास के लिए ईमानदारी से निरंतर संघर्षशील रहते थे।
पिछले ही पखवाड़े उनका फोन आया था किस गांव में है लंबी बातचीत हुई। कह रही थे कि कुछ समय बाद दिल्ली आएंगे।
उल्लेखनीय है कि दिवंगत प्रेम दत्त तिवारी सेवानिवृत्ति के बाद दिल्ली में अपने परिवार के साथ सुखमय जीवन जीने व तमाम सुख-सुविधाओं का मोह छोड़कर अपनी जन्म भूमि उत्तराखंड में विकास के लिए तरस रहे अपने गांव व क्षेत्र के विकास के लिए अपने गांव गये। गाँव जाकर वहां सड़क विद्यालय पेयजल चिकित्सा आदि कार्य करने के लिए उनका समर्पित जज्बा देखकर उनके गांव देहरी मल्ली ने उनको ग्राम प्रधान बनाया। टिहरी जनपद के चंबा क्षेत्र के देवरी मल्ली गांव प्रधानी में दिवंगत तिवारी जी ने ईमानदारी व पूर्ण समर्पण से सभी कार्य पूरे किए। उनकी जनसेवा करने का निस्वार्थ जज्बा व कार्य करने की ईमानदारी को देखकर टिहरी जिलाधिकारी व विकास खंड चंबा के तमाम अधिकारी उनको आदर्श प्रधान बता कर उनकी मुक्त कंठ से सराहना करते थे।
सड़क मार्ग, चिकित्सा व विद्यालय के साथ पेयजल की सुविधाएं बेहतर ढंग से अपने ग्रामीण व क्षेत्रवासियों को प्रदान कर ग्राम प्रधान तिवारी अपने कार्यकाल से संतुष्ट रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में बिना पक्षपात के सरकारी योजनाओं को हर जरूरतमंद तक पहुंचाने का कार्य किया। एक कुशल प्रशासक थे। परंतु गांव में संकीर्ण राजनीति से व्यथित होकर फिर से प्रधान आदि की राजनीति में न उतर कर अपने परिवार के साथ वापिस दिल्ली में रहने लगे। परंतु इसके बावजूद दिल्ली में रहकर भी वह क्षेत्र के विकास के लिए सदा समर्पित रहे। वह उत्तराखंड के उन चंद जागरूक लोगों में से थे जो उत्तराखंड की विकास के लिए ईमानदारी से समर्पित रहते थे।
दिल्ली की तमाम सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय रहे प्रेम दत्त तिवारी शकरपुर क्षेत्र से भी विधायक व पार्षद बनकर जन सेवा करना चाहते थे। परंतु राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों में पक्षपात व गुटबाजी के कारण समाज उनके अनुभव का लाभ उठाने से वंचित रहा।
वे कई दशक मेरे अनन्य शुभचिंतकों में से एक रहे ।उनके निवास के नजदीक ही मेरा कार्यालय व निवास भी है। कभी कभार हुए आकर अपने विचारों सुझावों का आदान प्रदान करते रहते थे। दिल्ली के लाखों लाख उत्तराखंडी समाज के सक्रिय लोगों में से उन चंद सहृदय, जानकार, समर्पित व
ईमानदार समाजसेवी थे, जो जातिवाद क्षेत्रवाद और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर जनसेवा में सदा समर्पित रहते थे।स्वर्गीय प्रेम दत्त तिवारी के निधन पर देश की राजधानी दिल्ली के अनेक समाजसेवी संस्थाओं , समाजसेवियों, साहित्यकार पत्रकार व बुद्धिजीवियों ने गहरा शोक प्रकट किया।
दिवंगत प्रेमदत्त तिवारी जी
दिल्ली में उत्तराखंड समाज के अन्य सामाजिक संगठनों से भी जुड़े रहे।
दिवंगत तिवारी जी गढ़देशीय भ्रातृ मण्डल, गढ़वाल सदन, कड़कड़डुमा, पूर्वी दिल्ली पूर्व महासचिव एवं संस्थापक सदस्य एवं सलाहकार रहे।वे गढ़वाल हितेषिणी सभा,गढ़वाल भवन व
टिहरी उत्तरकाशी जन विकास परिषद के भी वरिष्ठ सदस्य रहे।
कुछ ही माह पहले मैंने प्यारा उत्तराखंड यूट्यूब चैनल में उनके प्रधानी के संस्मरणओं पर एक साक्षात्कार लिया था।
इस साक्षात्कार में बागेश्वर के समाजसेवी मोहन जोशी भी इस साक्षात्कार में साथ थे( https://youtu.be/ziNKfbiYcro)
मैं प्यारा उत्तराखंड परिवार की तरफ से श्री हरि के चरणों में विनम्र प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत प्रेमदत्त तिवारी जी को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनके शोकाकुल परिवार एवं परिजनों को इस असहनीय दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करे। ॐ शान्ति शान्ति शांति।