युगों तक भारतीयों के मानस पटल पर अमर रहेंगे कल्याण सिंह
देवसिंह रावत
उतरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान -हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का 21 अगस्त 2021 को लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई चिकित्सालय में लम्बी बीमारी के बाद देहांत हो गया। 89 वर्षीय कल्याण सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर छा गयी। भारतीय संस्कृति के प्रखर ध्वज वाहक व प्रखर राष्ट्रवादी नेता कल्याण सिंह देश के ऐसे एकमात्र मुख्यमंत्री रहे जिन्होने भगवान राम की जन्म भूमि में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी सरकार को कुर्वान कर दिया। दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह ने भारत के माथे पर लगे कलंकित बाबरी दाग से मुक्त कराया। विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस होने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को लोग बहुत ही सम्मान से बाबूजी व प्रखर रामभक्त के नाम से पुकारते थे।
जैसे ही कल्याण सिंह के निधन की खबर आयी। उप्र में तीन दिन का राजकीय शोक का ऐलान कर दिया गया। सत्तारूढ भाजपा ने अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर भाजपा के सभी बडे नेता दिवंगत कल्याण सिंह के पार्थिक देश के दर्शन कर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके निवास लखनऊ पंहुचे। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व उप्र के मुख्यमंत्री सहित देश के तमाम राजनेताओं ने कल्याण सिंह के निधन पर अपनी श्रद्धांजलि रूपि शोक संदेश प्रकट किया। 22 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ स्थित कल्याण सिंह को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने पंहुचे। अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। उत्तर प्रदेश के विकास में उनका योगदान अमिट है। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ओम शांति!
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में कल्याण सिंह जी ने अहम भूमिका निभाई। देश की हर पीढ़ी इसके लिए उनकी आभारी रहेगी। भारतीय मूल्यों में वे रचे-बसे थे और अपनी सदियों पुरानी परंपरा को लेकर उन्हें गर्व था।
श्री मोदी ने कहा कि कल्याण सिंह जी समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के करोड़ों लोगों की आवाज थे। उन्होंने किसानों, युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनगिनत प्रयास किए। उनका समर्पण और सेवाभाव लोगों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ कई महिनों से निरंतर कल्याण सिंह की देखभाल करने में जुटे हुए थे। 21 अगस्त को भी सुबह वे कल्याण सिंह के हालचाल लेने चिकित्सालय गये थे। उसके बाद सांयकाल कल्याणसिंह के निधन के बाद सबसे पहले चिकित्सालय पंहुचे थे। कल्याण सिंह के निधन से शोकाकुल उप्र के मुख्यमंत्री योगी ने अपने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। श्री योगी ने कल्याण सिंह को महानायक बताते हुए कहा कि समाज, कल्याण सिंह को उनके युगांतरकारी निर्णयों, कर्तव्यनिष्ठा व सुचितापूर्ण जीवन के लिए सदियों तक स्मरण करते हुए प्रेरित होता रहेगा। भारतीय राजनीति के लोकप्रिय जननेता आदरणीय कल्याण सिंह जी का देहावसान संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्हें कोटि कोटि श्रद्धांजलि!कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल लोधी राजपूत और माता का नाम श्रीमती सीता देवी था। कल्याण सिंह के 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कई बार अतरौली के विधानसभा सभी सदस्य रहें। साथ ही साथ ये उत्तर प्रदेश में लोक सभा सांसद और राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। ये प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्यूंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी ।
वो जून १९९१ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये ६ दिसम्बर १९९२ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
वो १९९३ के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अत्रौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने थे।वो सितम्बर १९९७ से नवम्बर १९९९ तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
२१ अक्टूबर १९९७ को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और २१ विधायकों का समर्थन दिलाया।ख्5, इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा।
दिसम्बर १९९९ में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी २००४ में पुनः भाजपा से जुड़े।२००४ के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। २००९ में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
दिवंगत सिंह ने ४ सितम्बर २०१४ को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें जनवरी २०१५ में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।उनके शोकाकुल परिवार में उनकी धर्मपत्नी रामवती देवी, उनके सुपुत्र राजवीर सिंह व पोता संदीप है।
उतरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान -हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का 21 अगस्त 2021 को लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई चिकित्सालय में लम्बी बीमारी के बाद देहांत हो गया। 89 वर्षीय कल्याण सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर छा गयी। भारतीय संस्कृति के प्रखर ध्वज वाहक व प्रखर राष्ट्रवादी नेता कल्याण सिंह देश के ऐसे एकमात्र मुख्यमंत्री रहे जिन्होने भगवान राम की जन्म भूमि में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए अपनी सरकार को कुर्वान कर दिया। दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह ने भारत के माथे पर लगे कलंकित बाबरी दाग से मुक्त कराया। विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस होने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह को लोग बहुत ही सम्मान से बाबूजी व प्रखर रामभक्त के नाम से पुकारते थे।
जैसे ही कल्याण सिंह के निधन की खबर आयी। उप्र में तीन दिन का राजकीय शोक का ऐलान कर दिया गया। सत्तारूढ भाजपा ने अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर भाजपा के सभी बडे नेता दिवंगत कल्याण सिंह के पार्थिक देश के दर्शन कर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करने उनके निवास लखनऊ पंहुचे। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व उप्र के मुख्यमंत्री सहित देश के तमाम राजनेताओं ने कल्याण सिंह के निधन पर अपनी श्रद्धांजलि रूपि शोक संदेश प्रकट किया। 22 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री मोदी लखनऊ स्थित कल्याण सिंह को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने पंहुचे। अपने शोक संदेश में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल्याण सिंह जी जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। उत्तर प्रदेश के विकास में उनका योगदान अमिट है। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ओम शांति!
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में कल्याण सिंह जी ने अहम भूमिका निभाई। देश की हर पीढ़ी इसके लिए उनकी आभारी रहेगी। भारतीय मूल्यों में वे रचे-बसे थे और अपनी सदियों पुरानी परंपरा को लेकर उन्हें गर्व था।
श्री मोदी ने कहा कि कल्याण सिंह जी समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के करोड़ों लोगों की आवाज थे। उन्होंने किसानों, युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनगिनत प्रयास किए। उनका समर्पण और सेवाभाव लोगों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ कई महिनों से निरंतर कल्याण सिंह की देखभाल करने में जुटे हुए थे। 21 अगस्त को भी सुबह वे कल्याण सिंह के हालचाल लेने चिकित्सालय गये थे। उसके बाद सांयकाल कल्याणसिंह के निधन के बाद सबसे पहले चिकित्सालय पंहुचे थे। कल्याण सिंह के निधन से शोकाकुल उप्र के मुख्यमंत्री योगी ने अपने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। श्री योगी ने कल्याण सिंह को महानायक बताते हुए कहा कि समाज, कल्याण सिंह को उनके युगांतरकारी निर्णयों, कर्तव्यनिष्ठा व सुचितापूर्ण जीवन के लिए सदियों तक स्मरण करते हुए प्रेरित होता रहेगा। भारतीय राजनीति के लोकप्रिय जननेता आदरणीय कल्याण सिंह जी का देहावसान संपूर्ण राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्हें कोटि कोटि श्रद्धांजलि!कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल लोधी राजपूत और माता का नाम श्रीमती सीता देवी था। कल्याण सिंह के 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और कई बार अतरौली के विधानसभा सभी सदस्य रहें। साथ ही साथ ये उत्तर प्रदेश में लोक सभा सांसद और राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बने और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। ये प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं, क्यूंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी ।
वो जून १९९१ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये ६ दिसम्बर १९९२ को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।
वो १९९३ के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अत्रौली और कासगंज से विधायक निर्वाचित हुये। चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनायी। विधान सभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने थे।वो सितम्बर १९९७ से नवम्बर १९९९ तक पुनः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
२१ अक्टूबर १९९७ को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कल्याण सिंह पहले से ही कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल के सम्पर्क में थे और उन्होंने तुरन्त शीघ्रता से नयी पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का घटन किया और २१ विधायकों का समर्थन दिलाया।ख्5, इसके लिए उन्होंने नरेश अग्रवाल को ऊर्जा विभाग का कार्यभार सौंपा।
दिसम्बर १९९९ में कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ दी और जनवरी २००४ में पुनः भाजपा से जुड़े।२००४ के आम चुनावों में उन्होंने बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। २००९ में उन्होंने पुनः भाजपा को छोड़ दिया और एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय सांसद चुने गये।
दिवंगत सिंह ने ४ सितम्बर २०१४ को राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। उन्हें जनवरी २०१५ में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया।उनके शोकाकुल परिवार में उनकी धर्मपत्नी रामवती देवी, उनके सुपुत्र राजवीर सिंह व पोता संदीप है।
दिवंगत कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में 23 अगस्त को किया जाएगा।22अगस्त को उनके पार्थिक शरीर को चिकित्सालय से उनके लखनऊ स्थित आवास ले जाया गया वहां प्रधानमंत्री सहित हजारों गणमान्य लोगों ने अपने लोकप्रिय जननायक को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को जनता के दर्शन के लिए विधानसभा भवन में ले जाया गया ।उसके बाद सायंकाल उनके पार्थिव शरीर को उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पार्टी के कार्यकर्ताओं के दर्शन के लिए रखा गया। उसके बाद वहां से उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाया गया।
कल्याण सिंह भले ही कुछ सालों से सक्रिय राजनीति में नहीं थे। परन्तु देश की राष्ट्रभक्त जनता उनको ऐसा रामभक्त राजनेता मानती है जिन्होने देश के सम्मान व संस्कृति की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी का भी बलिदान कर दिया था। उनके निधन पर शोकाकुल जनता उनको अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। भले ही कल्याण सिंह की नश्वर देह पंचभूत में सम्मलित हो जायेगी परन्तु भारतीय जनमानस के मानस व हृदय पटल पर कल्याण सिंह सदा जीवंत रहेंगे। ओम शांति ओम
कल्याण सिंह भले ही कुछ सालों से सक्रिय राजनीति में नहीं थे। परन्तु देश की राष्ट्रभक्त जनता उनको ऐसा रामभक्त राजनेता मानती है जिन्होने देश के सम्मान व संस्कृति की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी का भी बलिदान कर दिया था। उनके निधन पर शोकाकुल जनता उनको अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। भले ही कल्याण सिंह की नश्वर देह पंचभूत में सम्मलित हो जायेगी परन्तु भारतीय जनमानस के मानस व हृदय पटल पर कल्याण सिंह सदा जीवंत रहेंगे। ओम शांति ओम