देव सिंह रावत
उत्तराखंडके सामाजिक व्यक्ति हो या राजनेता दोनों को इस बात का भान होना चाहिए कि उत्तराखंड राज्य गठन की जन आकांक्षाएं,शहीदों की शहादत, लोकशाही व चहुंमुखी विकास के साथ देश की सुरक्षा का प्रतीक है राजधानी गैरसैंण बनाना। भू कानून,मूल निवास,जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन जरूरी है।
उत्तराखंड राज्य गठन आंदोलन किसी व्यक्ति या दल को सत्तासीन करने के लिए नहीं लड़ा गया था। उत्तराखंड राज्य गठन के आंदोलन के जो घाव मुजफ्फरनगर खटीमा मसूरी इत्यादि से मिले थे उस उन पर गुनाहगारों को दंडित करने का संकल्प लिया था। जिसको उत्तराखंड की 21 साल की सरकारों ने उत्तराखंड के हक हकूकों के साथ मान सम्मान को भी निर्ममता से रौंद दिया है।
इसलिए उत्तराखंड की तमाम शुभचिंतकों को चाहिए उत्तराखंड के नेताओं व नौकरशाहों को लोकशाही का पाठ पढ़ाने के लिए राजधानी गैरसैण बनाने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णायक दबाव बनाने का काम करें।
राजधानी गैरसैंण बनने के बाद जहां उपेक्षित पर्वतीय जनपदों में विकास के नए आयाम खुल जाएंगे वही नौकरशाह और नेताओं को पर्वती क्षेत्रों के प्रति दुराग्रह भी दूर हो जाएंगे। उन को समझाने के लिए फिर वह कानून मूल निवास, मुजफ्फरनगर कांड व जनसंख्या पर आधारित विधानसभा परिसीमन इत्यादि मुद्दों पर मजबूती से दबाव बनाया जा सकता है। अभी वर्तमान में भाजपा व कांग्रेस का हाला नेतृत्व उत्तराखंड में इस प्रकार के किसी कानून बनाने के पक्ष में नहीं है। वह हिमाचल से भू कानून को हटाने की तिकड़म कर रहे थे ।परंतु हिमाचल की जागरूक जनता व नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व की इस नापाक इरादों को विफल कर दिया।
इसलिए उत्तराखंड की तमाम हितेषियों को अपनी पूरी ताकत अभी राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए लगानी चाहिए। तभी उत्तराखंड से घुसपैठ भी बंद होगी। तभी उत्तराखंड के हक हकूकों की भी रक्षा होगी। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए उत्तराखंड, भारतीय संस्कृति की उद्गम स्थली रही है इसकी रक्षा मजबूती से की जानी चाहिए।