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कश्मीर समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री की बड़ी पहल

 

आज दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर कश्मीर समस्या के समाधान के लिए कश्मीरी नेताओं सहित सर्वदलीय बैठक

देव सिंह रावत

आज 21 जून 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अपने प्रधानमंत्री आवास पर एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया।

इस बैठक में सरकार ने साफ संकेत दिया कि उसकी प्राथमिकता कश्मीर में परिसीमन करा के शीघ्र विधानसभा चुनाव कराने की है। सरकार चाहती है कि नई विधानसभा के गठन के बाद ही कश्मीर को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाय। सरकार ने कश्मीरी नेताओं की मांग इस मांग को ठुकरा दिया है कि कश्मीर में पुनः अनुच्छेद 370 और 35a की बहाली की जाए और उसका पुराना स्वरूप बरकरार किया जाए। सरकार ने साफ संकेत दिए कि जिन राजनीतिक बंदियों पर गंभीर अपराध कई मामले दर्ज नहीं होंगे उनकी रिहाई हो सकती है। इसके साथ सरकार ने महबूबा मुफ्ती सहित अन्य नेताओं की पाकिस्तान से इस संबंध में वार्ता करने की मांग को सिरे से नकार दिया।
प्रधानमंत्री ने इस बैठक में साफ कहा कि यह कश्मीरी आवाम की दिलों की प्रति दूरी को कम करने के लिए व कश्मीर के त्वरित विकास के लिए आयोजित की गई है। इस बैठक से कश्मीर के नेताओं व देश के आला नेतृत्व के बीच में संवाद हीनता को काफी हद तक दूर कर दिया।

 

इस बैठक में कश्मीर के 8 राजनीतिक दलों के 14 नेताओं सहित देश के वरिष्ठ नेताओं ने भी भाग लिया। इस बैठक में भाग लेने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह, कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद, पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, गुलाम अहमद मीर वामपंथी नेता युसूफ तारागामी,
जम्मू कश्मीर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना, कविंद्र निर्मल सिंह पैंथर पार्टी के प्रमुख प्रोफेसर भीम सिंह आदि नेताओं ने भाग लिया।
जहां इस बैठक में सम्मलित होने से पहले कश्मीर से धारा 370 और 35a को हटाने का विरोध करने वाले
गुपकार समूह (जिसमें भाजपा व कांग्रेस छोड पर कश्मीर की अधिकांश राजनीतिक पार्टियां सम्मलित हैं,) ने बैठक आयोजित की। गुपकार समूह ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री द्वारा आहूत बैठक में सम्मलित होने का निर्णय लिया। इस अवसर पर समूह ने एक स्वर में कश्मीर में धारा 370 वह 35 ए बहाल करने के साथ कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग प्रधानमंत्री के साथ आयोजित बैठक में उठाने का निर्णय लिया।
प्रधानमंत्री द्वारा आहूत कश्मीर समस्या के समाधान के लिए आयोजित बैठक की भारत सहित पूरे विश्व में सराहना की जा रही है।
भारत की प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री के इस निर्णय की सराहना की।
इस बैठक से जो भी निर्णय केंद्र सरकार लेगी वह कश्मीर समस्या के समाधान में अवश्य मील का पत्थर साबित होगा।
और कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद जो संवाद हीनता और राजनीतिक गतिरोध कश्मीरी नेताओं के बीच पैदा हो रखा था उसे दूर करने में यह बैठक भी कारगर साबित होगी।
परंतु कश्मीर मामलों के जानकारों का यह साफ मानना है कि कश्मीर समस्या का समाधान तब तक स्थाई नहीं हो सकता जब तक भारत सरकार पाकिस्तान और चीन से सभी संबंध तोड़ कर कश्मीर में शासन प्रशासन में छुपे आस्तीन के सांपों को अंकुश न लगाए। इसके साथ कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा 1990 के आसपास भगाए गए कश्मीरी आवाम को सुरक्षित कश्मीर में बसाने का काम किया जाना भी अति जरूरी है।
हैरानी की बात है कि 1990 के बाद कई सरकारें आई और गई परंतु किसी सरकार ने कश्मीर से भगाए गए भारतीयों को वहां पर वापिस बसाने और आतंकियों को जमींदोज करने का काम नहीं किया।जैसे आतंकियों का मनोबल बड़ा और भारतीयों को निराशा हाथ लगी।
सरकार जिस प्रकार से कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए वहां के स्थापित राजनीतिक दलों से वार्ता या चुनावी गतिविधियां बढ़ाने का निर्णय लेगी। इससे कश्मीर समस्या का समाधान होने के आसार नहीं हैं। कश्मीर समस्या की मूल जड़ पाकिस्तान है। जब तक भारत पाकिस्तान व उसके रहनुमा बने चीन पर से सभी संबंध तोड़ कर उसके गुर्गों पर अंकुश नहीं लगाएगा, तब तक कश्मीर सहित भारत में अमन चैन स्थापित नहीं हो सकता।सरकारें कश्मीर में अनेक बनी परंतु कश्मीर समस्या के समाधान के लिए न किसी सरकार पर के पास इच्छाशक्ति थी न उसकी नियत ही साफ थी।
इसलिए कश्मीर समस्या के स्थाई समाधान के लिए जो साहस धारा 370 हटाने से लेकर अब तक मोदी सरकार ने दिखाया, वही जज्बा व साहस अगर जारी रहे तो कश्मीर समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है।

प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित इस बैठक के बाद पीडीपी के प्रमुख मोहबुबा मुफ्ती ने मोदी सरकार से आह्वान किया कि इस वार्ता में पाकिस्तान के साथ भी वार्ता की जाए तथा कश्मीर में सभी अलगाववादियों को रिहा किया जाए।
हालांकि दिल्ली पहुंचने पर कश्मीर के सबसे अनुभवी वह बुजुर्ग नेता फारूक अब्दुल्ला ने दो टूक शब्दों में कहा कि हमें पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है ह।अपने  वतन की बात करेंगे और अपने प्रधानमंत्री से वार्ता करेंगे।इस प्रकार से फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान से वार्ता करने की मांग को महबूबा मुफ्ती का निजी एजेंडा बता कर खुद को उस से किनारा किया।
वही महबूबा मुफ्ती का कहना है जब भारत सरकार तालिबान आतंकियों से दोहा में वार्ता कर सकती है तो कश्मीर मामले में दशकों से विवाद पैदा कर रहे पाकिस्तान से वार्ता क्यों नहीं कर रही है।
उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और 35a हटाने का ऐलान करने के साथ जम्मू कश्मीर प्रदेश को 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। जम्मू कश्मीर को एक केंद्र शासित प्रदेश व वह लद्दाख को दूसरा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया। इसके साथ ही इस घोषणा से पहले ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के तमाम अलगाववादी नेताओं को शिकंजे में ले लिया था तथा घाटी में कश्मीर से धारा 370 हटाने का विरोध करने वाले सभी दलों के प्रमुख नेताओं को भी नजर बंद कर दिया था। घाटी में कई दिन तक संचार सेवाएं बंद कर दी गई वह कर्फ्यू भी लगाया गया। हालात सामान्य होने पर जम्मू कश्मीर में विकास कार रथ आगे बढ़ाया गया।इस संदर्भ में संसद में आश्वासन देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विश्वास दिया था कि जब भी उचित समय लगेगा तभी कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।

अब 2 साल से पहले मोदी सरकार ने कश्मीर समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री के आव्हान पर उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया। कायस लगाया जा रहा है की इस बैठक में कश्मीर में विधानसभा ही परिसीमन विकास की गति तेज करने वह शांति प्रक्रिया को मजबूती से लागू करने की भी निर्णायक सहमति ली जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय में दोपहर 3:00 बजे से हो रही इस बैठक में कोई ठोस निर्णय अवश्य लिया जाएगा।
परंतु जम्मू के अधिकांश लोगों को आशा व मांग है कि जम्मू को कश्मीर से अलग ही लद्दाख की तरह अलग संवैधानिक दर्जा दिया जाए।
एक तरफ केंद्र सरकार व तमाम राजनीतिक दल कश्मीर समस्या के समाधान के लिए दिल्ली में गहन चिंतन मंथन व निर्णय लेने के लिए कमर कसे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कश्मीर घाटी में अलगाववादी तत्व आतंक फैलाकर इस मुहिम पर पानी फिरने की नापाक कोशिश कर रहे हैं। जिस प्रकार से इस बैठक से पहले ही कश्मीर में एक जांबाज़ ईस्पेक्टर की गोली मारकर निर्मम हत्या की गई।। वही घाटी में कई स्थानों पर आतंकी हमले भी किए गए। आतंकियों के इस नापाक हरकतों को सुरक्षा बल सजग होकर विफल कर रहे हैं।

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