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कुछ महीने पहले ही देश की मोदी सरकार ने नई शिक्षा निति को लागू कराया है, जिसमे NEP 2020 पर मुहर लगाने के बाद कैबिनेट ने बताया था की “कम से कम पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई कराई जाए।” इसमें यह भी कहा गया है कि इस पॉलिसी का ज़ोर पांचवी क्लास तक मातृ भाषा, स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई कराने पर है। लेकिन यह आठवीं या उसके बाद भी जारी रह सकता है।
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जिसको देखते हुए उत्तराखंड की उत्तराखंड सरकार ने यह निर्णय किया है की आगामी सत्र से कक्षा एक से पांचवी तक कुमाउनी एवं गढ़वाली भाषा का शिक्षण करने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में हर जिले के एक विकास खंड में अपनी दुधबोली का पठन—पाठन हेतु पुस्तकों की रचना कर विद्यालयों को उपलब्ध भी करायी गई हैं।
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जिस तरह आप कक्षा 1 की धगुली और 5 की झुमकी गढ़वाली भाषा में देख रहे है ऐसे ही कुमाऊँ भाषा में भी अलग किताब अब आपके नन्हे बच्चो को पढाई जाएगी।
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पहले जब गांव के बच्चे पढ़ते थे तो टीचर बच्चो को बोलते थे की स्कूल में केवल हिंदी बोलो लेकिन अब यह शायद ही किसी टीचर को बोलना पड़े क्यूंकि हमारी पहाड़ की बोलियां किसी से कम थोड़े न है।
राज्य सरकार ने आगामी सत्र से कक्षा एक से पांचवी तक कुमाउनी एवं गढ़वाली भाषा का शिक्षण करने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में हर जिले के एक विकास खंड में अपनी दुधबोली का पठन—पाठन हेतु पुस्तकों की रचना कर विद्यालयों को उपलब्ध भी करायी गई हैं। pic.twitter.com/jbh74hGzl0
— DD NEWS UTTARAKHAND (@DDnews_dehradun) March 16, 2021