- नजफगढ़ की दामनी के गुनाहगारों को कब मिलेगी फांसी की सजा?
नई दिल्ली(प्याउ)ं। नजफगढ़ दिल्ली की दामिनी के गुनाहगारों को वर्षों से फांसी की सजा न दिये जाने से आक्रोशित लोगों ने आज 1 मार्च 2021 की सांयकाल संसद की चौखट जंतर मंतर पर उतराखण्ड एकता मंच दिल्ली के आवाहन पर न्याय की गुहार लगाई। उच्च न्यायालय से फांसी की सजा पाये गुनाहगारों को सजा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस सजा पर अपना फैसला न दिये जाने से वर्षों से लंबित पडा हुआ है। अब 2 मार्च 2021 को सर्वोच्च न्यायालय में इस पर कार्यवाही चलेगी। जनता इस बात से हैरान व आक्रोशित है कि ऐसे जघन्य काण्ड पर भी त्वरित फैसला करने में देश की न्यायपालिका क्यों जनभावनाओं का आदर नहीं कर रही है। न्याय पालिका का ध्यान आकृष्ठ कराने के लिए आज 1 मार्च 2021 को उतराखण्ड एकता मंच के आवाहन पर बड़ी संख्या में लोगों ने गुनाहगारों को फांसी दो की मांग करते हुए मोमबती प्रज्जवलित की। इस अवसर पर मृतक पीड़िता को श्रद्धांजलि भी दी गयी और न्याय पालिका से अपने दायित्व का निर्वहन करने की भी पुरजोर मांग की गयी।
इस अवसर पर वक्ताओं ने इस बात पर हैरानी प्रकट की कि 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा फांसी की सजा पर मुहर लगाने के बाबजूद अभी तक गुनाहगारों को फांसी की सजा पर अंतिम फैसला देने में सर्वोच्च न्यायालय ने इतना बिलम्ब क्यों किया। लोग इस बात से भी हैरान थे कि एक तरफ दिल्ली की दामिनी जिसके साथ 16दिसम्बर 2012 को हैवानियत की गयी थी, उसके गुनाहगारों को तो 20 मार्च 2020 को फांसी की सजा दे दी गयी। परन्तु दिल्ली दामिनी से कई माह पहले हैवानियत का शिकार हुई नजफगढ की दामिनी के गुनाहगारों को फांसी की सजा पर अंतिम मुहर सर्वोच्च न्यायालय नहीं लगा पाया। यह हर नागरिक को न्याय की समानता के सिद्धांत का खुला उलंघन है। लोगों ने मांग की कि ऐसे हैवानियत के गुनाहगारों को एक ही साल में सजा देने का काम जब तक न्याय पालिका नहीं करेगी तब तक ऐसे गुनाहों पर अंकुश नहीं लगेगा। अपराधियों के मन में कानून का भय तभी होगा जब त्वरित न्याय किया जाय।
लोगों के जेहन में एक ही सवाल है कि इस काण्ड के गुनाहगारों को 2014 को उच्च न्यायालय से भी फांसी की सजा देने पर अपनी मुहर लगा चुका है। परन्तु सर्वोच्च न्यायालय में इतना बिलम्ब क्यों? आखिर समय पर न्याय न होना भी अन्याय के समान ही होता है।
आज उत्तराखंड एकता मंच के आवाहन पर निकाली गई न्याय ज्योति यात्रा में नजफगढ़ की दामिनी के माता पिता सहित बडी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन डा विनोद बचाती ने किया। सभा को जनांदोलोन के प्रमुख ध्वज वाहक देवसिंह रावत, अग्रणी समाजसेवी चंद्र बल्लभ
टम्टा, शीर्ष संगीतकार राजेन्द्र चौहान, महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत नेत्री योगिता,प्रेमा धोनी व रोशनी चमोली, गढवाल हितैषियों सभा के पूर्व अध्यक्ष गंभीर सिंह नेगी, युवा समाजसेवी प्रीतम जैठा,भाजपा नेता रवि नेगी व कांग्रेसी नेता नेगी सहित अनेक समाज सेवियों ने संबोधित किया।
इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे समाजसेवी अनिल पंत, पत्रकार सतेन्दर रावत,हरीशअसवाल आदि के अलावा भाजपा नेता डा विनोद बछेती,कांग्रेस के राष्ट्रीय सह सचिव हरिपाल रावत, पूर्व राज्यमंत्री धीरेन्द्र प्रताप,गढवाल हितैषियों सभा के पूर्व अध्यक्ष विक्रम अधिकारी, अधिवक्ता नेगी
आप नेता निशांत रौथाण व शशि मोहन कोटनाला,प्रताप थलवाल,संजय नौडियाल,विहिप के प्रवक्ता महेन्द्र रावत, भाजपा नेता अर्जुन राणा,
शिवसिंह रावत,राकेश नेगी,सुभाष ध्यानी,उमेश रावत,माया रावत,द्वारिका प्रसाद चमोली, रवीन्द्र वर्तवाल, मोहन जोशी,दलवीर रावत, जयेन्दर नेगी, गो भक्त भट्ट, श्रीमती नीना कण्डवाल, डीपी भट्ट, पत्रकार अमर चंद,जोशी,रमेश चंद,नरेश देवरानी व विनोद ढौडियाल भी उपस्थित थे।
गौरतलब है कि दिल्ली नजफगढ की छावला कला कालोनी में रहने वाली दामिनी के साथ 9 फरवरी 2012 को हैवानों ने उस समय कार से जबरन अगवा किया जब वह 8.30 बजे रात को अपने घर की तरफ अपनी दो अन्य सहेलियों के साथ पैदल जा रही थी। हैवानों ने पैदल चल रही इन तीन लडकियों को जबरन छेडछाड करने का दुशाहस किया तो लडकियां बचने के लिए भागने लगी। दामिनी को हैवानों ने जबरन कार में बिठाकर भाग गये। उसके बाद इसकी शिकायत पीड़ित परिवार ने पुलिस से की तो भारी जनदवाब के बाद पुलिस ने 14 फरवरी को दामिनी की बेहद बुरी हालत में पड़ी लांश हरियाणा के खेतों से बरामद किया।गुनाहगारों की हैवानियत व जनता की पुरजोर मांग को देखते हुए द्वारिका कोर्ट ने गुनाहगारों को फांसी की सजा दी। उसे 2014 में उच्च न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगाई। 2014 से यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है।