देश व्यापार

‘आदि महोत्सव’ (भारत के जनजातीय उत्सव ) का सफलतापूर्वक समापन

16 फरवरी 2021 नई दिल्ली से पसूकाभास

1 से 15 फरवरी, 2021 तक नई दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में आयोजित भारत के जनजातीय उत्सव ‘आदि महोत्सव’ का कल शाम सफलतापूर्वक समापन हुआ। समापन समारोह की अध्यक्षता ट्राइफेड के अध्यक्ष रमेश चंद मीणा द्वारा की गई। इस अवसर पर त्रिपुरा मार्कफेड के अध्यक्ष  कृष्णनंदन दास, ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक  प्रवीर कृष्ण भी उपस्थित थे। समापन कार्यक्रम के शुभारंभ में गणमान्य व्यक्तियों ने उत्सव में लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन किया। अपने स्वागत भाषण में, श्रीकृष्ण ने इस महोत्सव को व्यापक रूप से सफल बनाने के लिए गणमान्य व्यक्तियों और दिल्लीवासियों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि वर्तमान समय की परिस्थितियों के बावजूद इस समारोह में लोगों की भारी उपस्थिति और अभूतपूर्व बिक्री दर्ज होने से निश्चित रूप से जनजातीय शिल्पियों और निवासियों को लॉकडाउन के दौरान सामने आने वाली समस्याओं के समाधान की दिशा में एक दीर्घकालिक मदद मिलेगी।

A group of men holding a certificateDescription automatically generated with low confidence

इस लघु समारोह के दौरान विभिन्न समूहों में जनजातीय शिल्पियों की तीन प्रमुख श्रेणियां शामिल थीं। इनके बनाए उत्पादों में कपड़ा, उपहार और सजावट की वस्तुएं, जैविक उत्पाद, बेंत और बांस, आभूषण, धातु, चित्र, मिट्टी के बर्तन और आदिवासी व्यंजनों को उनकी बिक्री और लोकप्रियता के आधार पर आगंतुकों के लिए वर्गीकृत किया गया था। सम्मानित किए गए कारीगरों/संगठनों को एक स्मृति चिन्ह दिया गया।

A picture containing text, person, indoor, standingDescription automatically generated

एक पखवाड़े तक चलने वाले राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में देश भर के 25 राज्यों के हजारों जनजातीय कारीगरों, रसोइयों, कलाकारों और सांस्कृतिक मंडलों ने सहभागिता की। लगभग 200 स्टालों में दुर्लभ जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा और प्राकृतिक उत्पादों के रूप में स्पष्ट जनजातीय संस्कृति और जनजातीय व्यंजनों का प्रदर्शन किया गया। उत्सव के पिछले 15 दिनों में आगंतुकों की भारी उपस्थिति और बिक्री दर्ज की गई और आदि महोत्सव दिल्लीवासियों का दिल जीतने में सफल रहा।

A picture containing text, sport, dancerDescription automatically generated

जनजातीय कारीगरों द्वारा निर्मित शानदार पटचित्र हों या असम का खूबसूरत रेशम कार्य अथवा ओडिशा के बेहद आकर्षक जनजातीय आभूषण और पूर्वोत्तर के मनके वाले हारों को बहुत पसंद किया गया। जनजातीयों द्वारा बनाए गए व्यंजनों की खास भूमिका रही। इनमें सिक्किम के मोमोज से लेकर छत्तीसगढ़ के महुआ लड्डू, झारखंड के धुस्का और लिट्टी चोखा से लेकर ओडिशा की थाप्ड़ी रोटी और छत्तीसगढ़ की चपड़ा चटनी का स्वाद अनोखा था। यहां आने वाले आगंतुकों के लिए यह महोत्सव किसी दावत से कम नहीं था।

A picture containing text, person, peopleDescription automatically generated

A picture containing person, peopleDescription automatically generated

 

ट्राईफेड की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण पंजीकरण में हुए नुकसान को संभवतः पूरा करते हुए आदि महोत्सव ने पिछले एक पखवाड़े में जनजातीय कारीगरों के लिए लगभग 4 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष बिक्री दर्ज की। इसके अलावा ट्राइफेड द्वारा 8 करोड़ रुपये की खरीद का एक ऑर्डर भी दिया है। इस तरह से इस महोत्सव में भागीदारी करने वाली जनजातियों के लिए कुल लगभग 12 करोड़ रुपए का व्यापारिक लेन-देन हुआ। आदि महोत्सव वास्तव में जनजातीय जीवन की भावना- शिल्प, संस्कृति और व्यंजन का उत्सव रहा है।

About the author

pyarauttarakhand5