देव सिंह रावत
सामाजिक दायित्व के साथ इंसान को पारिवारिक व खुद के प्रति दायित्व का भी निर्वाह करना चाहिए।
इंसान को जीवन के इस आपाधापी में बच्चों को सही मार्गदर्शन देने का दायित्व हर हाल में निभाना चाहिए। अन्यथा बच्चे दिशाहीन हो जाते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आजादी के आंदोलन में पूर्ण रूप से समर्पित रहे महात्मा गांधी से लिया जा सकता है। उनके द्वारा अपने इस दायित्व का निर्वहन न करने के कारण उनके कुछ बच्चे दिशाहीन हो गए थे।
इसका एहसास मुझे भी आज हो रहा है ।इंसान को अपने सामाजिक दायित्वों के साथ साथ अपने पारिवारिक दायित्वों का भी निर्वहन करना चाहिए।
सबसे बड़ी बात जीवन को सही दिशा देने के लिए हर जीव को खुद के लिए भी कुछ समय देना चाहिए।
इस समय का विभाजन इंसान को ही करना चाहिए और अपने इन दायित्वों का निर्वहन भी करना चाहिए। तभी उसका जीवन पूर्ण रूप से सुखी रहता है।