देश की विशिष्ट और सस्ती प्रौद्योगिकियां, समय की आवश्यकता है: प्रकाश जावड़ेकर
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के कार्यकारी निदेशक श्री फतिह बिरोल ने आज कहा कि भारत अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा मामलों का केंद्र बन गया है और यह अन्य प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक रोल मॉडल है। उन्होंने यह बात एनर्जी टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव्स 2020 के वर्चुअल उद्घाटन के अवसर पर कही। यह आईईए का एक नया अध्ययन है, जो प्रौद्योगिकी की जरूरतों और अंतर्राष्ट्रीय जलवायु और स्थायी ऊर्जा लक्ष्यों तक पहुंचने के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। श्री बिरोल ने उज्ज्वला और उजाला जैसी योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के प्रयासों के लिए भारत सरकार की प्रशंसा की।
वहीं, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपने भाषण में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा रिपोर्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है। मंत्री ने कहा कि आज भारत जी-20 राष्ट्रों में एकमात्र देश है जो पेरिस में प्रस्तुत एनडीसी को ध्यान में रखते हुए 2 डिग्री के सिद्धांत का अनुसरण करता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि निजी स्तर पर भी कई निर्णायक कदम उठाए गए हैं जो हमारी प्रतिबद्धता और संकल्प को दर्शाता है।
मंत्री ने दुनिया से अपील की कि 2050 के बारे में बात करने के बजाय, हमें 2020, 2030 और 2040 और इनके चरणबद्ध लक्ष्य की बात करनी चाहिए। साथ ही देशों को इसे प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
स्वच्छ ऊर्जा और संवर्धित जलवायु क्रियाओं को प्रदान करने में वित्त और प्रौद्योगिकी की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री जावड़ेकर ने कहा कि विशिष्ट, उपयुक्त और सस्ती तकनीकें समय की आवश्यकता है, क्योंकि जलवायु संरक्षण की दिशा में प्रत्येक कार्रवाई में एक लागत आती है और हम उसके लिए लोगों पर टैक्स नहीं लगा सकते हैं।
अक्षय ऊर्जा पर भारत के कार्यों पर बोलते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि भारत की अक्षय ऊर्जा अब 89 गीगावॉट है। पिछले 6 वर्षों में इसमें 170 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। श्री जावड़ेकर ने कहा, “हमारे माननीय पीएम श्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा की घोषणा की है और हमारा लक्ष्य 450 गीगावॉट है।”
मंत्री ने इन मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत ऊर्जा के मोर्चे पर बड़े पैमाने पर योगदान दे रहा है और सरकार इस दिशा में अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा दक्षता में सुधार कर रहे हैं और साथ ही ई-वाहनों को बड़ा स्तर पर प्रोत्याहित कर रहे हैं। ई-वाहनों की मांग बढ़ रही है और कीमतों में कमी हो रही है। हम अधिक बैटरी चार्जिंग के लिए बुनियादी ढांचे भी प्रदान कर रहे हैं। बैटरी स्वैपिंग नीति भी अपनाई गई है। हम विद्युत चालित बसों के लिए सब्सिडी दे रहे हैं जो पहले से ही कई शहरों में संचालित हैं।
आईईए की रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ मौजूदा बुनियादी ढांचे व प्रौद्योगिकियों और प्रभावी नीति के माध्यम से उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए सरकारों की बाहरी भूमिका पर जोर दिया गया है। साथ ही प्रौद्योगिकियों को लागू करने के प्रारंभिक चरण में बाजारों को मजबूत करने, प्रौद्योगिकियों की तैनाती को लेकर सक्षम बुनियादी ढांचे का विकास और उन्नयन, अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सहयोग के विस्तार पर भी बल दिया गया है।
श्री प्रकाश जावडेकर का मुख्य भाषण देखें: