विरोध के लिए विरोध करने वाले लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं-प्रधानमंत्री मोदी
देश की आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं गंगा-
सिर्फ 1 साल में ही देश के 2 करोड़ परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है
हरिद्वार/नई दिल्ली (प्याउ)।
प्रधानमंत्री ने आज अपने विरोधियों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि मात्र विरोध के लिए विरोध करने वाले लोग अप्रासंगिक होते जा रहे है। उल्लेखनीय है कि इन दिनों सरकार द्वारा किसान कल्याणार्थ संसद में पारित किये गये कानून का देश की तमाम राजनेतिक दल सहित तमाम किसान संगठन प्रचण्ड विरोध कर रहे है। ऐसा ही विरोध सरकार द्वारा मजदूर कानून बनाये जाने का किया जा रहा है। इन विरोध को राजनीति व निहित स्वार्थों से प्रेरित बताते हुए प्रधानमंत्री ने विरोधियों पर कडा प्रहार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विरोधियों पर यह करारा प्रहार उस समय किया जब वे आज उतराखण्ड में नमामि गंगे कार्यक्रम से 521 करोड़ रूपये की 6 बड़ी परियोजनाओं का किया लोकार्पण करने के बाद संबोधित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि आज 29 सितंबर को प्रातः 11 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में नमामि गंगे कार्यक्रम से जुड़ी 521 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण किया। कोरोनाकाल में आयोजित अधिकांश कार्यक्रमों की तरह इस कार्यक्रम में भी आधुनिक संचार इंटरनेटी माध्यम से दिल्ली से ही लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत व केंद्रीय मंत्री सहित नमामि गंगे परियोजनाओं से जुडे उच्च अधिकारी सम्मलित हुए। इस कार्यक्रम के बारे में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत व आभार प्रकट करते हुए उतराखण्ड के मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि आज माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रदेश में नमामि गंगे से जुड़ी 06 बड़ी परियोजनाओं का ऑनलाइन लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया। यह माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा गंगा की निर्मलता के लिए किए गए भगीरथी प्रयासों का ही परिणाम है कि अब हरिद्वार से आगे भी डाॅल्फिन व महाशीर दिखाई दे रही हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारी सरकार ने गंगा में गिरने वाले 135 गंदे नालों में से अब तक 128 नालों को रोक दिया है साथ ही नमामि गंगे की 19 में से 15 योजनाएं भी पूर्ण हो चुकी हैं। हमने गंगा के किनारे 21 स्नानघाट और 23 मोक्षधामों का निर्माण करवाया है और गंगा के किनारे के गांवों में ऑर्गेनिक खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। मैं, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किए गए उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूँ, साथ ही राष्ट्र को समर्पित की गई इन परियोजनाओं के लिए उनका अभिनंदन करता हूँ।
नमामि गंगे परियोजनाओं का लोकार्पण करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तराखंड में उद्गम से लेकर पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक गंगा, देश की करीब-करीब आधी आबादी के जीवन को समृद्ध करती हैं।
इसलिए गंगा की निर्मलता आवश्यक है, गंगा जी की अविरलता आवश्यक है।
अगर पुराने तौर-तरीके अपनाए जाते, तो आज भी हालत उतनी ही बुरी रहती। लेकिन हम नई सोच, नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े।
हमने नमामि गंगे मिशन को सिर्फ गंगा जी की साफ-सफाई तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे देश का सबसे बड़ा और विस्तृत नदी संरक्षण कार्यक्रम बनाया।
सरकार ने चारों दिशाओं में एक साथ काम आगे बढ़ाया।
पहला- गंगा जल में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का जाल बिछाना शुरू किया।
दूसरा- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ऐसे बनाए, जो अगले 10-15 साल की भी जरूरतें पूरी कर सकें।
तीसरा- गंगा नदी के किनारे बसे सौ बड़े शहरों और पांच हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त करना।
और चैथा- जो गंगा जी की सहायक नदियां हैं, उनमें भी प्रदूषण रोकने के लिए पूरी ताकत लगाना।प्रयागराज कुंभ में गंगा जी की निर्मलता को दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने अनुभव किया था।
अब हरिद्वार कुंभ के दौरान भी पूरी दुनिया को निर्मल गंगा स्नान का अनुभव होने वाला है।अब गंगा म्यूजियम के बनने से यहां का आकर्षण और अधिक बढ़ जाएगा। ये म्यूजियम हरिद्वार आने वाले पर्यटकों के लिए, गंगा से जुड़ी विरासत को समझने का एक माध्यम बनने वाला है।
आज पैसा पानी में नहीं बहता, पानी पर लगाया जाता है। हमारे यहां तो हालत ये थी कि पानी जैसा महत्वपूर्ण विषय, अनेकों मंत्रालयों और विभागों में बंटा हुआ था।इन मंत्रालयों में, विभागों में न कोई तालमेल था और न ही समान लक्ष्य के लिए काम करने का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश। नतीजा ये हुआ कि देश में सिंचाई हो या फिर पीने के पानी से जुड़ी समस्या, ये निरंतर विकराल होती गईं।
आप सोचिए, आजादी के इतने वर्षों बाद भी 15 करोड़ से ज्यादा घरों में पाइप से पीने का पानी नहीं पहुंचता था। पानी से जुड़ी चुनौतियों के साथ अब ये मंत्रालय देश के हर घर तक जल पहुंचाने के मिशन में जुटा हुआ है। आज जलजीवन मिशन के तहत हर दिन करीब 1 लाख परिवारों को शुद्ध पेयजल की सुविधा से जोड़ा जा रहा है। सिर्फ 1 साल में ही देश के 2 करोड़ परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया जा चुका है।
देश की किसानों, श्रमिकों और देश के स्वास्थ्य से जुड़े बड़े सुधार किए गए हैं। इन सुधारों से देश का श्रमिक सशक्त होगा, देश का नौजवान सशक्त होगा, देश की महिलाएं सशक्त होंगी, देश का किसान सशक्त होगा।लेकिन आज देश देख रहा है कि कैसे कुछ लोग सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं। आज जब केंद्र सरकार, किसानों को उनके अधिकार दे रही है, तो भी ये लोग विरोध पर उतर आए हैं। ये लोग चाहते हैं कि देश का किसान खुले बाजार में अपनी उपज नहीं बेच पाए।
जिन सामानों की, उपकरणों की किसान पूजा करता है, उन्हें आग लगाकर ये लोग अब किसानों को अपमानित कर रहे हैं।
इस कालखंड में देश ने देखा है कि कैसे डिजिटल भारत अभियान ने, जनधन बैंक खातों ने लोगों की कितनी मदद की है।
जब यही काम हमारी सरकार ने शुरू किए थे, तो ये लोग इनका विरोध कर रहे थे।
देश के गरीब का बैंक खाता खुल जाए, वो भी डिजिटल लेन-देन करे, इसका इन लोगों ने हमेशा विरोध किया। चार साल पहले का यही तो वो समय था, जब देश के जांबांजों ने सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंक के अड्डों को तबाह कर दिया था। लेकिन ये लोग अपने जांबाजों से ही सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक का भी विरोध करके, ये लोग देश के सामने अपनी मंशा, साफ कर चुके हैं।
भारत की पहल पर जब पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही थी, तो ये भारत में ही बैठे ये लोग उसका विरोध कर रहे थे । जब सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण हो रहा था, तब भी ये लोग इसका विरोध कर रहे थे।आज तक इनका कोई बड़ा नेता स्टैच्यू ऑफ यूनिटी नहीं गया है।
पिछले महीने ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया है। ये लोग पहले सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहे थे फिर भूमिपूजन का विरोध करने लगे।हर बदलती हुई तारीख के साथ विरोध के लिए विरोध करने वाले ये लोग अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।