प्रधानमंत्री की “मेक इन इंडिया” नीति के अनुरूपः दुर्गा शंकर मिश्र
समूची गाड़ियों का निर्माण गुजरात के प्लांट में होगा
धारणीय (सस्टेनेबल) एवं ऊर्जा सक्षम (एनर्जी एफिशियेंट) ग्रीन ट्रेन डिजाइन
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोरा प्राथमिकता कॉरिडोर
दिल्ली से मेरठ तक के यात्रा समय को घटाकर एक तिहाई करेगा
27 सितम्बर 2020 को नई दिल्ली से पसूकाभास
आवास एवं शहरी मामलों (एमओएचयूए) के सचिव एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अध्यक्ष दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की “आत्मनिर्भर भारत” परिकल्पना के पांच स्तंभों में से एक है -अवसंरचना और यह बहुत गर्व की बात है कि आरआरटीएस के लिए तेज़गति और उच्च आवृत्ति वाली यात्री ट्रेनों का निर्माण पूरी तरह सरकार की “मेक इन इंडिया” नीति के अंतर्गत किया जाएगा। 25 सितम्बर 2020 को भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों का पहला लुक जारी करते हुए एमओएचयूए के सचिव ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल, ऊर्जा सक्षम ट्रेनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के भीतर और बाहर के इलाकों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज़ होगी, आर्थिक गतिविधियों के अवसर बढ़ेंगे और साथ साथ वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
इस अवसर पर एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह , एनसीआरटीसी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्य और एमओएचयूए, एनसीआरटीसी और बम्बार्डियर इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
स्टेट ऑफ दि आर्ट आरआरटीएस ट्रेनें भारत की पहली ऐसी ट्रेनें होंगी जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति से चलेंगी। इनकी बाहरी बॉडी चमकदार स्टेनलैस स्टील की होगी ,ये एयरोडायनैमिक आरआरटीएस ट्रेनें वज़न में बहुत हल्की और पूरी तरह वातानुकूलित होंगी । हर डिब्बे में छह ऑटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाज़े होंगे जिनमें से तीन तीन दरवाज़े दोनों तरफ होंगे। (बिजनैस क्लास के डिब्बों में दोनों तरफ दो दो दरवाज़े यानी कुल चार दरवाज़े होंगे) इससे यात्रियों को चढ़ने उतरने में आसानी होगी। इन डिब्बों में आड़ी दो गुना दो सीटें होंगी और पांव फैलाने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी, चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे और अन्य सुविधाओं के साथ साथ वाई फाई की सुविधा भी होगी। नई दिल्ली स्थित लोटस टेंपल धारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है जिसके डिज़ाइन के कारण उसमें हवा और रोशनी की प्राकृतिक रूप से आवाजाही बहुत अच्छे से होती है। इसी को आधार बनाकर आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में रोशनी और तापमान नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी ताकि कम ऊर्जा की खपत कर यात्रियों को एक गुणवत्तापूर्ण यात्रा का अनुभव दिलाया जा सके। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेनों में नए युग की प्रौद्योगिकी और भारत की समृद्ध धरोहर का कुशल मिश्रण होगा।
इस परियोजना के लाभ बताते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने बताया, “भारत की इन पहली आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की परिकल्पना के साथ किया गया है। ये आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली होंगी और खड़े रहने के समय 30 प्रतिशत ऊर्जा पैदा करेंगी। एनसीआरटीसी ने निर्माता को संपूर्ण दीर्घकालिक व्यापक रखरखाव का जिम्मा दिया है ताकि इसके जीवन काल की पूरी अवधि में इसका लाभ उठाया जा सके। मुझे विश्वास है कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए परिवहन अवलंब और परिवहन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा तथा क्षेत्र के समग्र विकास का पायदान बनेगा।”
इसके प्रोटोटाइप का 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा और व्यापक परीक्षणों से गुज़रने के बाद जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। एनटीआरटीसी छह छह डिब्बों वाली 30 जोड़ी ट्रेनों की खरीद करेगा और उन्हें इस समूचे कॉरिडोर पर चलाया जाएगा तथा 10 जोड़ी ट्रेनें मेरठ के भीतर स्थानीय आवागमन के लिए चलाई जाएंगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर आरआरटीएस के लिए डिब्बों का निर्माण बंबार्डियर के गुजरात के सेवली स्थित प्लांट में किया जाएगा ।
दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पहले चरण में बनाए जाने वाले प्राथमिकता वाले तीन आऱआऱटीएस कॉरिडोरों में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा यह दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर भारत में बनने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर होगा। इस कॉरिडोर के चालू होने से दिल्ली से मेरठ पहुंचने में लगने वाला समय घटकर एक तिहाई रह जाएगा। इससे दिल्ली से मेरठ जाने में मात्र एक घंटे का समय लगेगा जबकि अभी इसमें तीन-चार घंटे का समय लगता है। साहिबाबाद से मेरठ के शताब्दी नगर तक के 50 किलोमीटर लंबे सेक्शन का निर्माण कार्य पूरे ज़ोर शोर से चल रहा है। इसके साथ ही चार स्टेशनों-गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण कार्य भी जारी है। इस कॉरिडोर के प्राथमिकता वाले सेक्शन को 2023 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है और समूचा कॉरिडोर 2025 तक चालू हो जाएगा। पहले चरण के अन्य दो आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत हैं। दिल्ली-गुरूग्राम-एसएनबी कॉरिडोर पर निर्माणपूर्व गतिविधियां पूरे जोर शोर से चल रही हैं और इसकी डीपीआर को मंजूरी देने पर भारत सरकार पूरी सक्रियता से विचार कर रही है। दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी देने पर भी संबद्ध राज्य सरकारें पूरी सक्रियता से विचार कर रही हैं ।
यात्रियों के लिए सुविधाएं :
- आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में दो गुना दो आकार की आड़ी सीटें होंगी
- चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा पूरी कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे ,यात्रियों के लिए पांव फैलाने की पर्याप्त जगह होगी और वाई फाई की सुविधा भी होगी।
- खिड़कियों में दोहरे चमकीले और बड़े टैंपर्ड सुरक्षा कांच लगाए जाएंगे ताकि यात्री बाहर के पूरे नज़ारे का आनंद उठा सकें। डिब्बे सार्वजनिक उद्घेषणा और डिस्प्ले सिस्टम, डायनैमिक रूट मैप डिस्प्ले ,इन्फोटेनमेंट डिस्प्ले और आपातकालीन संचार सुविधा से लैस होंगे। ट्रेन में आधुनिक दृष्य एवं श्रव्य उद्घोषणा सिस्टम होगा जिससे यात्रियों को अगले स्टाप और अंतिम स्टेशन के बारे में जानकारी मिलेगी ।
- आटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाजे होंगे जिनसे शोर और वायु घर्षण का असर कम हो जाएगा ।
- डिब्बों में सीसीटीवी , आग एवं धुआं सूचक यंत्र , अग्निशामक और द्वार सूचक होगा
- डिब्बे के दरवाजों के पास विकलांग यात्रियों की सुविधा के लिए उनकी व्हील चेयर के लिए ऐसी जगह तय रहेगी जहां तक सबकी पहुंच हो
- एक प्रामाणिक हल्की और समग्र प्रोपल्शन प्रणाली होगी जो बेहद विश्वसनीय और निष्पादन ज़रूरतों पर खरी उतरने वाली होगी
- इनोवेटिव ट्रेन कंट्रोल मानिटरिंग सिस्टम (टीसीएमएस) प्रौद्योगिकी और उसके साथ साथ उसकी भविष्यवाची और परिस्थिति आधारित निगरानी विशिष्टताएं इस बेड़े की कार्यक्षमता में सुधार करेगी और उसे एक व्यापक ट्रेन-टु ग्राउंड नैदानिकी मुहैया कराएंगी।
- इन ट्रेनों की अधिकतम परिचालन गति 160 केएमपीएच होगी और हर पांच-दस किलोमीटर पर स्टेशन होंगे इसलिए इसके गतिवर्धन और गतिअवरोधन का पूरा ध्यान रखते हुए इसका डिज़ाइन तैयार किया गया है ।
- इन ट्रेनों का परिचालन आटोमैटिक ट्रेन आपरेशन प्रणाली (एटीओ) से होगा ताकि यात्रा सुगम हो और वह सही स्थान और सही समय पर रुक सके तथा ऊर्जा की बचत भी हो।
- इन आधुनिक ट्रेनों में जरूरत पड़ने पर दरवाजे खोलने के लिए पुश बटन भी होंगे ।इससे हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत से बचा जा सकेगा और इस तरह ऊर्जा की बचत होगी ।
- आरआरटीएस ट्रेनों में बिजनेस क्लास (हर ट्रेन में एक डिब्बा ) भी होगा जिसमें पर्याप्त खुली जगह और आरामदायक और लेटने योग्य सीटें होंगी जिन तक प्लैटफार्म पर बने एक विशेष लाउंज से पहुंचा जा सकेगा ।
- बिजनेस कोच में एक आटोमैटिक भोजन परोसने वाली मशीन भी लगाई जाएगी।
- हर ट्रेन में एक डिब्बा महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
- तेज़ गति वाली ट्रेन होने के कारण सभी आरआरटीएस प्लैटफार्मों पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लैटफार्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) होंगे। ट्रेन के दरवाज़े भी पीएसडी युक्त होंगे।
एनसीआरटीसी के बारे में :
एनसीआरटीसी भारत सरकार (50 प्रतिशत) और हरियाणा सरकार (12.5 प्रतिशत), एनसीटी दिल्ली (12.5 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश(12.5 प्रतिशत) और राजस्थान (12.5 प्रतिशत) सरकारों का एक संयुक्त उपक्रम है ।यह भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है और एनसीआर में आरआरटीएस के डिज़ाइन तैयार करने, निर्माण, वित्तीय संसाधन जुटाने, परिचालन करने और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। एनसीआरटीसी को एनसीआर में भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेन को चालू करने की जिम्मेदारी दी गई है।