संसद ने कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पारित किया
इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है, प्रधानमंत्री ने स्वयं आश्वस्त किया है कि अनाजों की ख़रीद एमएसपी पर जारी रहेगीः केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
21सितम्बर 2020
नई दिल्ली से प्याउ/पसूकाभास
21सितम्बर 2020
नई दिल्ली से प्याउ/पसूकाभास
विपक्ष व किसानों के भारी गतिरोध के बाबजूद मोदी सरकार विकास के कल्याण हेतु लाये गये दो विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कराने में सफल रही। वहीं किसानों ने इन विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए सड़को पर विरोध प्रदर्शन किया। सरकार का मत है कि इन विधेयकों से किसान की आय में वृद्धि होगी और किसान विचैलियों के शिकंजे से बच जायेंगे। वहीं किसानों का आरोप है कि सरकार पूंजीपतियों के हितों के लिए किसानों के हितों को रौंद रही है। वहीं सरकार का दावा है कि इन विधेयकों के पारित होजे के बाद किसान बिचैलियों के चुंगुल से बच जायेंगे। सड़को पर किसानों के विरोध व संसद में विरोधी पक्ष के सांसदों ने किसानों के हक हकूकों पर एक कुठाराघात बताया।
गौरतलब है कि मोदी सरकार सदन के कोरोना काल में हुए इस सत्र में ही इन दोनों विधेयकों को संसद से पारित करने का मन बना चूकी थी। इस लिए मोदी सरकार ने राजग गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी अकाली दल द्वारा विरोध करने व मोदी के मंत्रीमण्डल में सम्मलित मंत्री ने इस विधेयक को किसान विरोध बताते हुए केंद्रीय मंत्रीमण्डल से इस्तीफा दे दिया। वहीं दिल्ली के आसपास के हरियाणा, उप्र, पंजाब आदि राज्यों में भारी विरोध को भी सरकार ने नजरांदाज किया।
20 सितम्बर को जब यह विधेयक राज्यसभा से पारित होने जा रहा था। उसी समय विरोधी दल के सांसदों ने सदन में ऐसा प्रचण्ड विरोध किया कि बहुत ही मुस्किल से उप सभापति की रक्षा की गयी। सरकार ने विरोधी दलों के इस विरोध को अलोकतांत्रिक व अमर्यादित बता कर इसकी कड़ी भत्र्सना की। राज्य सभा में विरोधी दलों के सांसदों के विरोध को अमर्यादित बताते हुए इस सत्र के शेष दिनों के लिए राज्यसभा में प्रचण्ड विरोध करने वाले 8 सांसदों को निलंम्बित कर दिया। वहीं विरोधी दल ने बिना मतदान किये इस विधेयक को ध्वनिमत से जबरन पारित किये जाने को लोकतंत्र का काला दिन बताया। वही प्रधानमंत्री मोदी ने इस विधेयक के पारित किये जाने को किसानों के लिए ऐतिहासिक दिवस बताया। वहीं स्वतंत्र चिंतक देवसिंह रावत ने आशंका प्रकट की कि कृषि क्षेत्र में बडे कोरपोरेट के आगमन व सरकारी मंडी के कमजोर होने के कारण किसानों को न्यूनतम विक्रय मूल्य मिलने में कठिनाई होगी। किसान को अपनी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा। इसके साथ खाद्यान्नों की जमाखोरी रोकने के लिए बने एक तय सीमा भण्डारन की हटाये जाने से भ्रष्टाचारी व्यापारी खाद्यान्नों का कृर्तिम कमी करके मनमानी किमत वसूल करेंगे। इस प्रवृति पर अंकुश लगाने के ठोस प्रबंध किये बिना भण्डारन की तय सीमा को हटाना आम जनता के लिए सुखद नहीं होगा।
संसद ने कृषि क्षेत्र के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से आज दो विधेयक पारित कर दिए। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 को लोकसभा ने 17 सितंबर, 2020) को पारित कर दिया था। जबकि राज्य सभा ने 20 सितंबर, 2020 इस विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक 5 जून, 2020 को आए अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 14 सितंबर, 2020 को लोकसभा में प्रस्तुत किया था।
विधेयक के संबंध में बोलते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों को उनके उत्पाद की बेहतर कीमत दिलाने और उनके जीवन स्तर को उठाने के लिए पिछले 6 वर्षों में अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अनाजों की ख़रीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी रहेगी। इस संबंध में स्वयं प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया है। एमएसपी की दरों में 2014-2020 के बीच उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी की गई है। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा आगामी सप्ताह में की जाएगी। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020
मुख्य प्रावधान
किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्रता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करेगा।
किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके।
मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फॉर्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता होगी।
किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके।
शंकाएँ
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा
कृषक कृषि उत्पाद यदि पंजीकृत बाजार समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी
ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?
समाधान
एमसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी।
मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी।
इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी।
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
मुख्य प्रावधान
कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा।
इससे किसानों की पहुँच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी।
इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है।
कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।
शंकाएँ
अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे
छोटे किसान संविदा खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
नई व्यवस्था किसानों के लिए परेशानी होगी।
विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
स्पष्टीकरण
किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा।
देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा।
विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।