रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर 15 सितम्बर को संसद को दिया भरोसा
भारत को अपने जांबाज जवानों पर गर्व है
भारत चीन के साथ मैत्री चाहता है परंतु चीन की मंशा ठीक नहीं है
प्यारा उत्तराखंड डॉट कॉम
चीन से चलने भारत की सीमा विवाद पर आज 15 सितंबर को उसके रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 3.05 मिनट पर सरकार का पक्ष रखा। संसद को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने बताया कि सीमा पर देश की रक्षा के लिए देश के जांबाज सैनिक हर पल मुस्तैदी से डटे हुए हैं ।उन्होंने गलवान घाटी में हुए चीनी सेना के अतिक्रमण को विफल करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले जांबाज शहीदों को देश की तरफ से शत-शत नमन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी और स्वयं उन्होंने लद्दाख से सीमा में जाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाया । इसके साथ रक्षा मंत्री ने सदन में इस बात से भी अवगत कराया कि चीन के साथ भारतीय सीमा का सही निर्धारण अभी तक नहीं होता हो पाया। जिसके कारण चीन और भारत में निरंतर यह समस्या बनी हुई है ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने बयान में कहा कि मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि अभी तक India-China के border areas में commonly delineated Line of Actual Control (LAC) नहीं है और LAC को लेकर दोनों का perception अलग-अलग है:
चीन के साथ सीमा विवाद एक जटिल मुद्दा है। और इस विवाद पर चीन भी बातचीत से समाधान करने के लिए कई बार सैन्य व गैर सैन्य स्तर पर बातचीत कर चुकी है । सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनी रहे इसके लिए चीन और भारत सहमत हैं ।चीन भारत के कई क्षेत्रों पर अपना दावा प्रकट करता है ।वहीं भारत का मानना है चीन ने भारत भारत की कई वर्ग किलोमीटर भूमि पर काबिज है ।जैसा कि यह सदन अवगत है चाईना, भारत की लगभग 38,000 square km भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित Boundary-Agreement के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 square km भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है।
इस साल अप्रैल में चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास सैनिकों का भारी जमावड़ा किया है। चीन के आक्रामक रवैया को भारत स्वीकार नहीं कर सकता। हमारे बहादुर जवानों ने चीन की कुटिल मंशा को भांप कर संयम और शौर्य का जो प्रदर्शन किया, उसकी विश्व ने सराहना की। भारत का स्पष्ट मानना है कि दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना चाहिए। रक्षा मंत्री ने चीन पर स्पष्ट आरोप लगाते हुए कहा कि 15 जून को गलवान में जो हिंसा हुई वह एक प्रकार से चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा कोई बदलाव की मंशा अंकित ही थी। 15 जून की हिंसा में चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ा। पैन्गांन में भी चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा में बदलाव करने की मंशा से सैन्य अतिक्रमण करना चाह रहा था, जिसे भारतीय जांबाज सैनिकों ने विफल कर दिया।
चीन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य करते हुए भारत के साथ हुए समझौते का खुला उल्लंघन किया। LAC का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है, और इसे 1993 एवं 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। जबकि हमारी armed forces इसका पूरी तरह पालन करती हैं, Chinese side की ओर से ऐसा नहीं हुआ है।
चीन के इस प्रकार के आक्रामक हरकत को देखते हुए रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि वह देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि भारत ने भी चीन के किसी भी नापाक इरादे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए समुचित संख्या में सीमा पर सेना तैनात कर दी है ।भारत सभी प्रकार की परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं ।भारत की सेना विषम परिस्थितियों में भी देश की रक्षा के लिए पूरे हौसलों के साथ तैनात है। देश की रक्षा के लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में युद्ध सामग्री उपलब्ध है।
देश की सुरक्षा में जब कभी भी कोई संकट आया तो सदन व देश की जनता सेना के साथ खड़ी रही।
यह समय है जब यह सदन अपने सशस्त्र सेनाओं के साहस और वीरता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए उनको यह संदेश भेजे कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र सेनाओं के साथ है जो भारत की संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा में जुटे हुए हैं।
मै इस सदन से यह आग्रह करना चाहता हॅूं कि हमें एक resolution पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए देश की चोटियों की उचाईयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं।