तू होली बीरा ऊंची नीची डांडिया मां घसियारियों का भेष मां जैसे कालजयी गीतों के गायक भारत में ही नहीं रेडियो बीजिंग में भी छाए रहते थे
देवसिंह रावत
21 जून 2020 को देहरादून में उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक और गीतकार जीत सिंह नेगी के निधन होने से उत्तराखंड के कला जगत में शोक छा गया । 95वर्षीय दिवंगत नेगी जी कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।
दिवंगत जीत सिंह नेगी गढवाली गीतों के सबसे पहले लोकगायक थे, जिनके 6 गढवाली गीतों की ग्रामोफ़ोन पर 1949 में रिकॉर्डिंग की गई थी।
तू होली बीरा ऊंची नीची डांडिया मां घसियारियों का भेष मां
व रामी बौराणी जैसे कालजयी गीतों के अमर गायक जीत सिंह नेगी रेडियो के मजे हुए कलाकार थे। उनके गीतों की धमक रेडियो बीजिंग से भी सुनी जाती थी।
2 फरवरी 1925 को पौड़ी गढ़वाल के पैड़ूलस्यूँ पट्टी के अयाल गांव में उनका जन्म हुआ था। 95 वर्ष की अवस्था में उनका निधन 21 जून2020 को देहरादून में हुआ। दिवंगत लोक गायक जीत सिंह नेगी का अंतिम संस्कार उनके परिजनों इष्ट मित्रों व चाहने वालों की उपस्थिति में देहरादून के लक्खी बाग श्मशान घाट में किया गया ।कोरोना महामारी के कारण अंतिम संस्कार
सरकारी मानकों के अनुसार ही किया गया।
दिवंगत वयोवृद्ध गायक जीत सिंह नेगी के निधन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्दर रावत सहित अन्य राज नेताओं ने उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दिवंगत लोक गायक जीत सिंह नेगी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए अपनी श्रद्धांजलि इन शब्दों में अर्पित की
#उत्तराखंड की लोक संस्कृति, लोकगीत, लोक संगीत के पुरोधा और हम सबके दिलों में, सारे उत्तराखंड वासियों के दिलों में राज करने वाले #जीत_सिंह_नेगी जी नहीं रहे। उन्होंने अपने गीतों, रचनाओं एवं संगीत से उत्तराखंड को स्वर प्रदान किया। हमारी धरती को उन्होंने अभिव्यक्ति प्रदान की, ऐसा संगीत का पुरोधा अन्ततोगत्वा पंचतत्व में विलीन हो गया। मैं #क्वारंटाइन में हूं, इसलिये उनके अंत्येष्टि में भाग नहीं ले पा रहा हूं, तो अपने आवास पर ही उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके, उनको अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा हूं।ओम शांति!
उत्तराखंड के शीर्ष लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने जीत सिंह नेगी को महान गायक बताते हुए उनको अपनी श्रद्धांजलि इन शब्दों में प्रदान की।
ब्यालि ब्याखुनी एक और दुखद समाचार सुणणा को मिली कि जीतसिहं नेगी जी अब हमारा बीच नि राया। जीतसिहं नेगी जी सबसे पुराणा लोकगायक छा। हमारा जन्म से भि पैलि 1949 मा ऊंका गढवालि गीतू का ग्रामोफोन रिकार्ड बणिगे छा। जब 1990 मा मेरो ट्रान्सफर देहरादून ह्वे त मिन ऊंकै घर का पास धर्मपुर मा कमरा किराया फर ले ताकि लोकसंगीत क्षेत्रमा ऊंका अनुभव को लाभ उठै सकू। नेगी जी का पुराणा भूला बिसर्यां गीतू थैं नई पीढि तक पौंछाणो प्रस्ताव जब मिन ऊंका सामणि रखि त खुश ह्वेकि ऊंन अपडा गीतू को रजिस्टर मैथैं पकडेदे। गीत लिखणै गाणै ऊंकि एक अलग ही शैलि छै। ईश्वर ऊंकि आत्मा थैं परम सांन्ति द्यो अर परिवार व शुभचिन्तकू थैं ये दुख सैणै शक्ति द्यो। ओम् शान्ति।
दिवंगत की आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना करते है। दिवंगत जीत सिंह नेगी के शोकाकुल परिवार में उनकी धर्म पत्नी मनोरमा नेगी बेटा ललित मोहन नेगी तथा दो विवाहिता बेटी मधु व मंजू वह अपने बेटे ललित मोहन नेगी के पास देहरादून में रहते थे।
दिवंगत लोक गायक जीत सिंह नेगी के निधन पर उत्तराखंड के नए लोक गायकों साहित्यकारों समाजसेवियों राजनेताओं वह कला प्रेमियों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।