21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
नमस्कार !!
छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ये दिन एकजुटता का दिन है। ये विश्व बंधुत्व के संदेश का दिन है। ये oneness of humanness का दिन है। जो हमें जोड़े, साथ लाये वही तो योग है। जो दूरियों को खत्म करे, वही तो योग है।
कोरोना के इस संकट के दौरान दुनिया भर के लोगों का My Life – My Yoga वीडियो ब्लॉगिंग कंपटीशन में हिस्सा लेना, दिखाता है कि योग के प्रति उत्साह कितना बढ़ रहा है, कितना व्यापक है।
साथियों, इस साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की theme Yoga at home and Yoga with family रखी गई है। आज हम सब सामूहिक कार्यक्रमों से दूर रहकर, घर में ही अपने परिवार के साथ मिलकर योग कर रहे हैं। बच्चे हो, बड़े हो, युवा हो, परिवार के बुजुर्ग हो, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुडते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए, इस बार का योग दिवस, अगर मैं दुसरे शब्दों में कहूँ भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी Family Bonding को भी बढ़ाने का दिन है।
साथियों,
कोरोना pandemic के कारण आज दुनिया योग की जरूरत को पहले से भी अधिक गंभीरता से महसूस कर रही है। अगर हमारी immunity strong हो तो हमें इस बीमारी को हराने में बहुत मदद मिलती है। Immunity को बढ़ाने के लिए योग की अनेक विधियां हैं, अनेक प्रकार के आसन हैं। वो आसन ऐसे हैं जो हमारे शरीर की strength को बढ़ाते हैं, हमारे metabolism को शक्तिशाली करते हैं।
लेकिन Covid19 वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र, यानि कि respiratory system पर attack करता है। हमारे Respiratory system को strong करने में जिससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है वो है प्राणायाम, यानि कि breathing exercise. सामान्य तौर पर अनुलोम विलोम प्राणायाम ही ज्यादा popular है। ये काफी प्रभावी भी है। लेकिन प्राणायाम के अनेक प्रकार है। इसमें , शीतली, कपालभाति, भ्रामरी, भस्त्रिका, ये सब भी होते हैं, बहुत हैं अनगिनत हैं ।
योग की ये सभी विधाएं, ये तकनीक, हमारे respiratory system और immune system दोनों को मजबूत करने में बहुत मदद करती हैं। इसलिए आपसे मेरा विशेष आग्रह है आप प्राणायाम को अपने daily अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ ही अनेक जो प्राणायाम techniques को भी सीखिए, उसको सिद्ध कीजिये । योग की इन पद्धतियों का लाभ बड़ी संख्या में आज पूरी दुनिया में Covid19 patients ले भी रहे हैं। योग की ताकत से उन्हें इस बीमारी को हराने में मदद मिल रही है।
साथियों,
योग से हमें वो आत्मविश्वास और मनोबल भी मिलता है जिससे हम संकटों से जूझ सकें, जीत सकें। योग से हमें मानसिक शांति मिलती है, संयम और सहनशक्ति भी मिलती है। स्वामी विवेकानंद कहते थे- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है, और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”।
किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है। जब बहुत ज्यादा विपरीत परिस्थिति हो, तब भी Active रहना, थककर हार न मानना, Balanced रहना, ये सारी चीज़ें योग के माध्यम से हमारे जीवन में स्थान प्राप्त करती है, हमारे जीवन को ताकत देती है । इसीलिए, आपने भी देखा होगा, महसूस किया होगा, योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है।
योग का अर्थ ही है- ‘समत्वम् योग उच्यते’ अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है।
Friends,
Yoga enhances our quest for a healthier planet. It has emerged as a force for unity and deepens the bonds of humanity. It does not discriminate. It goes beyond race, colour, gender, faith and nations.
Anybody can embrace Yoga. All you need is some part of your time and empty space. Yoga is giving us not only the physical strength, but also mental balance and emotional stability to confidently negotiate the challenges before us.
Friends,
If we can fine tune our chords of health and hope, the day is not far away when world will witness the success of healthy and happy humanity. Yoga can definitely help us make this happen
साथियों,
जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान की बात कर रहे हैं, दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुन: स्मरण कराना चाहता हूं। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है। Efficiency in Action is Yoga. यह मंत्रा सदा हमें सिखाता है कि योग के द्वारा जीवन में अधिक योग्य बनने की क्षमता पैदा होती है । अगर हम अपना काम अनुशासन से करते हैं, अपना दायित्व निभाते हैं तो भी ये एक तरह का योग ही है।
साथियों,
कर्मयोग का एक विस्तार और है। हमारे यहाँ कहा गया है-
युक्त आहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मसु।
युक्त स्वप्ना-व-बोधस्य, योगो भवति दु:खहा।।
अर्थात्, सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम, अपनी duties को सही ढंग से करना ही योग है। इसी कर्मयोग से हमें सभी तकलीफ़ों और समस्याओं का समाधान मिलता है। इतना ही नहीं, हमारे यहाँ निष्काम कर्म को, बिना किसी स्वार्थ के सभी का उपकार करने की भावना को भी कर्मयोग कहा गया है। कर्मयोग की ये भावना, भारत की रग-रग में रची-बसी है। जब भी जरूरत पड़ी, भारत के इस नि:स्वार्थ भाव को पूरी दुनिया ने अनुभव किया है।
साथियों,
जब हम योग से चलते हैं, कर्मयोग की भावना से चलते हैं, तो व्यक्ति के तौर पर, समाज के तौर पर, देश के तौर पर हमारी शक्ति भी कई गुना बढ़ जाती है। आज हमें इसी भावना से संकल्प लेना है- हम अपने स्वास्थ्य के लिए, अपनों के स्वास्थ्य के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।
हम प्रयास करेंगे कि Yoga at home and Yoga with family को अपने जीवन का हिस्सा बनाएँ। अगर हम यह करेंगे तो हम ज़रूर सफल होंगे, हम ज़रूर विजयी होंगे। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को फिर से योग दिवस की शुभकामनाएं।
लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥
ओम !!