उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों ने की त्रिवेन्द्र सरकार की कडी भत्र्सना, गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए लिया संकल्प
उतराखण्ड को गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन का झूनझूना नहीं अपितु स्थाई राजधानी चाहिए
प्यारा उतराखण्ड डाट काम
आज 8 जून को उतराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किये जाने की विधिवत अधिसूचना जारी करने को उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारियों ने उतराखण्ड के साथ विश्वासघात बताया। उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलन व उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी, उतराखण्ड आंदोलन पुरोधा देवसिंह रावत, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धीरेन्द्र प्रताव व राजधानी गैरसैंण अभियान के लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल सहित तमाम आंदोलनकारियों ने एक स्वर में त्रिवेंद्र सरकार के इस कृत्य को उतराखण्ड गठन की जनांकांक्षाओं को रौंदने के साथ शहीदों की शहादत का घोर अपमान बताया। उतराखण्ड आंदोलनकारियों ने हर हाल में प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने तक संघर्ष करने का सामुहिक संकल्प भी लिया।
वहीं उतराखण्ड क्रांति दल के शीर्ष नेता काशीसिंह ऐरी ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी अधिसूचित करने का उतराखण्ड की जनता सहित उनका दल उक्रांद प्रतिकार करता हैं। तेरह जिलों के एक छोटे राज्य, जिसके पास आज इतने भी संसाधन नहीं है कि वह समय पर अपने कर्मचारियों को वेतन दे पाये, उस पर दो-दो राजधानियां थोप दी जा रही हैं। यह उत्तराखण्ड के शहीदों और आन्दोलनकारियों का अपमान है और उत्तराखण्ड की जनता का शोषण। भाजपा की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे उत्तराखण्ड की जनता ने उस समय भी छल किया था, उत्तराखण्ड राज्य के विधेयक में राजधानी का क्लाज जानबूझकर डाला ही नहीं गया था, दूसरा छल आज की प्रदेश सरकार कर रही है।
श्री ऐरी ने कहा कि उत्तराखण्ड की प्रस्तावित राजधानी निर्विवाद रुप से गैरसैंण थी, पहले तो इसे धोखे से देहरादून में अस्थाई बना दिया गया, फिर तत्कालीन भाजपा की अनन्तिम सरकार ने उसे एक आयोग को सौंप दिया, आयोग को उसके बाद आई कांग्रेस की सरकार भी पोसती रही फिर उसकी रिपोर्ट भी भाजपा की ही सरकार के समय में विधान सभा में रखी गई, जिस पर आज तक सदन में बहस नहीं कराई गई है और आज फिर से ग्रीष्मकालीन राजधानी का झुनझुना पकड़ाया जा रहा है। यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, उत्तराखण्ड क्रान्ति दल इसका पुरजोर विरोध करता है और जनता के साथ मिलकर हम फिर से आन्दोलन करेंगे और उत्तराखण्ड की जनता की भावना के अनुरुप गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाकर ही दम लेंगे।
उतराखण्ड आदोलनकारी देवसिंह रावत ने प्रदेश सरकार के इस कृत्य का कडा विरोध करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री से दो टूक शब्दों में पूछा कि जब जनता प्रदेश की राजधानी गैरसैंण के लिए वर्षों से सतत आंदोलन कर रही है व शहादत दे रही है तो आखिर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सरकार ने जनभावनाओं को रौंदकर बलात गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके किसके हितों की पूर्ति की। जब प्रदेश में एक मात्र विधानसभा गैरसैंण(भराड़ीसैण) में बनी हुई है और प्रदेश के ग्रीष्मकालीन, बजट व शीतकालीन सहित सभी सत्रगैरसैंण में आयोजित किया जा चूका है। राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए बाबा मोहन उतराखण्डी व देवसिंह नेगी ने अपनी शहादत दी। उतराखण्ड सहित देश के विभिन्न शहरों में उतराखण्डी सतत आंदोलन कर रहे है। जनप्रतिनिधियों व नौकरशाहों द्वारा देहरादून में कुण्डली मार कर बैठे रहने से पर्वतीय जनपदों से शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार व शासन पूरी तरह पटरी से उतरने से भीषण पलायन से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो गया है। प्रदेश की जनांकांक्षाओं व इतने खतरों को नजरांदाज आखिर ग्रीष्मकालीन राजधानी क्यों थोपी गयी।
गैरसैंण में आयोजित हुए प्रदेश के बजट सत्र में त्रिवेंद्र सरकार ने जिस प्रकार से प्रदेश की जनता की राजधानी गैरसैंण बनाने की पुरजोर मांग को रौंदते हुए बलात प्रदेश की ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैंण को घोषित कर दी। प्रदेश की जनता राज्य गठन जनांदोलन से निरंतर राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग करते हुए आज तक भी आंदोलित है। परन्तु प्रदेश के जनप्रतिनिधी व नौकरशाह अपनी पंचतारा सुविधाओं के मोह में प्रदेश की राजधानी बलात देहरादून में ही बनाये रखने का निरंतर षडयंत्र कर रहे थे। इस षडयंत्र के तहत ही त्रिवेन्द्र सरकार ने देहरादून को स्थाई राजधानी बनाने के लिए गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी थोप दिया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता धीरेन्द्र प्रताप ने इस अधिसूचना पर तीब्र प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने वाले बिल पर दस्तखत किए जाने के विरोध में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन कारी 9 और 10 जून को 2 दिन तक राज्य भर में इस काले बिल की प्रतियां जलाएंगे। पूर्व मन्त्री धीरेंद्र प्रताप ने ऐलान किया है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के बिल पर राज्य की राज्यपाल बेबी मौर्य द्वारा आज मोहर लगाए जाने के विरोध में कल 9 जून और परसों 10 जून को 2 दिन तक राज्य भार मे इस बिल की प्रतियां को लगाएंगे।
धीरेंद्र प्रताप ने जारी एक बयान में कहा है कि जिस तरह से राज्यपाल ने उत्तराखंड के शहीदों और जन आकांक्षाओं के विरुद्ध राज्य की त्रिवेंद्र सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के बिल पर स्वीकृति की मुहर लगाई है वह राज्य के जहां शहीदों की भावना का अपमान है वहीं राज्य की जनता की जन आकांक्षाओं की भी हत्या है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण अनेकों शहादतो और आंदोलनों के बाद हुआ है। शहीदों और राज्य निर्माण आंदोलन कारियों की सदैव गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने का ना केवल संकल्प रहा है बल्कि भावना भी रही है।
उन्होंने राज्यपाल के इस बिल पर मोहर लगाए जाने को जनतंत्र की भी हत्या बताया और कहा कि राज्य के आंदोलनकारी 9 और 10 जून को राज्य के तमाम जिलों में और यहां तक की भारत के विभिन्न राज्यों में और विदेशों में भी जहां भी उत्तराखंडी रहते हैं वह इस तुगलकी आदेश को जनविरोधी काला आदेशष् मानते हुए,इसकी प्रतियां जलाएंगे। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जब तक गैरसैंण को उत्तराखंड की राजधानी नहीं बना दिया जाता हम अंतिम दम तक ये लड़ाई लड़ेंगे ।