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गैरसैंण विधानसभा भवन परिसर बनाया दूसरे राज्य से आने वालों का एकांतवास स्थल

उतराखण्ड शासन की लचर व्यवस्था को देख कर गुजरात शासन की सराहना कर रहे है कर्मवीर

 
गैरसैंण(प्याउ)। उतराखण्ड राज्य गठन आंदोलनकारी भले ही गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिए विगत 26 सालों से निरंतर आंदोलन कर रहे हों परन्तु प्रदेश की सरकारें जनांकांक्षाओं को साकार करने के बजाय निरंतर खिलवाड करती आयी है।प्रदेश की राजधानी बनाने के बजाय सरकार ग्रीष्म कालीन राजधानी का झूनझूना बनाने का ऐलान कर रही है। राजधानी गैरसैंण कब बनेगी परन्तु सरकार ने कोरोना महामारी काल में गैरसैंण में बने विधानसभा भवन परिसर में दूसरे प्रदेशों से आने वाले चमोली जनपद के कर्मवीरों के लिए एकांतवास स्थल बना दिया। जबकि देहरादून में विधानसभा भवन में ऐसा एकांतवास स्थल नहीं बनाया गया।
इसी सप्ताह गुजरात से कर्मवीर उतराखण्डियों को लेकर जो पहली विशेष रेलगाडी हरिद्वार पंहुची। उनमें चमोली जनपद के कर्मवीरों को लेकर जो विशेष बस गोचर होते पंहुचे । वहां स्वास्थ्य जांच के बाद से यात्रियों को उसी बस से आगे के सफर के लिए भेज दिया गया। वहां वहीं से नंद प्रयाग की तरफ के लोगों को पीपल कोटी व पिण्डर घाटी सहित शेष जनपद के 150 के करीब निवासियों को भराड़ीसैण स्थित गैरसैंण विधानसभा परिसर भराड़ीसैंण में भेजा । गुजरात के सूरत में कार्यरत खुशहाल सिंह नेगी ने बताया कि प्रदेश शासन की रेल यात्रियों को दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों में भेजने की व्यवस्था लचर थी। इनको इतना भी भान नहीं रहा कि इन यात्रियों को पर्वतीय क्षेत्र%

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