गुजरात से उत्तराखंडी कर्म वीरों को लेकर विशेष रेलगाड़ी हरिद्वार पहुंची।
हरिद्वार से उत्तराखंड के विभिन्न पर्वतीय जनपदों को आगे घर तक पहुंचाने के लिए बसों व जीपों की व्यवस्था की गई है।
आधे घंटे पहले मेरी सूरत से उत्तराखंड को चले सीमांत जनपद चमोली के 3 दर्जन के करीब कर्मवीरों के प्रमुख
कुशाल सिंह नेगी से बातचीत हुई उन्होंने बताया देर रात को हरिद्वार रेल गाड़ी से पहुंचे ।रेल में खाने पानी इत्यादि की समुचित व्यवस्था की गई थी।
अभी हरिद्वार में पुलिस संरक्षण में रुके हुए थे। थोड़ी देर में पर्वतीय अंचलों के लिए बसों की व्यवस्था की गई है कुछ हाल निधि के अनुसार उनकी बस उन्हें गोचर तक छोड़ेगी वहां से आगे सरकार ने इनको जीपों इत्यादि की व्यवस्था की है।
कुशाल सिंह नेगी जो सूरत में एक बड़ी कंपनी में सेवारत हैं ।उनके अनुसार उनके साथ चमोली नारायणबगढ़ के प्रसिद्ध गांव रेंस के अनिल रावत सहित 2दर्जन से अधिक युवा तथा अन्य चोपता,लोदला,पाड़ेली आदि गांवों के कर्मवीर हैं।
श्री नेगी ने बताया कि उनके पास गांव जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था आगे क्या होगा यह सब अनिश्चितता के गर्त में है।
उन्होंने भी इस बात से सहमति जताई कि अगर ताला बनने की शुरुआत में ही हैं सरकार व व्यवस्था कर देती तो तमाम कर्मवीर को इतनी परेशानियां नहीं उठानी पड़ती। क्योंकि कई लोगों के काम धंधे छूट गए थे ।आय का साधन नहीं रहा, और कई अन्य समस्याओं से घिरे हुए थे ऊपर से असुरक्षा का भय। अगर शुरुआत में कर्मवीर उनको इस प्रकार सरकार भेज दी थी तो अब तक वह अपने गांव में पूरा समय बिता कर वापसी
करने के लिए तैयार रहते हैं अब एसे समय घर भेजा जा रहा है जिस समय सरकार कल कारखाने उद्योग खोल कर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम कर रही ।ऐसे समय में जो लोग कामगार लोग अपने घरों में हैं उनके रोजगार पर ग्रहण लग जाएगा। परंतु यह एक नया अनुभव था इस प्रकार की त्रासदी से देश को दो-चार नहीं
हुआ था ।इसमें कई कमियां रह गई है। इन्हीं कमियों से भविष्य के लिए एक मार्गदर्शन मिल सकता है।
गुजरात से कोरोना के दंश से बचकर उतराखण्ड अपने गांव पंहुचने के बाद
वहां किस प्रकार स्थानीय लोगों की आशंकाओं का निवारण सरकार द्वारा निर्धारित एकांतवास वह अन्य मापदंडों को अपनाने से करेंगे परंतु एक अनिश्चितता की तलवार न केवल इन कामगारों अपितु देश की हर वर्ग के लोगों पर लटकी हुई है ।इससे उबरने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कल रात 8:00 बजे जो देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारत को आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। वह देश के करोड़ों करोड़ों कामगारों को कोरोना महामारी के दंश से उबारने में कहां तक सहायक होगा। यह तो समय बताएगा ।परंतु देश के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे करोड़ों कर्म वीरों को अपने गांव पहुंचाने का जो देर से उठाया सरकार का एक सराहनीय कदम है, अगर समय पर यह उठाया जाता तो देश के इन कर्म वीरों को इन असीम पीड़ा से नहीं जूझना पड़ता ।
इसी दंश से पीड़ित लाखों लोग छोटे बच्चों बुजुर्गों महिलाओं को लेकर पैदल ही अपने गांव की तरफ चले गए ।जब उन्होंने देखा कि कर्म स्थल पर न खाने को है ना रोजगार है ना कोई सहारा दिखाई दे रहा है ।मजबूरी में भूख प्यास आंधी तूफान वर्षा को झेलते हुए अपने गांव की तरफ कूच कर गए । इसमें अनेकों कर्मवीर विभिन्न हादशों का शिकार बन काल कलवित भी हो गए।
भविष्य में नीति निर्धारकों को इस बात का ध्यान रखना होगा जब भी इस प्रकार की समस्याओं से देश गिरेगा तो सबसे पहले ऐसे ही कर्म वीरों को अपने स्थानों पर पहुंचाने का काम सरकार प्राथमिकता से करेगी