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विश्व युद्धों की तरह ही कोरोना महामारी के बाद भी मौलिक रूप में बदल गया विश्व, लायेगा हमारे काम काज के ढंग में महत्वपूर्ण बदलावः प्रधानमंत्री मोदी

भारत को ‘कोविड काल के बाद’ मिलने वाले अवसरों से अवश्‍य ही लाभ उठाना चाहिए: 

11 मई को सभी राज्यों और केंद शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने  किया पांचवीं बैठक  में विचार-विमर्श

अब हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 न फैले: प्रधानमंत्री

हम सभी को दुनिया की नई वास्तविकता के लिए योजना बनानी चाहिए: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली से पसूकाभास

 प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में आगे की राह पर चर्चा करने के लिए आज देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री ने अपने प्रारंभिक संबोधन में कहा, ‘ अब हमारे पास इस बारे में स्पष्ट संकेत हैं कि भारत में महामारी किन-किन भौगोलिक क्षेत्रों में फैली हुई है और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र कौन-कौन से हैं। इसके अलावा, पिछले कुछ हफ्तों में अधिकारियों ने इस तरह की परिस्थितियों में जिला स्तर तक की परिचालन प्रक्रियाओं को अच्‍छी तरह से समझ लिया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के फैलाव के बारे में यह गहरी समझ इसके खिलाफ लड़ाई सही ढंग से लड़ने में देश की मदद करेगी।

उन्‍होंने कहा, ‘अत: अब हम कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अपनी उस रणनीति पर फोकस कर सकते हैं, जैसी कि होना चाहिए। हमारे पास दोहरी चुनौती है – बीमारी के संक्रमण की दर को कम करना  एवं सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सार्वजनिक गतिविधियों को धीरे-धीरे बढ़ाना और हमें इन दोनों ही उद्देश्यों की पूर्ति करने की दिशा में काम करना होगा।’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 के फैलाव को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर एक रोडमैप तैयार करने के लिए राज्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया गया है।

मुख्यमंत्रियों ने कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की और देश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संरचना को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। कई मुख्यमंत्रियों ने कहा कि प्रवासियों की वापसी को ध्‍यान में रखते हुए विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में नए संक्रमण के जरिए महामारी के फैलने पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों, मास्क के उपयोग और स्वच्छता पर सख्ती से ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

विदेश से वापस लौटने वाले फंसे भारतीयों को अनिवार्य रूप से क्‍वारंटाइन करने पर भी प्रकाश डाला गया। अर्थव्यवस्था पर अपने सुझावों में मुख्यमंत्रियों ने एमएसएमई एवं बिजली जैसी अवसंरचना परियोजनाओं को आवश्‍यक सहायता देने,, ऋणों पर ब्याज दरों में राहत देने और कृषि उपज की बाजार पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के खिलाफ देश की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाने और जमीनी स्तर के अनुभवों से उत्‍पन्‍न मूल्यवान सुझाव देने के लिए मुख्यमंत्रियों का धन्यवाद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि कोविड-19 के बाद विश्व मौलिक रूप से बदल गया है। अब विश्व युद्धों की तरह ही कोरोना-पूर्व विश्‍व एवं कोरोना-बाद विश्‍व होगा। इससे हमारे कामकाज के ढंग में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।

उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति से लेकर पूरी मानवता तक जीवन का नया तरीका ‘जन से लेकर जग तक’ के सिद्धांत पर आधारित होगा।

उन्होंने कहा कि हम सभी को नई वास्तविकता की योजना बनानी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘भले ही हम लॉकडाउन को क्रमबद्ध ढंग से हटाने पर गौर कर रहे हैं, लेकिन हमें यह लगातार याद रखना चाहिए कि जब तक हम कोई वैक्‍सीन या समाधान नहीं ढूंढ लेते हैं, तब तक वायरस से लड़ने के लिए हमारे पास सबसे बड़ा हथियार सामाजिक दूरी बनाए रखना ही है।’

प्रधानमंत्री ने ‘दो गज की दूरी’ के महत्व पर फिर से जोर दिया और कहा कि कई मुख्यमंत्रियों द्वारा रात में कर्फ्यू लगाने के लिए दिए गए सुझाव को मानने से निश्चित रूप से लोगों में सतर्कता की भावना फिर से पैदा होगी।

उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से लॉकडाउन के बारे में विशिष्ट जानकारियां देने का अनुरोध किया।

उन्‍होंने कहा, ‘मैं आप सभी से 15 मई तक मेरे साथ इस व्यापक रणनीति को साझा करने का अनुरोध करता हूं कि आप किस तरह से अपने-अपने राज्यों में लॉकडाउन की व्‍यवस्‍था से निपटना चाहते हैं। मैं चाहता हूं कि राज्य ब्लू प्रिंट तैयार कर यह बताएं कि वे लॉकडाउन के दौरान और उसे क्रमबद्ध ढंग से हटाने के बाद विभिन्न बारीकियों से कैसे निपटेंगे।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए हमें एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। देश में मानसून के दस्‍तक देने पर कई गैर-कोविड 19 बीमारियां फैलेंगी जिनसे निपटने के लिए हमें अपनी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रणालियों को निश्चित तौर पर तैयार और मजबूत करना होगा।’

उन्होंने नीति निर्माताओं को यह भी ध्यान में रखने को कहा कि शिक्षा क्षेत्र में शिक्षण और सीखने (अध्‍ययन) के नए मॉडलों को कैसे अपनाया जाए।

पर्यटन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें घरेलू पर्यटन में काफी संभावनाएं नजर आती हैं, लेकिन हमें इसकी रूपरेखा के बारे में सोचने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘मेरा यह स्‍पष्‍ट मानना है कि लॉकडाउन के पहले चरण में आवश्यक माने जाने वाले उपाय दूसरे चरण के दौरान जरूरी नहीं थे और इसी तरह तीसरे चरण में आवश्यक माने जाने उपाय चौथे चरण में जरूरी नहीं हैं।’

ट्रेन सेवाओं को फिर से शुरू करने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए यह आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि सभी मार्गों पर फिर से ट्रेन सेवाओं को शुरू नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल सीमित संख्या में ही ट्रेनें चलेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अब भी आशावान हैं। इसी तरह एक भी राज्य ने निराशा नहीं दिखाई है और यह सामूहिक संकल्प भारत को कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में जीत दिलाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को ‘कोविड काल के बाद’ मिलने वाले अवसरों से अवश्‍य ही लाभ उठाना चाहिए।  

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