शराब व शॉपिंग मॉल की दुकानें प्रतिबंधित
ग्रामीण क्षेत्रों में , शॉपिंग मॉल की दुकानों को छोड़, सभी दुकानों को खोलने की अनुमति है
शहरी क्षेत्रों में सभी एकल दुकानों, आस-पड़ोस की दुकानों और आवासीय परिसरों में स्थित दुकानों को खोलने की अनुमति है
शहरी क्षेत्रों में बाजारों/बाजार परिसरों और शॉपिंग मॉल की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं है
गृहमंत्रालय का आदेश भारतीय भाषाओं के बजाय अंग्रेजों की भाषा अंग्रेजी में क्यों?
गृह मंत्रालय ने 25 अप्रैल से दुकानों को खोलने की अनुमति देने के लिए लॉकडाउन उपायों पर जारी समेकित संशोधित दिशा-निर्देशों में संशोधनों पर 24 अप्रैल को एक आदेश जारी किया था।
(https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1618049)
इस आदेश का तात्पर्य यह है कि:
- ग्रामीण क्षेत्रों में, सभी दुकानों को खोलने की अनुमति है। हालांकि, शॉपिंग मॉल में स्थित दुकानें इनमें शामिल नहीं हैं।
- शहरी क्षेत्रों में, सभी एकल दुकानों, आस-पड़ोस की दुकानों और आवासीय परिसरों में स्थित दुकानों को खोलने की अनुमति है। हालांकि, बाजारों/बाजार परिसरों और शॉपिंग मॉल में स्थित दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं है।
यह स्पष्ट किया जाता है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल आवश्यक वस्तुओं की ही बिक्री करने की अनुमति है।
यह भी स्पष्ट किया जाता है कि शराब की बिक्री के साथ-साथ उन अन्य वस्तुओं की भी बिक्री प्रतिबंधित है, जिनके बारे में कोविड-19 के प्रबंधन संबंधी राष्ट्रीय निर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है।
जैसा कि समेकित संशोधित दिशा-निर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है, उपर्युक्त दुकानों को उन सभी क्षेत्रों, चाहे वे ग्रामीण हों या शहरी, में खोलने की अनुमति नहीं है, जिन्हें संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नियंक्षण क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) घोषित किया गया है।
पर सबसे हैरानी की बात यह है कि देश के आम जनमानस के लिए निकला यह महत्वपूर्ण शासनादेश भारतीय भाषाओं के बजाय उसी फिरंगी जुबान अंग्रेजी में जारी किया गया। क्या संघ पोषित भाजपा की मोदी सरकार के राज में भी 73 साल से चल रही बेशर्मी से अंग्रेजी की गुलामी जारी रहेगी। आखिर यह आदेश ब्रिटेन की जनता को है या देश की जनता को। शायद देश के हुक्मरान भूल गये कि अंग्रेज 1947 को भारत को मुक्त कर गये। तो फिर यह गुलामी आज भी जारी क्यों? क्या पूर्ववर्ती सरकारों की तरह मोदी सरकार भी गुलामी के इस कलंक को ढोती रहेगी। शायद वे भूल गये देश की लोकशाही व आजादी का अर्थ।
अंग्रेज गये अंग्रेजी व इंडिया भी जाये, भारत में भारतीय भाषायें ही राज चलाये
अंग्रेजी की दासता से राष्ट्रवाद व भारतीय संस्कृति की रक्षा नहीं होती अपितु जार्ज पंचम की लूटेरा तंत्र ही मजबूत होता है।